शिवपुरी जिले में सरसों उत्पादन की असीम संभावनाएं

शिवपुरी जिले में सरसों उत्पादन की असीम संभावनाएं

khemraj morya

शिवपुरी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-सरसों अनुसंधान निदेशालय  द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय कृषक एवं प्रसार कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में ग्राम पड़ोदा विकासखंड कोलारस में 47 किसान तथा कृषि विज्ञान केंद्र, शिवपुरी में 33 प्रसार कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। जिले में कम लागत में अधिक मुनाफे की फसल जो विगत वर्ष 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में हो रही थी, जिसका रकबा बढ़कर इस वर्ष 128 हजार हेक्टेयर तक होकर 212 प्रतिशत तक क्षेत्र में वृद्धि हो गयी है। जिला प्रशासन कृषि विज्ञान केन्द्र एवं कृषि विभाग के संयुक्त प्रयासों से जिले में तिलहनी फसल सरसों का क्षेत्र एवं उत्पादन बढ़ रहा है।

नवीन प्रजाति गिरिराज एवं आरएच-749 प्रजातियां

जिले में सरसों की उन्नतशील नवीन प्रजाति गिरिराज एवं आरएच-749 प्रजातियां बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.एस.पी.सिंह द्वारा सरसों अनुसंधान निदेशालय से समन्वय कर इन प्रशिक्षणों का आयोजन केवीके के माध्यम से किसानों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं में सरसों उत्पादन तकनीक से अवगत कराने के लिए कराया जा रहा है। ऑनलाइन माध्यम से निदेशक विस्तार सेवाएं, राविसिंकृदिवि गवालियर डॉ.वाय.पी.सिंह ने कहा कि सरसों में गंधक पोषक तत्व का संतुलित प्रयोग, उन्नत सस्य उत्पादन तकनीकी तथा पौध संरक्षण के द्वारा जिले में सरसों की उत्पादकता और अधिक बढ़ाई जाने की काफी गुंजाइश है। सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा द्वारा प्रशिक्षण में संबोधित करते हुए कहा कि शिवपुरी जिले में सरसों उत्पादन बढ़ाये जाने की असीम संभावनाएं हैं, जिसे सरसों की उन्नत तकनीक को अपनाकर हासिल किया जा सकता है।

उप संचालक, कृषि यू.एस.तोमर द्वारा विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया गया कि प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त की गई तकनीकी को अधिक से अधिक गांव के किसानों को पहुंचाने का कार्य करें। केन्द्र के फसल संग्रहालय में उन्नत प्रजातियां जिसमें गिरिराज, एनआरसीएचबी 101, एनआरसीडीआर 2, आरएच-749, आरएस-725, आरएसके 406. आरवीटी-1 एवं एनआरसीवायएस 05-02 को लगाया गया है। प्रशिक्षण के दौरान फसल संग्रहालय का अवलोकन कराते हुए जिले के परिप्रेक्ष्य में सफल प्रजातियों की पहचान कर कृषकों के लिए उन्नत पहचानी जाने वाली किस्म के बारे में जानकारी की गई तथा कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एम.के.भार्गव प्रशिक्षण प्रभारी द्वारा सस्य उत्पादन सरसों की अंतवर्ती एवं समन्वित कृषि प्रणाली मधुमक्खी पालन इत्यादि के समन्वय के बारे में प्रेजेंटेशन के द्वारा जानकारी दी गई।

डॉ.जे.सी.गुप्ता द्वारा सरसों में कीट-रोग नियंत्रण के साथ सरसों उत्पादन की बारीकियों के बारे में प्रेजेंटेशन के द्वारा बतलाया गया। डॉ.पुष्पेंद्र सिंह वैज्ञानिक (पादप प्रजनन) ने उन्नत नई प्रजातियों के बारे में प्रेजेंटेशन दिया। डॉ. नीरज कुशवाहा तकनीकी अधिकारी द्वारा कृषि वानिकी और सरसों उत्पादन के बारे में समझाया। विजय प्रताप सिंह, शोध अध्येता द्वारा कृषि और मौसम परामर्श सूचना के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम में सफल आयोजन में सतेन्द्र गुप्ता कायाज़्लय अधीक्षक सह लेखपाल, कु.आरती बंसल स्टेनो एवं श्रीमती नीतू वमाज़् सहायक ग्रेड 3 की सहभागिता भी महत्वपूर्ण रही।