अब ऊसर जमीन पर भी लहलहाएगी फसल, वैज्ञानिकों ने विकसित किया जैव फार्मुलेशन 

अब ऊसर जमीन पर भी लहलहाएगी फसल, वैज्ञानिकों ने विकसित किया जैव फार्मुलेशन 

लखनऊ के CSSRI में तैयार हुआ हेलो मिक्स

लखनऊ, लखनऊ स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) के वैज्ञानिकों ने ऊसर भूमि में सुधार के लिए एक जैव फार्मुलेशन विकसित की है, जिससे ऊसर भूमि में अच्छी पैदावार और रासायनिक उर्वरकों की जरूरत कम होगी। इस फार्मुलेशन का नाम हेलो मिक्स है, और इसमें लवण सहिष्णु जीवाणुओं का उपयोग किया जाता है, जो खेतों में उपज को बढ़ावा देते हैं और ऊसर भूमि की खेती को बेहतर बनाते हैं। इस तरल जैव-फार्मुलेशन के उपयोग से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और जिंक की बचत हो सकती है, जिससे ऊसर मृदा में फसलों के लिए उपयोगी तत्व मिल सकते हैं। ऊसर  खेती में सुधार और उत्पादकता में वृद्धि कर सकता है।इससे ऊसर में किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है। खासकर वे जगहें जहां लवण के कारण ऊसर भूमि  है।
 

कुल 67 लाख हेक्टेयर भूमि लवणता से प्रभावित 

सीएसएसआरआई लखनऊ के मुख्य वैज्ञानिक संजय अरोड़ा ने  बताया कि भारत में कुल 67 लाख हेक्टेयर भूमि लवणता से प्रभावित है और इसमें से 13 लाख हेक्टेयर भूमि उत्तर प्रदेश में है ।इसे खनिज जिप्सम के साथ जैविक उर्वरकों का उपयोग करके सुधार किया जा रहा है। आज के समय में फसलों के उपयोग के लिए खनिज जिप्सम एवं जैविक उर्वरकों की उपलब्धता कम होती जा रही है। लेकिन हैलो मिक्स नामक जैव-फार्मुलेशन से सुधार करके अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। 

कम लागत में फसल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है 
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस  लवण-सहिष्णु बैक्टीरिया के तरल जैव-सूत्रीकरण का उपयोग करके, लवण से प्रभावित होते खेतों में कम लागत में फसल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है साथ ही,जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है। पिछले कई साले से, सीएसएसआरआई,लखनऊ के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जिप्सम और लवण सहिष्णु पौधों के विकास बैक्टीरिया के विकल्प खोजने पर अपनी रिसर्च केंद्रित की है, उपजाऊ मिट्टी के सुधार के लिए उनका जैव-फार्मुलेशन खोज कर तैयार किया गया है।

उर्वरको की होगी बचत
ड़ॉ अरोड़ा ने बताया कि तरल जैव-फॉर्मूलेशन हैलो मिक्स में लवण सहिष्णु जीवाणुओं की उचित संख्या होती है जो कि वातावरण में उपस्थित नाइट्रोजन को एकत्र कर पौध वृद्धि करते हैं साथ ही इस तरल जैव-फॉर्मूलेशन में फास्फोरस एवं सूक्ष्म पष्क तत्व ज़िंक घुलनशीलता में वृद्धि करने वाले लवण सहिष्णु जीवाणु हैं जो पौधे को इन तत्वों को उपलब्ध करातें हैं। इन जीवाणुओं से फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है। ऊसर भूमि में धान, गेहूं, चारा, सब्जी की फसलों एवं तिलहन फसलों आदि के लिए इस जैव-फॉर्मूलेशन के प्रयोग करने से 15-20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 10 से 15 किलोग्राम फास्फोरस एवं 2-4 किलोग्राम ज़िंक प्रति हेक्टेयर की बचत हो जाती हैं। इससे ऊसर मृदा में फसलों पर वातावरण का अनुकूल प्रभाव भी पड़ता हैं इसके जीवाणु जड़ों के पास की मृदा में रासायनिक पोषक तत्व उपलब्ध करातें हैं। यह पौधों की जड़ों में होने वाली कवक जनित बीमारियों से भी बचाते हैं। परिणामस्वरूप पौधे स्वस्थ रहते हैं एवं पैदावार में भी वृद्धि होती है।

15 फीसदी बढ़ जाएगी पैदावार 
ड़ॉ अरोरा ने किसान तक को बताया  हैलो-मिक्स तरल जैव-फॉर्मूलेशन लवण सहिष्णु जीवाणुओं के कंसोर्टिया के प्रयोग से धान एवं गेहूं की फसलों में औसतन 12 से 14 प्रतिशत तक की वृद्धि पायी गयी। साथ ही ऊसर मृदा के पी.एच. मान में 9.7 से घटकर 8.9 तक की कमी देखी गयी। इसके उपयोग से किसानों की आमदनी में धान में 2.31 तथा गेहूं में 2.59 तक औसत लाभ वृद्धि प्राप्त हुई। बीते 6 वर्षो में लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई, सुल्तानपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, आगरा और इटावा के किसानों ने दोनों मौसमों रबी एवं खरीफ में लगभग 3500 एकड़ ऊसर भूमि में धान, गेहूँ, सरसों, बैंगन, फूलगोभी, मटर, टमाटर एवं गन्ना की फसल में प्रयोग कर लाभ प्राप्त किया एवं गुजरात और बंगाल की लवण युक्त भूमि में लाभ मिला है। 

किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
हैलो मिक्स ऊसर भूमि वाले किसानों को उपलब्ध हो इसके लिए जैव-फॉर्मूलेशन तकनीक को एग्रीइनोवेट इंडिया, नई दिल्ली के माध्यम से मैसर्स आई पी एल बायोलोजीकल्स लिमिटेड, गुरुग्राम, को वाणिज्यिक पैमाने पर उत्पादन और विपणन के लिए लाइसेंस भारतीय  कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया है। इसके लिए कंपनी की तरफ से हैलोमिक्स पूरी विधि पर प्रशिक्षण लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिनांक 25 से 29 सितंबर को लखनऊ स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के अन्तर्गत क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक और तकनीक की खोज करने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ संजय अरोड़ा एवं डॉ। यशपाल सिंह द्वारा दिया गया। 

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