बाजरा और अन्य पोषक अनाज को लोकप्रिय बनाने देश और विदेश में कई कार्यक्रम चलाएगी सरकार: नरेंद्र सिंह तोमर
नई दिल्ली, बाजरा और अन्य पोषक अनाज को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार देश और विदेश में कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, राज्य सरकारों के साथ, कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) और कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के समन्वय से पोषक अनाज को बढ़ावा देंगे। 'अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष' विषय पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बात कही।
भारत के प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईओएम) घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। भारत के प्रस्ताव को 72 देशों ने समर्थन दिया और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने मार्च 2021 में साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईओएम) के रूप में घोषित किया।
पीएलआई योजना भी शुरू
बैठक को संबोधित करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि भारत सरकार ने आईवाईओएम-2023 के भव्य समारोह के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाई है। आईवाईओएम-2023 की कार्ययोजना उत्पादन, खपत, निर्यात, ब्रांडिंग आदि को बढ़ाने की रणनीतियों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाजरा को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना भी शुरू की है।
प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत अभियान घोषणा के हिस्से के रूप में, सरकार ने 31 मार्च 2021 को 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 'खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना' नामक केंद्रीय योजना को मंजूरी दी। इस योजना को 2021-22 से सात साल की अवधि 2026-27 तक लागू किया जाएगा। इस योजना के प्राथमिक उद्देश्यों में वैश्विक खाद्य निर्माण चैंपियन बनाने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य उत्पाद के भारतीय ब्रांडों का सहयोग करना शामिल है। योजना के तहत सहायता प्रदान करने के लिए उच्च विकास क्षमता वाले विशिष्ट खाद्य उत्पादों की पहचान की गई है। इनमें बाजरे पर आधारित उत्पादों सहित पकाने के लिए तैयार/खाने के लिए तैयार (आरटीसी/आरटीई) खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
कोर समिति का गठन
श्री तोमर ने बताया कि पोषक अनाज को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों और नीतियों की निगरानी के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति और सचिव, डीए एंड एफडब्ल्यू और सचिव डीएआरई की अध्यक्षता में एक कोर समिति का गठन किया गया है।
सरकार ने आईवाईओएम के लिए 'सात सूत्र' (विषय) विकसित किए हैं जिन्हें संबंधित मंत्रालय/विभागों द्वारा लागू किया जाएगा- उत्पादन/उत्पादकता में वृद्धि (डीए एंड एफडब्ल्यू/डीएआरई), पोषण और स्वास्थ्य लाभ (स्वास्थ्य मंत्रालय/एफएसएसएआई), मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और पकाने की विधि का विकास (खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और पर्यटन मंत्रालय), उद्यमिता/स्टार्टअप/सामूहिक विकास (वाणिज्य और डीए एंड एफडब्ल्यू), ब्रांडिंग लेबलिंग और प्रचार सहित जागरूकता पैदा करना (सभी मंत्रालय), अंतरराष्ट्रीय पहुंच (वाणिज्य और विदेश मंत्रालय) और मुख्यधारा के लिए नीतिगत कदम (खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग और डीए एंड एफडब्ल्यू)।
बाजरा प्रोटीन, फाइबर, खनिज, आयरन, कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत
बाजरा प्रोटीन, फाइबर, खनिज, आयरन, कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। भारत बाजरे का एक प्रमुख उत्पादक है, जो एशिया के उत्पादन का 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है। भारत में बाजरे की औसत उपज (1239 किलो/हेक्टेयर) भी वैश्विक औसत उपज 1229 किग्रा/हेक्टेयर से अधिक है। भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख बाजरा फसलें और उनके उत्पादन का हिस्सेदारी प्रतिशत पर्ल मिलेट (बाजरा)- 61 प्रतिशत, ज्वार- 27 प्रतिशत और फिंगर मिलेट (मडुआ/रागी)- 10 प्रतिशत है।
बाजरे को पोषण मिशन अभियान के तहत शामिल किया गया
सरकार ने बाजरा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करने और लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए 2018 में राष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाया गया। बाजरे के पोषण मूल्य को देखते हुए सरकार ने अप्रैल 2018 में बाजरे को पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया और बाजरे को पोषण मिशन अभियान के तहत शामिल किया गया। 500 से अधिक स्टार्टअप बाजार मूल्य श्रृंखला में काम कर रहे हैं वहीं, भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान ने आरकेवीवाई-रफ्तार के तहत 250 स्टार्टअप को साथ लिया है। 66 से अधिक स्टार्टअप को 6.2 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है जबकि लगभग 25 स्टार्टअप को आगे वित्तपोषण के लिए मंजूरी प्रदान की गई है।
सलाहकार समिति कीबैठक में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और कैलाश चौधरी ने हिस्सा लिया। बैठक में शामिल होने वाले सांसदों में असित कुमार मल, बेल्लाना चंद्रशेखर, जसकौर मीणा, प्रदीप कुमार चौधरी, रमा देवी, सचिव डीए एंड एफडब्ल्यू, मनोज आहूजा, एस. रामलिंगम, श्रीनिवास दादासाहेब पाटिल और राम शकल थे। सचिव, डीएआरई और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र और मंत्रालय व आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी विचार-विमर्श में भाग लिया।