टमाटर के भाव ने किसानों के निकाले आंसू
रायसेन को टमाटर जिला: जानवर खा रहे टमाटर
amit soni
रायसेन, आम लोगों की जेब ढीली करने वाला टमाटर अब किसानों के आंसू निकाल रहा है। दरअसल, रायसेन का टमाटर किसान इस साल बर्बाद हो गया। बंफर फसल हुई तो उम्मीद थी कि अच्छे दाम मिलेंगे। लेकिन बाजार नहीं मिलने के कारण इस बार लागत भी नहीं निकल पायी। जेब में पैसा नहीं तो माल की ढुलाई भी कैसे करें इसलिए किसानों ने मवेशियों के खाने के लिए टमाटर सड़क और नालियों में फेंक दिए हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत रायसेन को टमाटर जिला घोषित किया गया है।
यहां का टमाटर उत्तर और दक्षिण भारत जाता था। लेकिन कोरोना काल और ऊपर से दक्षिण में इस बार टमाटर की भरपूर पैदावार ने रायसेन के टमाटर का मार्केट चौपट कर दिया। टमाटर के दाम नहीं मिलने पर किसान टमाटर फेंकने के लिए मजबूर हैं। हालात ये हैं कि इस बार लागत, बीज, दवाइयां और अन्य खर्च तक नहीं निकल पाया। रायसेन में टमाटर से सड़कें और नहरें लाल हो रही हैं।
लोकल मार्केट में उपज का दाम नहीं मिल पा रहा। यहां के बाड़ी इलाके में टमाटर की पैदावार होती है। इस बार बंपर क्रॉप के कारण भाव औंधे मुंह गिर पड़े हैं। टमाटर खेतों में सड़कर खराब होने लगा है। दर्जनों बीघा जमीन पर टमाटर की पैदावार करने वाले किसानों को इस बार बीज, दवाई और अन्य खर्च तक निकालना मुश्किल हो गया है। 22 किलोग्राम के एक क्रेट के अब 40 रुपए मिल रहे हैं। इसके बावजूद खरीददार नहीं मिल रहे हैं।
रायसेन से नहीं निकल पाया टमाटर
रायसेन से काफी ज्यादा मात्रा में टमाटर उत्तर और दक्षिण भारत जाता था। इसलिए यहां बड़े पैमाने पर खेती होने लगी। इस बार बारिश ज्यादा होने के कारण बाजार में महंगा गेहूं पहुंचा तो दोनों जगह टमाटर की डिमांड कम हो गयी। इसलिए रायसेन का टमाटर रायसेन में ही रह गया।
उम्मीदों पर फिरा पानी
उत्तर दक्षिण भारत के व्यापारी आने से यहां के किसानों को अच्छा रेट मिलने लगा था। लोगों ने एक दूसरे की खेती देख कर टमाटर की खेती चालू कर दी। यहां तक की किराए पर जमीन लेकर टमाटर लगाया, लेकिन इस बार सारा प्लान चौपट हो गया। अब उद्यानकी विभाग नई तकनीकी के साथ खेती कराने और शासकीय योजनाओं का फायदा किसानों को पहुंचाने के लिए सोच रहा है।
इनका कहना है
मैं पिछले 14 साल से टमाटर की खेती कर रहा हूं। इस साल 15 एकड़ में टमाटर की खेती की है। चार लाख की किराए से जमीन ली, लेकिन अब लागत भी नहीं निकल पायी। हम तो पूरी तरह से बर्बाद हो गए।
अकरम, किसान, टमाटर उत्पादक
मैं 12 साल टमाटर की खेती कर रहा हूं। चार एकड़ में टमाटर लगाए हैं। लगभग डेढ़ लाख रुपए खर्च आया। लेकिन अब एक क्रेट 40 से 50 रुपए में बिक रही है। लॉकडाउन के कारण माल उठाने के लिए गाड़ी नही मिल रही हैं।
सुरेंद्र कुमार तिवारी, किसान, टमाटर उत्पादक