बंधक भूमि मुक्त कराने का मौका देगी सरकार

बंधक भूमि मुक्त कराने का मौका देगी सरकार

85,537 किसानों से 2580 करोड़ की वसूली अभी बाकी

फिर एकमुश्त समझौता योजना होगी लागू 

arvind mishra
भोपाल, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के कर्जदार किसानों को अपनी हजारों हेक्टेयर बंधक भूमि मुक्त कराने का मप्र सरकार एक मौका देने जा रही है। इसके लिए सहकारिता विभाग ने एक बार फिर एकमुश्त समझौता योजना लाने का प्रस्ताव तैयार किया है। दरअसल, बैंक बंद (परिसमापन) की प्रक्रिया में है और 85,537 किसानों से 2,580 करोड़ रुपए की वसूली होनी बाकी है। इस राशि को प्राप्त करने और किसानों को बंधक भूमि वापस लौटाने के लिए 2017 में समझौता योजना लाई गई थी। इसमें 20 हजार से ज्यादा किसानों ने 82.67 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाकर 49,600 हेक्टेयर भूमि को मुक्त करा लिया था। खराब वित्तीय प्रबंधन के कारण किसानों को दीर्घकालीन ऋण देने वाला राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक खुद कर्ज की गिरफ्त में फंस गया और अंत तक उबर नहीं पाया। 

किसानों ने दी सहमति

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से शासन की गारंटी पर ऋण लेकर इसने किसानों को दिया था, लेकिन वसूली नहीं हुई। शासन ने नाबार्ड का कर्ज तो अपने ऊपर ले लिया और उसे चुका भी दिया पर सहकारी बैंक का कर्ज फंसा है। इसे वसूल करने के लिए सरकार ने पिछले कार्यकाल में एकमुश्त समझौता योजना लागू की थी। इसमें तीन किस्तों में मूलधन लौटाने पर ब्याज पूरी तरह माफ करने प्रविधान था। 90 हजार से ज्यादा किसानों ने योजना से लिखित में सहमति जताई पर 20 हजार किसानों ने ही 82.67 करोड़ रुपए चुकाए। इससे किसानों को 213 करोड़ रुपए की ब्याज माफी मिली और 49, 600 हेक्टेयर जमीन भी बंधक नहीं रही। 

खरी नहीं उतरी योजना

योजना से जो उम्मीद थी वो पूरी नहीं हुई। अभी भी 38 जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों को किसानों से 2,580 करोड़ रुपए लेने हैं। इसमें मूलधन लगभग सात सौ करोड़ रुपए है। 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि बैंक के पास बंधक है। इसे छुड़ाने के लिए किसानों को कर्ज चुकाना होगा, जो बिना समझौता योजना के संभव नहीं है। एक बार फिर एकमुश्त समझौता योजना लाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिस पर अंतिम निर्णय कैबिनेट में लिया जाएगा। बैंक परिसमापन की प्रक्रिया में है पर किसानों पर कर्ज चढ़ा है। बैंक के पास बंधक भूमि को न तो बेचा जा सकता है न ही उस पर ऋण लिया जा सकता है। वसूली के लिए सहकारिता आयुक्त कार्यालय ने प्रस्ताव दिया है कि 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को यह जिम्मा सौंप दिया जाए।