पहली बार गोदाम संचालक सरकार के लिए खरीदेंगे समर्थन मूल्य पर गेहूं
भोपाल। मध्य प्रदेश में पहली बार गोदाम संचालक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार के लिए गेहूं की खरीद करेंगे। इसके लिए उन्हीं गोदामों का चयन किया जाएगा, जिनमें कम से कम तीन हजार टन भंडारण क्षमता रिक्त होगी। इससे प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों पर पड़ने वाला खरीद का अतिरिक्त भार कम होगा और परिवहन व भंडारण के झंझट से भी मुक्ति मिलेगी।
खरीद प्रक्रिया में शामिल होने के लिए गोदाम संचालकों को उपार्जन (खरीद) केंद्र के रूप में पंजीयन कराना होगा। यह प्राविधान उपार्जन नीति 2021 में किया जा रहा है, जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सहमति मिलने के बाद खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग अंतिम रूप दे रहा है। प्रदेश में 1,975 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 22 मार्च से गेहूं की खरीद प्रारंभ होगी।
किसानों की सुविधा के लिए 4,529 खरीद केंद्र बनाए जाएंगे। इसमें सहकारी समितियों के अलावा महिला स्वसहायता समूह और कृषक उत्पादक समूह शामिल हैं। पहली बार गोदाम स्तर पर खरीद गोदाम संचालक ही करेंगे। यह काम अभी तक सहकारी समितियां करती रही हैं, लेकिन कार्यभार अधिक होने से लगातार मांग की जा रही थी कि विकल्प बढ़ाए जाएं। गोदाम स्तर पर सीमित खरीद होती है। जबकि, अधिकतर जगह पर खरीद की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं। भंडारण के लिए उपार्जन केंद्रों से गेहूं परिवहन कर लाना होता है। इसमें समय और धन दोनों लगता है, इसलिए तय किया गया कि गोदाम संचालकों को ही खरीदने का अधिकार दे दिया जाए। इसके लिए उन्हें उपार्जन केंद्र के रूप में पंजीयन कराना होगा।
गुणवत्ता नियंत्रण की व्यवस्था पहले की तरह रहेगी। प्रति क्विंटल लगभग 27 रुपये कमीशन गोदाम संचालक को मिलेगा। भंडारण के लिए राज्य भंडार गृह निगम से अनुबंध होगा। गोदामों का चयन कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति करेगी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई का कहना है उपार्जन व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। गोदाम स्तर पर अब संचालकों से खरीद कराई जाएगी।
किसानों की सूची पंचायतों में होगी चस्पा
समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले किसानों की सूची पहली बार पंचायतों में चस्पा की जाएगी। किसानों को आनलाइन भुगतान खाते में होगा। ऐसे किसान, जिन्होंने पिछले साल की तुलना में पचास फीसद अधिक क्षेत्र पंजीयन में दर्ज कराया है उनका भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। चार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र, मोबाइल एप से पंजीयन कराने वाले, भू-राजस्व के रिकार्ड और पंजीयन में अलग-अलग नाम होने पर भी सत्यापन कराया जाएगा।