बुंदेलखंड में खुलेगा दुनिया का पहला 'जल विश्वविद्यालय'

बुंदेलखंड में खुलेगा दुनिया का पहला 'जल विश्वविद्यालय'

पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. रविकांत पाठक और उमाशंकर पांडेय के पहल पर शुरू किया जा रहा

लखनउ, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में दुनिया का पहला 'जल विश्वविद्यालय' खुलने जा रहा है, जो कि करीब 25 एकड़ जमीन पर बनकर तैयार होगा। इस विश्वविद्यालय में भारतीय छात्रों के साथ-साथ विदेशी छात्रों को भी जल संरक्षण की शिक्षा व नई तकनीकों के बारे में सिखाया जाएगा। बता दें कि इस 'जल विश्वविद्यालय' को पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. रविकांत पाठक और पद्मश्री से सम्मानित जल योद्धा उमाशंकर पांडेय के पहल पर शुरू किया जा रहा है। वहीं, इस काम के लिए पूर्व जिलाधिकारी डॉ। चंद्रभूषण ने उच्च शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है।

जल संकट से निपटने के साथ बच्चों के भविष्य को भी बनाया जाएगा
मालूम हो कि 'जल विश्वविद्यालय' में जल संकट से निपटने के साथ बच्चों के भविष्य को भी बनाया जाएगा। तो ऐसे में आइए आज दुनिया के पहले जल विश्वविद्यालय की पहल करने वाले उमाशंकर पांडेय के बारे में जानते हैं, इसके अलावा इन्होंने कैसे इस विश्वविद्यालय को बनाने के बारे में सोचा-

देशभर में ‘जल योद्धा’ के नाम से जाने जाते हैं उमाशंकर पांडेय
साल 2023 के पद्मश्री से सम्मानित उमाशंकर पांडेय का नाम जल विश्वविद्यालय से जुड़ा है। बता दें कि यह एक सोशल वर्कर हैं, जो उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले के जखनी में रहते हैं। यह अपने क्षेत्र में जल संकट की परेशानी को लेकर अपना अहम योगदान देते रहते हैं। बता दें कि यह युवावस्था में ही विकलांग हो गए और इनका जीवन बहुत ही ज्यादा संघर्षों से भरा हुआ रहा है। हालांकि, विकलांग होने के बाद भी इन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के चलते यह आज देशभर में ‘जल योद्धा’ के नाम से जाने जाते हैं। भविष्य में पानी की दिक्कतों को देखते हुए और लोगों को जागरूक करने के लिए इन्हीं की पहल से भारत में दुनिया का पहला 'जल विश्वविद्यालय' खुलने जा रहा है।

जखनी को उमाशंकर ने बनाया जल ग्राम
बुंदेलखंड के ज्यादातर गांव सूखे की समस्या से जूझ रहे थे। उमाशंकर का गांव जखनी भी पानी की परेशानी से काफी लंबे समय से झूझ रहा था। ऐसे में उमाशंकर पांडेय ने अपने गांव में जल ग्राम बनाने का फैसला लिया और जल संकट को दूर करने का काम शुरू कर दिया। अपने इस काम में इन्होंने कड़ी मेहनत की और वह सफल भी हुए। जैसे ही उनके गांव में जल ग्राम बनकर तैयार हुआ उमाशंकर के द्वारा पूरे किए गए इस कार्यों को पूरे देश में सरहाया गया। उमाशंकर के अनुसार, अपने गांव में जल ग्राम बनाने के लिए उन्होंने लगभग 2,000 बीघे में मेड़बंदी की थी। इनकी मेहनत के चलते आज इनका पूरा गांव पानी की परेशानी से मुक्त है।

उमाशंकर को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका 
‘जल योद्धा’ उमाशंकर को उनके द्वारा किए गए काम को लेकर कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें कृषक सम्मान राज्य स्तरीय सम्मान, रजत की बूंदें राष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रीय संवैधानिक जल योद्धा सम्मान आदि अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं।

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