KVK बहराइच तैयार कर रहा गन्ने का नया बीज, अगले साल किसानों को मिलेगा
बहराइच, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा बहराइच पर नवीन गन्ने की प्रजातियां कोशा 15023, कोशा 14201, कोशा 13235 जातियों का बीज की बुवाई की गई है। जिसे किसानों को आगामी समय में बीज के रूप में दिया जाएगा।
ज्यादा उत्पदन के लिए पेयर्ड रो सिस्टम करें बुआई
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ के एम सिंह ने बताया कि गन्ने का अच्छा उत्पादन लेने के लिए गन्ने की बुआई पेयर्ड रो सिस्टम यानी दो नजदीक गन्ने की लाइन एवं फिर दो लाईनो मध्य अधिक दूरी यानी दो नलियों में गन्ने की बुआई करते उसके बाद दो नलियाँ खाली छोड़ देते है। अथवा ट्रेंच मेथड से बुआई करने से अधिक उत्पादन मिलता है।
खाद कौन सी और कितनी डालें
डॉ सिंह ने बताया कि गन्ने की बुवाई के समय 50 किलोग्राम डीएपी, 25 किलोग्राम एम ओ पी व 25 किलोग्राम यूरिया अथवा 150 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 25 किलोग्राम एम ओ पी एवं 50 किलोग्राम यूरिया अथवा एनपीके (12: 32 :16) 75 किलोग्राम एवं यूरिया 20 किलोग्राम या फिर एनपीके (10 :26 :26) 100 किलोग्राम एवं यूरिया 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर 10 से 15 कुंतल सड़ी गोबर की खाद के साथ मिलाकर नाली में डालकर बुवाई करें।
बीज उपचार करने के बाद बुवाई करें
पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ हर्षिता ने बताया कि गन्ने को बीज उपचार करने के बाद बुवाई करें। गन्ने में लाल सड़न एवं उकठा जैसी बीमारी से बचाने के लिए 2 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से ट्राइकोडरमा एवं दीमक से बचाने के लिए व्युवेरिया वैसियाना को गोबर की खाद के साथ मिलाकर प्रयोग करें। प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ सूर्य बली सिंह ने बताया गन्ने की बुवाई के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। गन्ने की एक एक आंख के टुकड़ों की बुवाई के उपरांत बोई गई दो नालियों के मध्य बनी मेड को फावड़ा अथवा दुपंखा हल अथवा हाथ के माध्यम से दाएं बाएं गिरा कर गन्ने के टुकड़ों को ढक दें।
सहफसली खेती भी कर सकते हैं
डॉक्टर वी पी सिंह ने बताया कि 2 बची हुई नालियां मध्य वाली मेढ़ जिसमें गन्ना नहीं बोया गया है उस पर सह फसल के रूप में लाही, कम अवधि की सरसों, आलू, मटर, मेथी, पालक, धनिया, गाजर, मूली, आदि की बुवाई कर खेत से अतिरिक्त् आय प्राप्त करे। जिससे किसानों की आय दोगुनी हो सके।