देश के सिर्फ 50 फीसदी किसानों को ही मिला कृषि कर्जमाफी योजना का लाभ

देश के सिर्फ 50 फीसदी किसानों को ही मिला कृषि कर्जमाफी योजना का लाभ

मुंबई, अलग-अलग राज्यों में किसानों को कर्ज से मुक्त करने के लिए चलाई गई कृषि कर्जमाफी योजनाओं से देश के कितने किसानों को फायदा हुआ? इसे समझने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमे खुलासा हुआ है कि सिर्फ देश के 50 फीसदी किसानों को ही इसका लाभ मिल पाया है।

योजना की सफलता पर  खड़े हो रहे सवाल
देश में किसानों को कर्ज के बोझ से राहत दिलाने वाली कृषि कर्ज माफी योजना काफी चर्चा में रही है। यह दावा किया जाता है कि अधिकांश किसानों को ऋण माफी योजना का लाभ मिला। लेकिन, एक ताजा रिपोर्ट में इस योजना को लेकर जो खुलासा हुआ है उससे इसकी सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के महज 50 फीसदी किसानों को ही कृषि ऋण माफी योजना का लाभ मिल पाया है। भारतीय स्टेट बैंक के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक 2014 के बाद से जिन 9 राज्यों में कृषि ऋण माफी का एलान किया गया था, उन राज्यों में ऋण माफी की इच्छा रखने वालों में से केवल आधे लोगों को ही इसका लाभ मिल पाया।

छत्तीसगढ़ में 100 फीसदी पात्र किसानों को लाभ 
रिपोर्ट से मुताबिक कृषि ऋण माफी योजना में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल हैं। तेलंगाना में (5 फीसदी), मध्यप्रदेश में 12 फीसदी, पंजाब में 24 फीसदी, झारखंड में 13 फीसदी, पंजाब में 24, उत्तर प्रदेश में 52 फीसदी और कर्नाटक में 38 फीसदी लोगों को योजना का लाभ मिला है। जबकि 2018 में छत्तीसगढ़ में 100 फीसदी पात्र किसान और 2020 में महाराष्ट्र द्वारा 91 फीसदी पात्र किसानों को ऋण माफी योजना का लाभ मिला।

जिनको लक्ष्य करके योजना लागू की गई उन्हें नहीं मिल पाया लाभ
ऋण माफी योजना के तहत आंध्र प्रदेश के 42 लाख किसानों में से 92 फीसदी किसान लाभ के पात्र थे। जबकि तेलंगाना में यह संख्या पांच फीसदी थी। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से 2022 तक लगभग 3.7 करोड़ पात्र किसानों में से मात्र 50 फीसदी को ही ऋण माफी का लाभ मिला। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन किसानों को लक्ष्य करके ऋण माफी योजना चलाई गई थी उन किसानों तक लाभ पहुंचा ही नहीं। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह चिंता भी जताई गई है कि क्या वाकई आर्थिक संकट के दौर में किसानों को इससे फायदा मिलता है?

पात्रता रखने वाले अधिकांश खाते मानक श्रेणी के थे
क्योंकि लोन माफी की पात्रता रखने वाले अधिकांश खाते मानक श्रेणी के थे। इससे यह सवाल खड़ा होता है क्या वाकई लोन माफी जरूरी थी। मानक खाता उन खातों को कहा जाता है जिसमें उधारकर्ता सही समय से अपना ऋण चुका रहा रहा होता है। जबकि ऐसे खातों को भी कृषि ऋण माफी योजना के तहत कवर किया गया। ऐसे खातों की संख्या विशेष रूप से झारखंड (100%), उत्तर प्रदेश (96%), आंध्र प्रदेश (95%), पंजाब (86%) और तेलंगाना (84%) थी।

असली किसानों को पैसा मिला या नहीं
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई के शोधकर्ताओं ने कहा है कि महाराष्ट्र के किसानों को ऋण माफी का लाभ देने के लिए 34000 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी। देश के 9 राज्यों में ऋण माफी योजना को लेकर यह योजना 2014 में लागू की गयी थी। शोध में यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि 2.25 लाख करोड़ रुपए असली किसानों को मिले या नहीं।

नुकसानदायक साबित हो सकती है ऋण माफी कल्चर
रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ऋण माफी कल्चर आने वाले समय में किसानों के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके साथ ही इसका असर किसानों और कृषि के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने पर भी पड़ता है, क्योंकि इस तरह से सरकारों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ संस्थानों को खोखला कर सकता है।

सबको मिले योजनाओं का लाभ तो कर्जमाफी की जरूरत ही नहीं
बता दें कि कई किसान संगठन भी कर्जमाफी की जगह कर्जमुक्ति की मांग कर रहे हैं। अधिकांश कृषि योजनाओं का लाभ भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से किसानों तक नहीं पहुंच पाता। अगर योजनाओं का फायदा सभी किसानों को मिलने लगे, उनकी फसलों का उचित दाम मिले तो कर्जमाफी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।