भोपाल में कचरे से बनेगा ईंधन, जिससे चलेंगी गाडिय़ां

भोपाल में कचरे से बनेगा ईंधन, जिससे चलेंगी गाडिय़ां

कचरे से ईंधन बनाने वाले प्लांट की लागत 80 करोड़ रुपए

एनटीपीसी कंपनी आदमपुर छावनी में स्थापित करेगी प्लांट

खासियत: ईंधन का उपयोग कोयले की तरह किया जाएगा 
फायदा: इससे नगर निगम को बड़ी राशि की बचत होगी
उपलब्धि: शहर को कचरे के ढेर से भी मुक्ति मिलेगी

भोपाल, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) द्वारा भोपाल शहर से निकलने वाले कचरे में से हर दिन चार सौ टन कचरे से ईंधन बनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस ईंधन का उपयोग कोयले की तरह किया जा सकेगा। इससे न केवल नगर निगम को बड़ी राशि की बचत होगी बल्कि शहर को कचरे के ढेर से भी मुक्ति मिल सकेगी। कचरे से ईंधन बनाने वाले प्लांट की लागत 80 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इसे बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी द्वारा आदमपुर छावनी में स्थापित किया जा रहा है। करीब डेढ़ साल से जारी मशक्कत के बाद अब इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए 15 एकड़ जमीन के समतलीकरण का काम शुरू कर दिया गया है। 

2021 में ही शुरू होगा काम

अभी दावा किया जा रहा है कि एनटीपीसी प्लांट द्वारा एक तय तापमान पर कचरे से ईंधन का बंडल बनाया जाएगा, जिसका उपयोग कोयले की तरह किया जा सकेगा। इसमें भी खास बात यह है कि नगर निगम को एक भी पैस खर्च नहीं होगा, बल्कि कचरे की प्रोसेसिंग में हर साल होने वाले करीब पांच करोड़ की राशि की भी बचत हो सकेगी। माना जा रहा है कि यह प्लांट इसी साल बनने के बाद काम करना शुरू कर देगा।

शहर में कचरे की स्थिति

800 टन कचरा प्रतिदिन 
360 टन कचरा गीला, 440 टन कचरा
433 गाडिय़ां संग्रहण में लगीं
छह एकड़ में होगा बॉयो सीएनजी प्लांट

दरअसल, भोपाल के प्रवेश मार्ग भानपुर के पास कचरे का पहाड़ खत्म करने के बाद अब निगम अधिकारियों का पूरा फोकस आदमपुर छावनी पर है। यहां पर शहर का अधिकांश कचरा डंप किया जाता है। फिलहाल नगर निगम द्वारा यहां पर हर दिन 20 टन कचरा ही साफ किया जा रहा है। यह शहर से निकलने वाले कचरे की तुलना में बहुत कम है। यही वजह है कि निगम द्वारा लंबे समय से सूखे व गीले कचरे से चारकोल व सीएनजी निर्माण के लिए प्रयास किए जा रहे थे। एनटीपीसी द्वारा अब यहां पर छह एकड़ में बॉयो सीएनजी प्लांट और 15 एकड़ में चारकोल प्लांट स्थापित किए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

बिजली प्लांट में होगा उपयोग

कचरे से बनाए जाने वाले ईंधन का उपयोग बिजली प्लांटों में किया जाएगा। इसके लिए एमओयू होने के बाद अब अंतिम रूप से अनुबंध करने की प्रक्रिया की जा रही है। इसके लिए एनटीपीसी द्वारा प्लांट की स्थापना में किए जा रहे बदलावों को पूरा होने का इंतजार है। जैसे ही फाइनल एग्रीमेंट होगा, उसके तत्काल बाद  प्लांट स्थापना का काम शुरू कर दिया जाएगा।

गीले कचरे से बनेगी सीएनजी, चलेंगी बस

हाल ही में आदमपुर छावनी स्थित लैंडफिल साइट पर क्षेत्रीय विधायक रामेश्वर शर्मा ने बायो सीएनजी प्लांट का भूमिपूजन किया है। अधिकारियों ने बताया कि प्रोजेक्ट में प्रतिदिन दो सौ टन गीले कचरे को निष्पादित कर सीएनजी गैस बनाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट में नगर निगम का एक रुपये भी खर्च नहीं होगा साथ ही नगर निगम को हर साल 61 लाख की रॉयल्टी भी मिलेगी। प्रोजेक्ट भी 15 माह के अंदर पूरा किया जाएगा। 

दो प्रोजेक्ट पर होगा काम

तीन सौ टन सूखे कचरे की री-साइकलिंग के लिए ड्राय वेस्ट मेटेरियल रिकवरी प्रोजेक्ट पर अहमदाबाद की नेप्रा कंपनी काम करेगी। शर्तों के मुताबिक कंपनी से नगर निगम को कचरे के बदले 38 लाख सालाना आय भी होगी। इसमें कई प्रकार की मशीनों का बड़ा सेटअप होगा। दो से तीन माह में प्लांट में मशीन व सेटअप संबंधित पूरा हो सकता है।  

प्रोजेक्ट- कचरे से ईंधन प्लांट

कचरे का निष्पादन- 400 टन से अधिक कचरा प्रतिदिन: दोनों प्रोजेक्ट के बाद प्रतिदिन 400 टन कचरे के निष्पादन के लिए एनटीपीसी का कचरे के रूप में ईंधन बनाने का प्रोजेक्ट लगाया जाना है। प्लांट में कचरे को ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए काम होगा। पहले कचरे की आर्द्रता को खत्म किया जाएगा। फिर कंप्रेसिंग कर निश्चित ताप में कचरे को ईंधन के लिए बंडल का आकार दिया जाएगा। 

एक नजर में प्रोजेक्ट

प्रोजेक्ट का नाम- बायो सीएनजी प्लांट
कंपनी का नाम- नासिक वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी
लागत- 30 करोड़ रुपए
डेडलाइन- 15 महीने
प्लांट का क्षेत्रफल- 6 एकड़
कितना कचरा- 200 टन गीला कचरा  
नगर निगम का खर्च- एक रुपए नहीं 
बचने वाला निगम का खर्च- 2.43 करोड़ 
यूनिडो से मिलने वाला अनुदान- 10.50 करोड़ 
गैस का उपयोग- बीसीएलएल की बसों के संचालन में 
ननि को कितने में  मिलेगी- बाजार से पांच रुपए कम में 
कितना कंपोस्ट बनाया जाएगा- 20 टन कितने वर्षों का अनुबंध- 20 वर्ष

इनका कहना है
यदि प्रोजेक्ट में देरी हुई या लोगों को दिक्कत हुई तो संबंधित अफसरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। प्लांट में स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देने पर फोकस रहेगा।
रामेश्वर शर्मा, विधायक