आदिवासी किसानों के साथ मोटे अनाज की खेती पर कार्यक्रम
शशिकान्त सिंह
साहबगंज/झारखण्ड, नमामि गंगे जागरुकता कार्यक्रम के तहत हैस्को संस्थान देहरादून के द्वारा आदिवासियों किसान के साथ मोटे अनाज की खेती जैसे कोदो मडुआ मक्का बाजरा खेती के लिए बैठक किया। जिसमें समाजसेवी निवस कुमार एवं क्षेत्र का अध्ययन करने आये केरला के दो साथी भी थे। इन लोगों ने आदिवासियों के साथ मोती झरना के गाँव में बैठक किया। यहाँ धान और गेहूँ की वर्षा आधारित खेती होती है। पानी के अभाव में कभी कभी खेत ऐसे ही छुट जाते हैं।
इन लोगों ने यहाँ के किसानों को मोटे अनाज की खेती जैसे कोदो मडुआ मक्का बाजरा खेती के लिए जानकारी देते हुए जागरूक किया। आगे उसके उस से बनने वाले अन्य खाद्य पदार्थ की जानकारी दी गई। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर उपजने वाले फसल से जैसे मक्के का लड्डू, बाजरे के लड्डू, मल्टीग्रेन आटा इत्यादि की जानकारी दी गई। किसानों ने यह निर्णय लिया कि अपने खेतों में इस बार मोटे अनाज़ की खेती करेंगे और वर्षा आधारित अपनी खेती से निर्भरता को कम करेगें। उनका कहना था कि वो पहाड़ी क्षेत्र से है। इन फसलों की खेती उनके लिए आसान है। जिसे अच्छी आमदनी कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन हैस्को संस्थान के प्रतिनिधि नंदलाल सिंह ने किया।