नरसिंहपुर का प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र 'बीमार'
प्राकृतिक सौंदर्य के साथ बहुमूल्य औषधियों का भंडार
prahlad kourav
नरसिंहपुर, जिले के वनांचल में में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ बहुमूल्य औषधियों का भंडार है। जरूरत है तो बस इनकी पहचान करने वालों की। एक दशक पूर्व इस दिशा में वन विभाग के एक रेंजर ने पहल करते हुए बरमान क्षेत्र में प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना की थी, लेकिन कुछ समय तक ठीक-ठाक संचालन के बाद आज ये केंद्र कबाड़ हो चुका है। औषधियों के जानकार तक वन विभाग में नहीं बचे हैं। इसे देखते हुए जिले का वन विभाग अब प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के कायापलट की तैयारी में है। जल्द ही औषधियों के जानकारों-स्थानीय वैद्यों की तलाश कर इस केंद्र का संचालन उनके जिम्मे करेगा।
12 साल पहले वन विभाग के तत्कालीन रेंजर मथुरा प्रसाद रिछारिया ने आयुर्वेदिक औषधियों के संग्रहण और इनका प्रयोग विभिन्न बीमारियों में करने के मकसद से सतधारा के पास प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना की थी। लेकिन रिछारिया के जाते ही केंद्र बदहाली का शिकार हो गया।
वर्तमान में भी वन विभाग में औषधियों का जानकार उपलब्ध नहीं है, इसलिए हम अब स्थानीय वैद्यों-जानकारों की सेवाएं लेने की योजना बना रहे हैं। हमारा प्रयास है कि सबसे पहले बरमान समेत आसपास के वनांचल में रहने वाले औषधियों के जानकारों की तलाश की जाए। इसके लिए अधीनस्थों को निर्देशित कर दिया गया है।
महेंद्र सिंह उइके, वन मंडलाधिकारी, नरसिंहपुर