कृषि वैज्ञानिकों ने बताया बदलते मौसम में कैसे करें फसलों की देखभाल
बैतूल। कृषि विज्ञान केंद्र, बैतूल के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. व्हीके वर्मा के अनुसार वर्तमान मौसम जिसमें लगातार बादल बने हुए हैं एवं तापमान सामान्य से अधिक है, जिसके कारण रबी की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मसूर आदि में वांछित बढ़वार की कमी देखी गई है एवं कीट-व्याधि का प्रकोप आरंभिक अवस्था में देखा गया है। केन्द्र के पौध संरक्षण वैज्ञानिक आर.डी. बारपेटे ने बताया कि गेहूं की फसल में संभवत: पहली बार इस अवस्था में खरीफ मौसम के प्रमुख कीट फॉल आर्मी वर्म, चने की इल्ली, तम्बाकू की इल्ली आदि का प्रकोप देखा गया है। इन कीटों के साथ-साथ गेहूं एवं चना दोनों फसलों में जड़ एवं तना में फफूंदजन्य बीमारियों का संक्रमण भी परिलक्षित हो रहा है। आगामी दिनों में यदि मौसम साफ होकर तापमान में कमी नहीं हुई तो इन कीट-व्याधियों का प्रकोप फसलों को ज्यादा नुकसान करेगा।
वर्तमान मौसम एवं फसल की अवस्था को ध्यान में रखते हुए निम्न प्रबंधन उपाय करने की आवश्यकता है-
-रबी फसलों को पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने पर भी क्रांतिक सिंचाई ही करें, अतिरिक्त नमी इन फसलों में कीट एवं व्याधि को बढ़ाते हैं।
-गेहूं की फसल में पीलापन या कीट-व्याधि का प्रकोप होने पर यूरिया के प्रयोग को स्थगित रखें, नत्रजन की पूति हेतु नैनो यूरिया को प्राथमिकता दे। यह फसल, भूमि एवं पर्यावरण के प्रति मित्रवत है, साथ ही इसकी कीमत भी कम है।
-गेहूं की फसल में फाल आर्मी वर्म (कीट की प्रमुख पहचान इल्ली के सिर पर उल्टे व्हाय आकर की रेखाएं) के प्रकोप होने पर इमेमेक्टिन बेंजोएट 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या बिवेरिया बेसियाना 2.5 मि.ली. का छिड़काव करें।
- गेहूं में खरपतवार प्रबंधन हेतु रासायनिक खरपतवारनाशियों का प्रयोग 25 दिन की फसल होने पर ही करें।
- कीटनाशक एवं किसी भी तरह के पोषक तत्वों का मिश्रण उपयोग न करें।
-चने की फसल में संभव होने पर डौरे चलाएं।