मार्च के महीने में लगाएं ये फसल, अच्छे उत्पादन के साथ होगा अच्छा मुनाफा
भोपाल, किसान मार्च माह में अगर सही समय पर सही फसल की बुवाई करेंगे, तो यह तय है कि उन्हें उपज भी अच्छी मिलेगी। जब सही सीजन में मांग के मुताबिक सही उत्पाद मार्केट में आएगा, तो किसानों की बिक्री भी बढ़ेगी और इस तरह उनका मुनाफा भी अच्छा होगा। अगर आप भी सब्जियों की बुवाई करने वाले हैं और चाहते हैं कि सही समय पर अच्छी पैदावार मिले, तो फसल का चुनाव भी उसी के मुताबिक करें। मार्च में किस फसल की खेती कर सकते हैं। आने वाले मौसम साथ समय को देखते हुए ही किसानों को बुवाई करनी चाहिए, जिससे बाज़ार में उसकी मांग के चलते अच्छी कीमत मिल सके। कुछ फसलें जिनकी बुआई मार्च में करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
1. ककड़ी
मार्च के महीने ककड़ी की बुवाई आसानी से कर सकते हैं। जहां पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई इस महीने की जाती है, मध्य भारत के किसान फरवरी-जून में भी इसे लगाते है। साथ ही दक्षिण भारत में जनवरी-मार्च तक इसकी बुवाई चलती है. इसका सेवन खास तौर से कच्ची अवस्था में सलाद के रूप में किया जाता है। गर्मियों में इसके सेवन पेट को ठंडक देता है और साथ ही लू लगने की संभावना को भी कम करता है. इसकी उन्नत खेती के लिए गमज़् एवं शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है।
उन्नत किस्में
अर्का शीतल,लखनऊ अर्ली, नसदार, नस रहित लम्बा हरा और सिक्किम ककड़ी।
2. भिंडी
किसान भिंडी की अगेती किस्म की बुवाई फरवरी से मार्च के बीच कर सकते हैं. यह खेती किसी भी मिट्टी में की जा सकती है। खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर बुवाई करनी चाहिए। बुवाई कतार में करनी चाहिए। बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना बहुत ज़रूरी है।
उन्नत किस्में
हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच।
3. करेला
करेला कई बिमारियों के लिए लाभदायक है, इसलिए इसकी मांग भी बाजार में ज़्यादा रहती है। गर्मियों में तैयार होने वाली इसकी फसल बहुउपयोगी है। किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। करेले की फसल को पूरे भारत में कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है। वैसे इसकी अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए अच्छे जल निकास युक्त जीवांश वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।
उन्नत किस्में
ूसा हाइब्रिड 1,2, पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष, कल्याणपुर, प्रिया को- 1, एस डी यू- 1, कोइम्बटूर लांग, कल्यानपुर सोना, बारहमासी करेला, पंजाब करेला- 1, पंजाब- 14, सोलन हरा, सोलन, बारहमासी।
4. लौकी
लौकी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिजलवण के अलावा पर्याप्त मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं। इसकी खेती पहाड़ी इलाकों से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है। इसके सेवन से गर्मी दूर होती है और यह पेट सम्बन्धी रोगों को भी दूर भगाती है। इसकी खेती के लिए गमज़् और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है। सीधे खेत में बुवाई करने के लिए बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें। इससे बीजों की अंकुरण प्रक्रिया गतिशील हो जाती है। इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है।
उन्नत किस्में
पूसा संतुष्टिब, पूसा संदेश (गोल फल), पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईब्रिड 3, नरेंद्र रश्मिी, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा, काशी बहार।
5. खीरा
खीरे की तासीर ठंडी होती है और यही वजह है कि लोग इसका उपयोग गर्मियों में ज़्यादा करते हैं जिससे अपने आप को गर्मी से बचा सकें। इसका सेवन पानी की कमी को भी दूर करता है। देश के कई क्षेत्रों में इसकी खेती प्राथमिकता पर की जाती है। इसकी खेती के लिए सवाज़्धिक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। साथ ही अच्छे विकास के लिए तथा फल-फूल के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना जाता है। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट भूमि, जल निकास के साथ बेहतर मानी जाती है।
उन्नत किस्में
जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75, पीसीयूएच- 1, स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण शीतल।
6. पालक
किसान बलुई दोमट मिट्टी में इसकी बुवाई कर सकते हैं। इसके साथ ही मिट्टी को पलेवा कर जुताई के लिए तैयार करे।. इसके बाद हल से एक जुताई कर 3 बार हैरो या कल्टीवेटर चला लें जिससे मिटटी भुरभुरी हो जाए। अब समतल कर इसमें बुवाई कर सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि किसान कतार में पालक की बुवाई करें।
उन्नत किस्में
पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट, हिसार सिलेक्शन 23, पन्त का कम्पोजीटी 1, पालक न 51-16।
7. खरबूज
खरबूज की बुवाई का समय नवम्बर से लेकर मार्च तक का है। आपको बता दें कि इसकी खेती के लिए अधिक तापमान वाली जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। इस फसल के लिए गर्म जलवायु अधिक होने से इसका विकास भी अच्छा होता है। वहीं जलवायु में नमि होने की वजह से पत्तियों में बीमारी लगने का खतरा बन जाता है। भूमि की तैयारी के समय फास्फेट और पोटाश के साथ नत्रजन की आधी मात्रा को मिलाना चाहिए। वहीं बाकी नत्रजन की मात्रा को बुवाई के 25-30 दिन बाद इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्नत किस्में
पूसा रसाल, दुर्गापुरा लाल, आसाही-यामाटो, शुगर बेबी, न्यू हेम्पसाइन मिडगेट, अर्का ज्योति, दुर्गापुरा केसर।
8. बैंगन
किसान इस महीने बैंगन की खेती कर सकते हैं। इसके लिए जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। खेत में एक हेक्टेयर के लिए 4 से 5 ट्रॉली गोबर खाद का इस्तेमाल किसान ज़रूर करें। ये दो तरह के होते हैं। आप गोल बैंगन के साथ लम्बे बैंगन की भी बुवाई कर सकते हैं।
उन्नत किस्में
लम्बे बैगन: पूसा परपल क्लसटर, पूसा क्रान्ति, पूसा परपल लोंग, पन्त सम्राट, पंजाब सदाबहार आदि।
गोल बैगन: एच- 4, पी- 8, पूसा अनमोल, पूसा परपल राउन्ड, पन्त ऋतु राज, पी बी- 91-2, टी- 3, एच- 8, डी बी एस आर- 31, डीबी आर- 8।
संकर किस्में: अर्का नवनीत, पूसा हाइब्रिड- 6 आदि।