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जलवायु अनुकूलन कृषि कार्यशाला का आयोजन

पन्ना, दिनांक 14 अक्टूबर 2022 को कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना एवं रिलायंश फाण्डेशन द्वारा संयुक्त रूप से जलवायु अनूकूलन कृषि कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. वी.के. सिंह, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय टीकमगढ़ ने कृषकों को संबोधित करते हुए बताया कि जलवायु के विपरीत प्रभाव को कम करने हेतु बागवानी फसलों की खेती पर विशेष जोर देना चाहिए। विशेष रूप से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अमरूद की प्रमुख प्रजातियों इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ-49 एवं ग्वालियर 27 का चयन कर बगीचे की स्थापना करना चाहिए। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. पी.एन. त्रिपाठी ने जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य में फसल विविधता एवं खेती में अन्तरवर्तीय फसल पद्धति अपनाने पर विशेष जोर दिया।

डाॅ. आर.के. जायसवाल ने बदलते मौसम के कारण फसलों में लगने वाली प्रमुख रोग, कीट व्याधि एवं उसके प्रबंधन के बारे में विस्तार से वर्णन किया। डाॅ. रणविजय प्रताप सिंह ने बदलते हुए जलवायु परिदृश्य में उद्यानिकी फसलों की खेती पर विशेष रूप से आंवला, बेर एवं सीताफल की खेती के बारे में बताया। श्री रितेश बागोरा ने मृदा स्वास्थ्य एवं संतुलित उर्वरक प्रबंधन के बारे में बताया। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी श्री संजीत बागरी ने उद्यानिकी फसलों में टपक सिंचाई पद्धति अपनाने की बात कही। रिलायंश फाण्डेशन से श्री संतोष सिंह ने जलवायु परिर्वतन के कारक, दुष्परिणाम एवं इसके प्रबंधन पर प्रकाश डाला। प्रोजेक्ट कोशिका से श्रीमती नीता राहुल ने आदिवासी कृषकों द्वारा सब्जी की खेती की सफलता की कहानी के बारे में बताया। प्रदान, समर्थन एवं पीएसआई संस्था से श्री आशीष सिंह, श्री कुन्दन, श्री कपूर सिंह एवं कविता सिंह ने प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दिया। वल्र्ड विजन इंडिया संस्था से श्री जितेन्द्र सिंह ने अपने संस्था द्वारा किये गये कार्याें के बारे में बताया। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न विभाग एवं स्वयंसेवी संस्था के अधिकारी, प्रतिनिधि, वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील कृषकों सहित 35 लोगों ने हिस्सा लिया। 

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पन्ना, दिनांक 14 अक्टूबर 2022 को कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना एवं रिलायंश फाण्डेशन द्वारा संयुक्त रूप से जलवायु अनूकूलन कृषि कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. वी.के. सिंह, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय टीकमगढ़ ने कृषकों को संबोधित करते हुए बताया कि जलवायु के विपरीत प्रभाव को कम करने हेतु बागवानी फसलों की खेती पर विशेष जोर देना चाहिए। विशेष रूप से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अमरूद की प्रमुख प्रजातियों इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ-49 एवं ग्वालियर 27 का चयन कर बगीचे की स्थापना करना चाहिए। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. पी.एन. त्रिपाठी ने जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य में फसल विविधता एवं खेती में अन्तरवर्तीय फसल पद्धति अपनाने पर विशेष जोर दिया।

डाॅ. आर.के. जायसवाल ने बदलते मौसम के कारण फसलों में लगने वाली प्रमुख रोग, कीट व्याधि एवं उसके प्रबंधन के बारे में विस्तार से वर्णन किया। डाॅ. रणविजय प्रताप सिंह ने बदलते हुए जलवायु परिदृश्य में उद्यानिकी फसलों की खेती पर विशेष रूप से आंवला, बेर एवं सीताफल की खेती के बारे में बताया। श्री रितेश बागोरा ने मृदा स्वास्थ्य एवं संतुलित उर्वरक प्रबंधन के बारे में बताया। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी श्री संजीत बागरी ने उद्यानिकी फसलों में टपक सिंचाई पद्धति अपनाने की बात कही। रिलायंश फाण्डेशन से श्री संतोष सिंह ने जलवायु परिर्वतन के कारक, दुष्परिणाम एवं इसके प्रबंधन पर प्रकाश डाला। प्रोजेक्ट कोशिका से श्रीमती नीता राहुल ने आदिवासी कृषकों द्वारा सब्जी की खेती की सफलता की कहानी के बारे में बताया। प्रदान, समर्थन एवं पीएसआई संस्था से श्री आशीष सिंह, श्री कुन्दन, श्री कपूर सिंह एवं कविता सिंह ने प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दिया। वल्र्ड विजन इंडिया संस्था से श्री जितेन्द्र सिंह ने अपने संस्था द्वारा किये गये कार्याें के बारे में बताया। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न विभाग एवं स्वयंसेवी संस्था के अधिकारी, प्रतिनिधि, वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील कृषकों सहित 35 लोगों ने हिस्सा लिया। 

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