जलवायु अनुकूल कृषि: राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली ने 10 वर्षों (2014-2024) के दौरान कुल 2900 किस्में जारी की

नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) नामक एक परियोजना का क्रियान्वयन कर रही है, जो फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्य पालन सहित कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करती है। यह जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों का विकास और संवर्धन भी करता है, जो सूखा, बाढ़, पाला, अत्यंत गर्मी आदि जैसी चरम मौसम स्थितियों से ग्रस्त क्षेत्रों में मदद करती हैं। एनआईसीआरए के तहत किए गए अध्ययनों से पता चला है कि अनुकूलन उपायों के अभाव में जलवायु परिवर्तन से वर्षा आधारित और सिंचित चावल, गेहूं, खरीफ मक्का आदि की उपज कम होने की संभावना है। एनआईसीआरए के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के प्रति कृषि के जोखिम और संवेदनशीलता का आकलन अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल (आईपीसीसी) प्रोटोकॉल के अनुसार 651 कृषि प्रधान जिलों में जिला स्तर पर किया गया है। संवेदनशील के रूप में पहचाने गए 310 जिलों में से 109 जिलों को ‘अत्यधिक संवेदनशील’ और 201 जिलों को ‘अत्यधिक संवेदनशील’ श्रेणी में रखा गया है। इन 651 जिलों के लिए जिला कृषि आकस्मिकता योजनाएँ तैयार की गई हैं, ताकि मौसम संबंधी असामान्यताओं से निपटा जा सके और स्थान-विशिष्ट जलवायु अनुकूल फसलों, किस्मों और प्रबंधन पद्धतियों की सिफारिश की जा सके। जलवायु परिवर्तन के प्रति किसानों की अनुकूलन क्षमता को बढ़ाने के लिए एनआईसीआरए के तहत "जलवायु अनुकूल गांवों" (सीआरवी) की अवधारणा शुरू की गई है। 28 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के 151 जलवायु संवेदनशील जिलों के 448 सीआरवी में स्थान-विशिष्ट जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया है, जिन्हें किसानों द्वारा अपनाया जाएगा। जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर किसानों को शिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाया जा सके। कृषि क्षेत्र में प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के तहत कई योजनाएं भी शुरू की गई हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए आईसीएआर के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली ने पिछले 10 वर्षों (2014-2024) के दौरान कुल 2900 किस्में जारी की हैं। इनमें से 2661 किस्में एक या एक से अधिक जैविक और/या अजैविक स्ट्रैस के प्रति सहनशील हैं। जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियां जैसे चावल गहनीकरण प्रणाली, एरोबिक चावल, चावल की सीधी बुवाई, जीरो टिल गेहूं की बुवाई, जलवायु अनुकूल किस्मों की खेती जो सूखे और गर्मी जैसी चरम मौसम स्थितियों के प्रति सहनशील हों, चावल के अवशेषों का इन-सीटू समावेश आदि विकसित और प्रदर्शित किए गए हैं। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।