मप्र में भी गुजरात की तर्ज पर सांस्कृतिक वन बनाएगी सरकार

मप्र में भी गुजरात की तर्ज पर सांस्कृतिक वन बनाएगी सरकार

भोपाल। गुजरात की तर्ज पर मध्य प्रदेश में हर वर्ष एक जिले में सांस्कृतिक वन बनाया जाएगा, इसको लेकर अध्ययन कराया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में वर्ष 2004 में सांस्कृतिक वन की नींव रखी थी, अब तक ऐसे 22 सांस्कृतिक वन बनाए जा चुके हैं, जिनमें गुजरात का रक्षा क्षेत्र, संस्कृति, वीरता और इतिहास का दर्शन समाहित है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना पर चल रहे कार्यों की जानकारी लेने एवं उसे अपनाने के बारे में कहा था, जिस पर मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने वन विभाग के चार आईएफएस अधिकारियों को गुजरात अध्ययन के लिए भेजा था। गुजरात के भुज एवं सुरेंद्रनगर में बने सांस्कृतिक वनों का अध्ययन किया गया।

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छह हेक्टेयर में सांस्कृतिक वन

गुजरात में एक दशक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने हर वर्ष एक जिले में पांच से छह हेक्टेयर क्षेत्र में सांस्कृतिक वन बनाने का निर्णय लिया था और अब तक ऐसे 22 वन बन चुके हैं। इन वनों में जिले की विशेषताओं को दर्शाने वाले स्मारक बनाए गए हैं। गुजरात में सांस्कृतिक वन पर 12 से 19 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं। इन वनों में पर्यटक भी काफी संख्या में आते हैं। अब इस तरह का प्रयोग मध्य प्रदेश सरकार करने जा रही है।

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पेश की जाएगी अध्ययन रिपोर्ट

वन मुख्यालय में विकास शाखा के एपीसीसीएफ यूके सुबुद्धि ने गुजरात के अध्ययन के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली है। अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया के समक्ष प्रस्तुतिकरण दे दिया है। इसके बाद अब मुख्य सचिव के समक्ष इसे प्रस्तुत किया जाएगा। यदि इस पर अमल हुआ तो मध्य प्रदेश में भी हर साल एक जिले का चयन कर उसमें गुजरात की तर्ज पर सांस्कृतिक वन बनाए जाएंगे।

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डीएफओ से मांगे प्रस्ताव

वन विभाग ने सांस्कृतिक वन बनाने के लिए प्रदेशभर के डीएफओ को पत्र लिखकर जिलों के प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा है। डीएफओ से कहा गया है कि वे अपने जिले में वन क्षेत्र या राजस्व क्षेत्र में ऐसे स्थान चिन्हित करें जहां सांस्कृतिक वन बनाया जा सकें। यह वन जिलों की संस्कृति पर आधारित होगा, जिसमें संबंधित जिले का इतिहास और विशेषता समाहित रहेगी।

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इनका कहना है

मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के निर्देश पर चार आईएफएस अधिकारियों का दल गुजरात अध्ययन पर गया था। मैं भी इस दल में शामिल था। रिपोर्ट बनाकर शासन के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया गया है। अब शासन स्तर पर ही सांस्कृतिक वन बनाने का निर्णय लिया जाना है। हम अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर चुके हैं और जिलों से रिपोर्ट मंगाई है।
- यूके सुबुद्धि, एपीसीसीएफ विकास, वन मुख्यालय भोपाल

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