गौशाला पर खर्च कर दिया करोड़ों फिर भी गायों को नहीं मिला सहारा
neeraj sharma
श्योपुर। बेसहारा गायों और गौवंशों को सहारा देने के लिए सरकार द्वारा लाखों करोड़ो रुपए खर्च कर ग्राम पंचायतों में गौशालाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन गौशाला संचालन ठीक ढंग से नहीं होने के कारण गायों की सहारा नहीं मिल पा रहा है। श्योपुर जिले की 55 ग्राम पंचायतों में 19 करोड़ की लागत से 55 गौशालाएं बनाई जा रही हैं, जिसमें से कई गौशाला बनकर तैयार हो गई, लेकिन कई गौशालाओं में ताले लटके हुए हैं। गांवों में घूमने वाली आवरा मवेशी किसानों की फसलों को चौपट कर रही है, जिससे किसान भी परेशान हैं। गायों की देखभाल के लिए सरकार ने भले ही गौशालाएं खोल दी है। इन गौशालाओं को बनाने के लिए लाखों-करोड़ों भी खर्च किए गए हैं, लेकिन फिर भी गौशालाओं में गायों को नहीं रखा जा रहा है।
जिले में 2 लाख 74 हजार 110 गाय
जिले भर में 2 लाख 74 हजार 110 गाय हैं। इनमें से दो लाख 64 हजार 110 गायों को पशु पालक पाल रहे हैं और 10 हजार के निराश्रित होकर सड़कों पर घूम रहीं हैं। जिले भर में 55 गौशालाओं का निर्माण करवाया जा रहा है। इन गोशालाओं में 5500 गाय रह सकेंगी। इसके बाद 4500 निराश्रित गाय और रह जाएंगी। इनके लिए शासन स्तर से जल्द ही नई गौशालाओं का निर्माण शुरू कराया जाएगा।
31 गौशाला बनकर तैयार
जिले भर के निराश्रित गौवंश को आसरा देने के लिए पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा नरेगा योजना के माध्यम से जिले भर में 55 गौशालाओं का निर्माण कराया जा रहा है। पंचायत स्तर पर बनाई जा रहीं गौशालाओं का निर्माण 19 करोड़ 19 लाख 28 हजार रुपए लागत से किया जा रहा है। इनमें से 31 गौशाला बनकर तैयार भी हो चुकी हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही गौशालाए जिनमें मवेशी रखे गए हैं, बाकी गौशालों में ताले लटके हुए हैं।
प्रति गाय पर 20 रुपए होंगे खर्च
गौशालाओं में जिन गायों को रखा जाएगा, उनके लिए शासन स्तर से राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। जिसमें 15 रुपए चारे पर और 5 रुपए पशु आहार के लिए दिए जाएंगे। इन गायों की देखभाल के लिए प्रत्येक गाय पर रोजाना 20 रुपए का खर्चा किया जा रहा है। फिर भी जिले में बनकर तैयार हुई गौशालाओं में मेसे सिर्फ कुछ ही गौशालों में गायों को रखा गया है।
ददूनी गांव में गौशाला बनकर तैयार हो चुकी है, लेकिन अभी तक उसमें एक भी गाय को नहीं रखा गया है। मेरे खेत में गेहूं की की फसल खड़ी है, कई बार मौका मिलते ही बेसहारा मवेशियों का झुंड फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
मंगल सिंह जाट, निवासी ददूनी
सरकार द्वारा लाखों खर्च कर गौशाला बनाई जा रही हैं। कई ग्राम पंचायतों में गौशाला बनकर तैयार हो चुकी है, लेकिन इनका संचालन नहीं हो पा रहा है, जिससे गाय, गौवंश सड़कों पर घूमते रहते हैं। रोड पर मवेशियों के बैठे रहने से कई बार वह दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
राजा खान, निवासी कोटरा
जिन ग्राम पंचायतों में गौशाला बनकर तैयार हो गई है उनमें गायों को रखने के लिए निर्देश जारी किए जाएंगे। बीच में सरपंचों से चार्ज हट गया था। गौशाला में मवेशियों रखने और उनके लिए चारे-पानी व्यवस्था पंचायत द्वारा कराई जाएगी।
सुधीर खांडेकर, सीईओ, जपं, श्योपुर
गिर गाय प्रक्षेत्र बनाने एनडीआरआई की टीम पहुंची श्योपुर
इधर, पिछले दिनों श्योपुर आए केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने गोरस में गिर गाय संरक्षण और प्रक्षेत्र विकसित करने की बात कही थी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने एनडीआरआई की दो सदस्यीय टीम को श्योपुर भेजा। टीम ने गिर गाय प्रक्षेत्र विकसित करने के लिए पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ गोरस क्षेत्र को देखकर पशुपालकों से भी बात की। टीम ने कलेक्ट्रेट सभागार में कलेक्टर शिवम वर्मा के साथ बैठक कर रूपरेखा तैयार की गई। कृषि मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसएस लेठवाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गोपाल गोवने ने सबसे पहले गोरस क्षेत्र का भ्रमण किया। इसके बाद कलेक्टर से बैठक कर गिर प्रक्षेत्र विकसित करने की प्लानिंग की। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में गिर गाय की बहुलता है। गिर नस्ल के संरक्षण की दिशा में क्षेत्र के पशुपालकों को प्रशिक्षित किए जाने की तरूरत है।