किसानों ने व्यावसायिक खेती की ओर बढ़ाया कदम, फ्रोजेन मटर का अपना ब्रांड लाने की तैयारी

किसानों ने व्यावसायिक खेती की ओर बढ़ाया कदम, फ्रोजेन मटर का अपना ब्रांड लाने की तैयारी

anand sharan

आरा। बिहार के भोजपुर में किसानों ने सामूहिक एकता की मिसाल पेश की है। गत दो वर्ष से फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाकर खेती कर रहे भोजपुर जिले के चार प्रखंड बड़हरा, बिहिया, कोईलवर व शाहपुर प्रखंड के 309 किसानों को अनुभव हो रहा है। अब इन अन्नदाताओं ने व्यावसायिक खेती की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब ये किसान सिर्फ उत्पादन ही नहीं प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी आगे आ रहे हैं। 

अगले सीजन में लाएंगे खुद का फ्रोजेन मटर ब्रांड 

अब तक ये किसान रांची स्थित एक कंपनी को फ्रोजेन मटर के लिए अपने मटर भेजते थे पर अब इन किसानों को यह समझ में आ गया है कि बाजार में अच्छी गुणवत्ता होने पर दाम अच्छे मिलते हैं, इसलिए अब ये किसान खुद ही अपने उत्पादन को बाजार में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरे के ब्रांड के लिए मटर की सप्लाई करने के बाद अब किसान खुद अपना मटर का ब्रांड लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके तहत जिला उद्यान विभाग की तरफ से कोईलवर में स्थापित पैकेजिंग इकाई क्षमता को बढ़ाया जाएगा। मटर के अलावा यह और भी सब्जियों की ग्रेडिंग और पैकेजिंग भी की जाएगी। 

पहले उद्यान विभाग ने मना किया, बाद में किसानों का हौसला देख प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत ऋण के तौर पर वित्तीय मदद करने को सहमत हो गया है। सब कुछ ठीक रहा तो किसानों का अपना फ्रोजेन मटर का ब्रांड अगले सीजन में बाजार में होगा। एफपीसी के अध्यक्ष कौशल सिंह ने बताया कि अभी ब्रांड का नाम नहीं सोचा गया है, यह सदस्यों की सहमति से तय होगा।

‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत शुरू किया काम

किसानों को सरकार का समर्थन ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत भोजपुर के मटर के चयन के कारण मिला। प्रगतिशील किसान कौशल सिंह ने 309 मटर उत्पादक किसानों को इकट्ठा संगठन बनाया और कंपनी एक्ट से इसका निबंधन कराया।

निजी कंपनी से एफपीसी का एमओयू कराया

2022 में अत्याधुनिक तकनीक व गुणवत्ता वाले मटर बीज की प्राप्ति के लिए निजी कंपनी से एफपीसी का एमओयू (मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग) कराया। बीज मिला तो एफपीसी से जुड़े किसान 438 एकड़ से अधिक भूमि में मटर की आधुनिक तरीके से खेती करने लगे।

एक महीने में निजी कंपनी को भेजे 20 टन मटर

गत जनवरी माह में 20 टन मटर निजी कंपनी की रांची इकाई को भेजे गए। मूल्य बाजार भाव से 20 प्रतिशत अधिक मिला। लाभ बढ़ा तो कंपनी के पांच सदस्यीय निदेशक मंडल व अन्य किसानों ने सर्वसम्मति से स्वयं बाजार में उतरने का निर्णय किया है।

क्या कहते हैं कंपनी के अध्यक्ष?

कंपनी के अध्यक्ष कौशल सिंह ने बताया कि कोईलवर प्रखंड के बिशुनपुर में उद्यान विभाग ने पैक हाउस बनवाया है, लेकिन इसकी क्षमता कम है। इस कारण लागत अधिक पड़ती है। अब ऋण लेकर इसकी क्षमता प्रतिदिन तीन मीट्रिक टन की जा रही है।

12 सौ एकड़ में होती मटर की खेती

भोजपुर जिले में मटर की खेती कुल 1200 एकड़ में होती है। यह सब्जी वाली मटर होती है। इसको फ्रोजेन नहीं किया जाए तो ज्यादा दिन टिकता नहीं है।

भोजपुर में पी-3, जी-10 एवं हरिभजन प्रजाति के मटर उपजाए जाते हैं

कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. पीके द्विवेदी ने बताया कि भोजपुर में पी-3, जी-10 एवं हरिभजन प्रजाति के मटर उपजाए जाते हैं। इसे धूप में सुखा कर नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि पैक हाउस की क्षमता वृद्धि के बाद मटर निर्धारित तापमान में फ्रीज करके पैक किए जा सकेंगे। इससे किसानों को मटर का बढ़ा मूल्य मिल सकेगा, सीजन में औने-पौने भाव में बेचने की विवशता नहीं रहेगी।

438 एकड़ से अधिक जमीन में मटर की आधुनिक खेती 

उल्लेखनीय है कि एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत भोजपुर जिले के लिए मटर का चयन किया गया है। यहां के प्रगतिशील किसान कौशल सिंह ने 309 मटर किसानों को एकजुट करके एक किसाम उत्पादक कंपनी का गठन किया है। साथ ही कंपनी एक्ट के तहत इसका निंबधन भी कराया है। इस एफपीसी के सफलता की कहानी 2022 में शुरू हुई। जब एक कंपनी ने गुणवत्तापूर्ण बीज के लिए एफपीसी के साथ एमओयू किया। इसके बाद जब किसानों को बीज मिला को एफपीसी से जुड़े किसानों ने 438 एकड़ से अधिक जमीन में मटर की आधुनिक खेती की शुरुआत की। 

सबसे अधिक बड़हरा में होती मटर की खेती

जिले में मटर की खेती सुबसे अधिक बड़हरा प्रखंड में 611 हेक्टेयर में होती है। कोईलवर प्रखंड में 165, शाहपुर में 274 और उदवंतनगर में 88 हेक्टेयर में होती है। बड़हरा, कोईलवर और शाहपुर प्रखंड में सिंचाई का साधन नहीं है। जनवरी में हल्की वर्षा से यह फसल लहलहाने लगती है।

जिले में चार लाख से अधिक किसान जुड़े 

इस मटर में खास स्वाद है। इसलिए फरवरी के पहले सप्ताह में इसे मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में अधिक कीमत मिलती है। यह असिंचित प्रखंडों की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इससे जिले में चार लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। इसकी बुआई में कम खर्च है। किसान जैविक उर्वरक का उपयोग करके अपनी फसल में खास स्वाद भी भर रहे हैं।

क्षमता बढ़ाई जा रही है पैक हाउस की क्षमता 

कंपनी के अध्यक्ष कौशल सिंह बताते हैं कि उद्यान विभाग की तरफ से एक पैक हाउस बनाया गया है पर इसकी क्षमता कम है। इसलिए अब लोन लेकर इसकी क्षमता बढ़ाई जा रही है। बता दे कि जिले में 1200 एकड़ में सब्जी वाले मटर की खेती की जाती है। इस मटर को अधिक दिन तक फ्रेश रखने के लिए फ्रोजेन रखने की जरूरत होती है। भोजपुर केवीके के निदेशक के अनुसार जिले में पी-3, जी-10 और हरिभजन प्रजाति के मटर की खेती की जाती है। इस मटर को धूप में सूखा कर नहीं रख सकते हैं। इसलिए पैक हाउस में फ्रीज करने के बाद किसान इसे लंबे समय तक रख पाएंगे और औने-पौने दाम में बेचने के लिए किसानों को मजबूर नहीं होना पडे़गा। 

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