पत्नी और पेड़ों से प्रेम कायम की मिसाल, एक ने खोदा कुआं तो दूसरे ने पेड़ों के प्रेम खोदा पहाड़
एक ने पत्नी के लिए कुआं तो दूसरे ने पेड़ों के प्रेम खोदा पहाड़
गुना और टीकमगढ़ के माझी दंपती के जुनून-जज्बे की कहानी
बगिया में आम, अमरूद, आंवला, नींबू और पपीता के पौधे लगे
कुछ कर गुजरने का जुनून और न हारने की जिद, जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में इन दो शब्दों को उतार लिया वह नामुमकिन को भी मुमकिन बना सकता है। इसी तरह के संकल्प को पूरा करने के लिए बिहार के दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था।
मध्यप्रदेश में भी कुछ ऐसे दंपतियों ने पत्नी और पेड़ों से प्रेम के चलते अपने जुनून से समाज में एक मिसाल कायम की है। दरअसल, गुना जिले के भारत अपनी पत्नी को रोज-रोज परेशान होते देख रहे थे। एक दिन पत्नी बहुत उदास हो गई। तब उन्होंने खुद का एक कुआं खोदने की ठानी। इसी तरह टीकमगढ़ जिले के बड़ागांव के पचिया ने अपने पति हरिराम के साथ मिलकर सात साल तक पहाड़ काटकर कुआं खोदा और बंजर जमीन पर अपना बगीचा तैयार कर लिया।
भोपाल, मध्य प्रदेश के गुना जिले के भानपुरा बाबा गांव के भारत सिंह मेर की पत्नी आधा किमी दूर हैंडपंप पर पानी भरने जाती थी, उसकी रोज की यह मशक्कत उनसे देखी नहीं गई। 46 साल के भारत सिंह ने घर पर ही 31 फीट गहरा कुआं खोद दिया। मेर के इस प्रेम को देखकर जिले के कलेक्टर ने भी उन्हें सलाम किया है। दरअसल, भारत सिंह की पत्नी सुशीला बाई जिस हैंडपंप पर जाती थीं, उसकी स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं थी। अक्सर उसकी चेन टूट जाती थी। सुशीला बाई बार-बार इससे परेशान होतीं और कभी-कभी तो उन्हें बिना पानी लिए ही लौटना पड़ता था। यह बात भारत सिंह के मन में इतनी गहरी बैठी कि दो महीने पहले घर के बाहर कुआं खोदने की ठान ली। भारत सिंह ने 15 दिन में 31 फीट गहरा और साढ़े चार फीट चौड़ा कुआं खोद दिया। इतना ही नहीं, एक महीने में उसे पक्का कर आधा बीघा जमीन की सिंचाई भी कर डाली।
किस्मत वालों को मिलता है ऐसा पति
भारत सिंह ने बताया कि पहले दिन जब मैंने कुआं खोदने के लिए गैती और फावड़ा चलाया तो सुशीला मजाक उड़ाने लगी। पत्नी का कहना था कि मैं कुआं नहीं खोद पाऊंगा, उसके इस परिहास ने मेरे निर्णय को और मजबूत कर दिया। पांच दिन के भीतर ही करीब 15 फीट तक खोदाई कर दी। अब सुशीला कहती हैं कि जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं है, ऐसा प्रेम करने वाला पति किस्मत वालों को ही मिलता है।
कलेक्टर बोले-दिलाऊंगा पीएम आवास
जिले की यह पहली घटना है कि किसी पति ने अपनी पत्नी के लिए अकेले ही कुआं खोद डाला। कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने कहा कि भारत सिंह और उसकी पत्नी को पीएम आवास दिलाया जाएगा। साथ ही शासन की अन्य योजनाओं का लाभ भी दिलाया जाएगा। भारत सिंह की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
बंधुआ मजदूरी से मिली आजादी
वीरान जमीन में अब फलदार पेड़ों की दिख रही हरियाली
इधर, टीकमगढ़ जिले के बड़ागांव में रहने वाली पचिया अहिरवार ने अपने पति हरिराम अहिरवार के साथ मिलकर सात साल तक पहाड़ काटकर कुआं खोदा और बंजर जमीन पर अपना बगीचा तैयार कर लिया। अब इसी कुंए के पानी से दंपती बगीचे की सिंचाई करते हैं। साथ ही इसी बगीचे से उनकी आजीविका भी चलती है। हरिराम का कहना है कि यह सब कुछ उनकी पत्नी के कारण ही संभव हुआ है। बुजुर्ग दंपती ने कई साल तक बंधुआ मजदूरी की, लेकिन बाद में उससे आजाद हो गए, ऐसे में उन्हें आजीविका चलाने में परेशानी होने लगी। दंपती के पास दो एकड़ बंजर जमीन थी, जो कई साल से वीरान पड़ी रहती थी। इस भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए दोनों ने कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए अधिकारियों के हाथ जोड़े, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। इससे तंग आकर पचिया ने अपने पति को कुआं खोदने के लिए कहा, पत्नी से प्रेरणा लेकर हरिराम ने पहाड़ काटकर कुआं खोदने की शुरुआत की। सात साल तक 20 फीट खुदाई करने के बाद दोनों ने पत्थरों से पानी निकाल लिया। पानी मिलने के बाद दोनों ने बंजर जमीन पर बगिया लगाई और उसे हरा-भरा कर दिया।
बगिया से गुजारा
पचिया अहिरवार बताती हैं सरकारी मदद नहीं मिलने पर हमने एक दूसरे को हिम्मत बंधाई और कुआं खोदने में जुट गए। पानी मिलने के बाद हमने दो एकड़ बंजर जमीन को उपजाऊ बना लिया। अब हमारी बगिया में
आम, अमरूद, आंवला, नींबू
और पपीता सहित कई फलदार पौधे लगे हैं। इसी से परिवार का गुजारा चलता है। अब चारों ओर हरियाली : कुछ साल पहले तक इस भूमि पर कुछ नहीं होता था। मेहनत के कारण अब यहां हरियाली है, बंजर जमीन पर यहां चारों सिर्फ फलदार पेड़ नजर आते हैं। दंपती की इस मेहनत की इलाके के लोग मिसाल देते हैं।