ऊर्जा में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप पर तेजी से किया जा रहा कार्य

ऊर्जा में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप पर तेजी से किया जा रहा कार्य

ऊर्जा क्षमता 491 मेगावॉट से अब बढ़कर 5 हजार 42 मेगावॉट 

भोपाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में मध्यप्रदेश में तेज गति से कार्य हो रहा है। 
ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए नवकरणीय तथा गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है। पिछले 9 वर्षों में प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दस गुना बढ़ोत्तरी हुई है। इस क्षेत्र में अब मध्यप्रदेश देश में नेतृत्व की भूमिका में है। वर्ष 2012 में प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता 491 मेगावॉट थी, जो अब बढ़कर 5 हजार 42 मेगावॉट हो गई है। 

प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों से न केवल मध्यप्रदेश ऊर्जा क्षेत्र में आत्म-निर्भरता प्राप्त कर रहा है, अपितु इनसे पर्यावरण की सुरक्षा भी हो रही है। 
इस संबंध में प्रदेश में किए जा रहे कार्यों से हर साल लगभग एक करोड़ 41 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन रोका जा सकेगा। दावा किया जा रहा है कि यह लगभग 43 करोड़ पौधे लगाने के बराबर है।

रीवा में सबसे बड़ी अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना

रीवा में अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना ने अपनी पूरी क्षमता से ऊर्जा उत्पादन शुरू कर दिया है। यह विश्व की बड़ी सौर परियोजना में से एक है। इससे 750 मेगावॉट बिजली प्रतिदिन बन रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे पैदा होने वाली बिजली प्रदेश की बिजली वितरण कम्पनियों को दिए जाने के अलावा दिल्ली मेट्रो को भी दी जा रही है।

ओंकारेश्वर में अनूठी सोलर फ्लोटिंग परियोजना

ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर अनूठी सोलर फ्लोटिंग परियोजना स्थापित की जा रही है। इसके लिए वल्र्ड बैंक द्वारा सर्वे चालू कर दिया गया है। इसकी लागत तीन हजार करोड़ रुपए होगी और ऊर्जा उत्पादन क्षमता 600 मेगावॉट होगी। योजना को वल्र्ड बैंक प्रेसीडेंट अवॉर्ड भी दिया गया है।

इनका कहना है
सीएनजी टेक्नोलॉजी डीजल की तुलना में 85 फीसदी कम प्रदूषण करेगा। साथ ही किसान हर वर्ष लगभग 1.5 लाख रुपए ईंधन पर बचत कर पाएंगे। इसके साथ यह किसानों के लिए अतिरिक्त आय का भी साधन बनेगा।

नितिन गडकरी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री 

भारत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सबसे ज्यादा इस्तेमाल डीजल का होता है। जबकि देश में करीब 60 करोड़ मीट्रिक टन बायोमास अवेलबल है। सरकार देश में 500 सीबीजी प्लांट्स लगा रही है। जल्द ही सरकार सीबीजी प्रोडक्ट के लिए रिटेल में अनुमति देगी। इथेनॉल प्रोडक्शन में नंबर वन बनने के लिए सरकार पूरी कोशिश करेगी। 
धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री

सिंचाई के लिए सोलर पम्प

मप्र में किसानों को सिंचाई के लिए अनुदान पर सोलर पम्प दिए जा रहे हैं, जिससे सिंचाई के खर्च में काफी कमी आ रही है। प्रदेश के विकास रोडमेप 2023 के अंतर्गत किसानों के खेतों में 45 हजार सोलर पम्प लगाए जाएंगे। अभी तक 22 हजार 673 सोलर पम्प लगाए गए हैं। सोलर पम्प योजना से ऐसे किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं, जिनके खेतों तक बिजली नहीं पहुंच रही है। किसान न केवल खुद के उपयोग के लिए सौर ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं बल्कि बिजली कम्पनी को भी बिजली बेच सकते हैं।

इनका कहना है
ऊर्जा के क्षेत्र में दस गुना बढ़ोत्तरी हुई है। इस क्षेत्र में अब मध्यप्रदेश देश में नेतृत्व की भूमिका में है। आत्म-निर्भर मप्र के रोडमेप के अंतर्गत प्रदेश के नीमच, शाजापुर, आगर, मुरैना, छतरपुर एवं सागर जिलों में सोलर पार्क विकसित किए जा रहे हैं। इन पर 18 हजार करोड़ व्यय होगा। इनकी क्षमता 4 हजार 500 मेगावॉट सोलर बिजली उत्पादन की होगी। सोलर रूफटॉप परियोजनाओं से भी प्रदेश में बिजली उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। चालू वर्ष में 3 हजार 642 परियोजनाओं का कार्य होगा।
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री