घर बैठे करें दाल में मिलावट की पहचान, वैज्ञानिकों ने बताया खास तरीका
नई दिल्ली, बाजार में खाद्य संबंधी चीजें खरीदते समय, लोगों के मन में उसकी गुणवत्त्ता को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन दिनों खाने-पीने से जुड़ी चीजों में मिलावट आम हो गई है। रोजना घरों में बनने वाली दाल भी इससे अछूती नहीं है। ऐसे में दाल की गुणवत्त्ता पर हमेशा सवाल बना रहता है। लेकिन, लोगों के मन में सबसे पहला सवाल यही आता है इन चीजों की गुणवत्त्ता की जांच कैसे करे। क्योंकि, लैब में खाने-पीने से जुड़ी चीजों में मिलावट की जांच करना हर किसी के लिए संभव नहीं है।
पूसा ने जांच का आसान तरीका बताया
अगर आपके मन में भी यही सवाल आता है तो आपके लिए अच्छी खबर है। अब आप घर बैठे ही आसानी से दाल की गुणवत्त्ता की जांच कर सकते हैं। पूसा यानी इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इसकी जांच का आसान तरीका बताया है। दरअसल, आईआरआई-पूसा ने ये तरीका किसानों के लिए बताया है। ताकि, वे खेती के दौरान दाल के बीजों की गुणवत्ता का जांच सकें। मिलावटी दाल के चलते कई बार बीज अंकुरित नहीं होते और किसानों को अच्छी पैदावर नहीं मिल पाती। लेकिन, अब किसान घर बैठे ही दाल की जांच कर पाएंगे। किसानों के अलावा आम लोग भी इस तरीके का इस्तेमाल करने दाल की क्वालिटी चेक कर सकते हैं।
100 में 98 बीज को अंकुरित होना चाहिए
आईआरआई-पूसा के अरहर दाल विभाग के वैज्ञानिक डॉ. सी. भारद्वाज ने कहा कि दाल की गुणवत्ता की जांच करना आम लोगों के साथ किसानों के लिए भी आवश्यक है। इसके लिए लोगों को इसे जांचने के लिए लैब जाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि दाल के 100 बीज को लेकर गीली तौलिया में बांधकर रख दें। इसको ऐसी जगह रखें, जहां हवा और धूप दोनों मिलते रहें। सात से आठ दिन बाद इसे खोलकर यह गिनना चाहिए कि इसमें कितने बीज अंकुरित हुए हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले बीज अगर है तो 98 बीज को अंकुरित होना चाहिए और इससे कम हैं, तो गुणवत्ता में कमी है।
अरहर दाल में मिलावट की पहचान
अरहर दाल में उससे मिलते जुलते रंग वाले सस्ती दालों की मिलावट की जाती है। माटर दाल की मिलावट की जाती है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। यूपी और मध्य प्रदेश के कुछ इलाके के खेतों में अपने आप ही उग आती है ।इस माटरा का वैज्ञानिक नाम लैथीरस सेटाइबस है। जिस इलाके में यह उगती है वहां के लोग इसे आसानी से पहचान लेते हैं। अरहर की दाल में खेसारी दाल की भी मिलावट की जा रही है। इस मिलावटी दाल को लेकर सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है। यह अरहर दाल के आकार से थोड़ा भिन्न होता है। इस आधार पर आप पहचान सकते हैं इसमें मिलावट की गई है या नहीं।
चने की दाल में मिलावट की पहचान
चना की कई तरह की किस्में होती है। आपने देखा होगा कोई चना बड़ा होता है और कोई छोटा होता है। कोई अधिक भूरा होता है और कोई कम। किसी चना की किस्म हल्के काले रंग की होती है। ऐसा माना जाता है बेहतर क्वालिटी का चना हल्के भूरे रंग होता है। उसकी कीमतें अधिक होती है। इसकी दाल स्वादिष्ट होती हैं। खराब किस्मों के चने की दाल की मिलावट अच्छी किस्मों के चने की दाल में की जाती है। इसकी दालों की आकार के जरिए मिलावट को पहचान सकते हैं।
मूंग की दाल में मिलावट की पहचान
मूंग की दाल स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है। तबीयत खराब होने पर अक्सर डॉक्टर मूंग की दाल की खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं। इसलिए यह दाल महंगी होती है। यह देखते हुए इसमें मिलावट की गुंजाइश अधिक होती है। मूंग दाल मिलती-जूलती दूसरे जंगली पौधे के बीज की मिलावट की जाती है। उसमें मूंग की दाल की तरह रंग मिलाकर मूंग दाल में मिलावट की जाती है। मूंग दाल को पानी से धोकर चेक कर सकते है मिलावट हुई है या नहीं। कभी अधिक चमक के लिए भी मूंग की दाल में रंग मिलाए जाते हैं।
बीज बोने समय इसकी मात्रा बढ़ा देनी चाहिए
किसान भाई भी इसी तरह दाल के बीज की गुणवत्ता जांच सकते हैं। इससे फसल में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। हां, अगर ऐसी स्थितियां हैं कि इसी तरह का बीज ही उपलब्ध है तो बीज बोने समय इसकी मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। इससे फसल होने के बाद पैदावार में कमी नहीं आएगी।