क्षमता निमार्ण प्रशिक्षणों के माध्यम से पशुपालकों को किया जा रहा है प्रशिक्षित
khemraj mourya
शिवपुरी। भारत सरकार के मछली, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय से प्राप्त लक्ष्य तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-अटारी, जबलपुर से मिले निर्देर्शों के क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, शिवपुरी द्वारा डेयरी एवं पशुपालन व्यवसाय को लाभकारी बनाने हेतु जिले केे विभिन्न विकास खण्डों में पशुपालकों, बकरी पालकों एवं मुर्गी पालकों के लिए ‘‘क्षमता निमार्ण प्रशिक्षणों’’ का आयोजन किया जा रहा है। प्रशिक्षणों के माध्यम से वैज्ञानिकों द्वारा पशुपालन की उन्नत वैज्ञानिक तकनीकी से ग्रामीण पशुपालक रूबरू होकर लाभ उठा रहे हैं। केद्र द्वारा अब तक जिले के चार विकास खण्डों में 360 से अधिक पशुपालकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। प्रशिक्षण के दौरान व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षणार्थी पशुपालकों के पशुओं को वैज्ञानिकों द्वारा क्रमिनाशी दवा भी पिलाई जा रही है।
पशुपालकों को मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर क्रेंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. एस. पी. सिंह (पशुपालन एवं डेयरी) द्वारा क्षमता निमार्ण प्रशिक्षण प्रदान किये जा रहा हंै। इस संबंध में जानकारी देते हुऐ केवीके प्रमुख डाॅ. एस.पी.सिंह ने बताया कि लक्ष्य के तहतः केंद्र को पांच प्रशिक्षणों तथा 200 पशुपालकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें केंद्र द्वारा जिले के अलग-अलग विकास खण्डों में अब तक चार प्रशिक्षण आयोजित करके 360 से अधिक पशुपालक, बकरी पालक एवं मुर्गी पालकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। आयोजित प्रशिक्षणों के क्रम में क्रमशः करैरा ब्लाक के मामौनी खुर्द गांव में ‘बकरी पालन’ प्रशिक्षण का आयोजन करके बकरी पालक महिलाओं को जानकारी दी गई। बदरवास ब्लाक के इंदार गांव में ‘डेयरी पशुओं का प्रजनन प्रबंधन’ तथा नरवर ब्लाक के मायारामपुरा गांव में ‘दुधारू गाय और भैंसों में दुग्ध उत्पादन के लिए संतुलित आहार का महत्व’ विषयों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं। इसी प्रकार से पोहरी ब्लाक के आदिवासी गांव में मुर्गी पालकों को ‘कड़कनाथ मुर्गी पालन’ विषय पर प्रशिक्षण दिया गया है। शेष बचे एक प्रशिक्षण का आयोजन फरवरी माह में प्रस्तावित है।
डाॅ. सिंह ने बताया कि प्रशिक्षणों को व्यावहारिक बनाने के लिए प्रशिक्षणार्थीयों की गाय, भैंस एवं बकरियों को पेट के कीड़ों की क्रमिनाशी दवा निःशुल्क खिलाई एवं पिलाई गई है। साथ ही मुर्गी पालकों को भी मुर्गियों से अधिक लाभ लेने तथा उन्हें स्वस्थ्य रखने हेतु दवा वितरित की गई है। सभी प्रशिक्षण तीन दिवसीय आयोजित किये गये हैं जिसमें प्रशिक्षणार्थीयों को स्टेशनरी, भोजन-नास्ता आदि भी उपलब्ध कराया गया है। इसी क्रम में सहायक प्रशिक्षण के रूप में ‘वर्मी कम्पोस्ट तकनीकी’ पर किसान-पशुपालकों को एक तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित भी किया गया है। प्रशिक्षणों में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एस.एस. कुशवाह, डा. एम.के. भार्गव, वैज्ञानिक डा. ए.एल. बसेडिया, डा. पुष्पेंद्र सिंह, जे.सी. गुप्ता, एन.के.कुशवाह, विजय प्रताप सिंह कुशवाह, सतेंद्र गुप्ता आदि द्वारा पूर्ण सहयोग देकर प्रशिक्षणों को सफल बनाया गया।