बेवीनार में कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कैसे करें धान की सीधी बुआई

बेवीनार में कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कैसे करें धान की सीधी बुआई

धान की सीधी बुवाई तकनीक पर बेवीनार आयोजित

रायसेन, कृषि विज्ञान केन्द्र, रायसेन द्वारा आगामी खरीफ फसल धान में सीधी बुवाई अन्तर्गत खरपतवार नियंत्रण के लिए आनलाईन बेवीनार का आयोजन किया गया। जिसमें वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख, डा. स्वप्निल दुबे, वैज्ञानिक प्रदीप कुमार द्विवेदी, डा. मुकुल कुमार, डा. अंषुमान गुप्ता व डा. मुकेष सहगल, प्रधान वैज्ञानिक, राष्ट्रीय समेकित नाषीजीव प्रबंधन अनुसंधान केन्द्र, पूसा, नई दिल्ली उपस्थित थे। जिसमें वैज्ञानिक, आत्मा अधिकारी व कृषक कुल 75 लोगों ने भाग लिया।

रायसेन जिले में इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा धान की रोपाई का लक्ष्य 2,30,000 हैक्टेयर में रखा गया है। ऐसी परिस्थिति में कृषकों को धान की रोपा पद्धति, धान की सीधी बुवाई व पैडी ड्रम सीडर का उपयोग कर धान उत्पादन की सलाह दी जाती है। लगातार 2 वर्षों से कोविड-19 महामारी के चलते अन्य जिलों व प्रदेषों से धान लगाने हेतु मजदूर कम आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में सांची, गैरतगंज, सिलवानी आदि क्षेत्रों में कृषकों के द्वारा धान की सीधी बुवाई की जा रही है। 

धान की सीधी बुवाई तकनीक के लिए उपयुक्त किस्म सहभागी, एम.टी.यू.-1010, पूसा-1509, पूसा बासमती, पूसा-1121, क्रांति आदि किस्मों का चयन करें। बीज दर 40-50 किग्रा/है. की दर से उपयोग करें। बीज को बुवाई पूर्व कार्बन्डाजिम 2 ग्राम $ मैन्कोजेब 1 ग्राम या कार्बोक्सिन 3 ग्राम प्रति किलो बीज। जैविक बीजोपचार- ट्राइकोडर्मा विरिडी 10 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फलोरोसेंस 10 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें। संतुलित मात्रा में उर्वरकों के उपयोग अन्तर्गत यूरिया 217 किग्रा, सिंगल सुपर फाॅस्फेट 370 किग्रा, पोटाष 67 किग्रा या डीएपी 130 किग्रा, यूरिया 166 किग्रा, पोटाष 67 किग्रा प्रति हैक्टेयर उर्वरक उपयोग की तकनीकी जानकारी दी गई।

धान की सीधी बुवाई में खरपतवार एक मुख्य समस्या रहती है। धान में मुख्यतः सांवा, कोदो, कनकौआ, मौथा आदि खरपतवारों का प्रकोप होता है। और इनका यदि शुरूआत में नियंत्रण न किया जाये तो 30-40 प्रतिषत तक धान का उत्पादन कम हो जाता है।

धान की फसल में बुवाई के तुरंत बाद व अंकुरण से पूर्व खरपतवारनाषक पेण्डामिथिलीन 30 ई.सी. मात्रा 3.33 लीटर/है. या पेण्डामिथिलिन 38.7 सी. एस. 1.75 लीटर/है. या प्रेटीलाक्लोर 50 ई.सी 1.5 लीटर/है., किसी एक दवा का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने व 20-25 दिन की फसल पर बिस्पाइरीबैक सोडियम खरपतवारनाष के उपयोग की सलाह दी गई। छिड़काव के समय खेत में नमी का होना आवष्यक है।
 डा. मुकेष सहगल, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा धान में कीट व रोग नियंत्रण हेतु समन्वित कीट व रोग नियंत्रण तकनीक अन्तर्गत जैविक खाद, जैविक फफूंदनाषक, फैरोमेन ट्रेप, नीम तेल आदि कम लागत तकनीक का उपयोग करने की सलाह दी गई।