जानिए ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत किस्में और कैसे होगी अधिक पैदावार 

जानिए ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत किस्में और कैसे होगी अधिक पैदावार 

भोपाल, ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती किसानों के लिए बोनस के रूप में होती है। जो किसान गर्मियों में मूंग की खेती करना चाहते हैं वे अप्रैल के मध्य तक बुआई कर दें। वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को समय और पैसों की बचत के लिए ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई हैप्पी सीडर या सुपर सीडर कृषि यंत्र की मदद से बिना गेहूं की पराली जलाये करनी चाहिए। बुआई सीड ड्रिल या कुंडों से पंक्तियों में करनी चाहिए तथा बीजों को 4-5 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए।

बीजोपचार के बाद करें बुवाई

प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम तथा 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचार करने के बाद राइजोबियम या फाँस्फेट घुलनशील बैक्टरिया (पीएसबी) कल्चर/टीका एक पैकेट 10 किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करके बुवाई करें।

मूंग की उन्नत किस्में

ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत किस्मों में – पूसा विशाल, पूसा 1431, पूसा 1371, पूसा 9531, पूसा रत्ना, पूसा 0672, फूले मोरना (केडीजी 123), आईपीएम 410–3 (शिखा), आईपीएम 205–7 (विराट), आईपीएम 512–1 (सूर्या), एसएमएल 1115, एमएच 318, एमएच 421, एमएसजे 118 (केशवानन्द मूंग 2), जीएएम 5, गुजरात मूंग–7 (जीएम-7) आदि का चयन कर सकते हैं। यह सभी किस्में 65–80 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं।

खाद का प्रयोग

मूंग की फसल के लिए 15–20 किलोग्राम नाईट्रोजन, 40–50 किलोग्राम फाँस्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश एवं 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय कुंडों में डालना चाहिए। कुछ क्षेत्रों में जिंक की कमी की अवस्था में 15- 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जिंक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए। किसानों को खाद-उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए। इसके साथ ही 5 टन/ हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। इस समय मूंग की फसल लगभग दो से ढाई महीने में तैयार हो जाती है। इस कारण से सिंचाई की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती है। सही मायने में ग्रीष्मकालीन मूंग एक बोनस फसल की तरह काम करती है।

3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता

ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की अच्छी वृद्धि व विकास के लिए 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता है। अनावश्यक रूप से सिंचाई करने पर पौधे की वृद्धि ज्यादा हो जाती है, जिसका उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे किसान जिन्होंने पिछले महीने मूंग की बुवाई कर दी है वे किसान 25 से 30 दिन की फसल हो जाने पर पहली सिंचाई करें।

खरपतवार नियंत्रण

मूंग की फसल की पहली सिंचाई के बाद निराई करनी चाहिए। इससे खरपतवार नष्ट हो जाते हैं और साथ–साथ मिट्टी में वायु का संचार होता है। यह मूल ग्रंथियों में क्रियाशील जीवाणुओं द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन एकत्रित करने में सहायक होता है। खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 2–3 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर बुआई के 2—3 दिनों के अंदर अंकुरण के पूर्व छिड़काव करने से 4 से 6 सप्ताह तक खरपतवार नहीं निकलते हैं।
चौड़ी पत्ती तथा घास वाले खरपतवार को रासायनिक विधि से नष्ट करने के लिए एलाक्लोर की 4 लीटर या फ्लुक्लोरालिन (45 ईसी) नामक रसायन की 2.22 लीटर मात्रा का 800 लीटर पानी में मिलाकर बुआई के तुरंत बाद या अंकुरण से पहले छिड़काव कर देना चाहिए। अत: बुआई के 15–20 दिनों के अंदर कसोले से निराई–गुडाई कर खरपतवारों को नष्ट कर दें।

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