मध्य प्रदेश ने धान खरीद में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा, साढ़े छह लाख किसानों से समर्थन पर खरीदा धान
भोपाल। मध्य प्रदेश में धान का क्षेत्र धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इसके कारण समर्थन मूल्य पर उपार्जन भी बढ़ रहा है। इस बार प्रदेश ने 45 लाख टन से अधिक धान का उपार्जन करके अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। किसानों को चार हजार 877 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए आठ लाख 33 हजार 865 किसानों ने पंजीयन कराया था। इनमें से छह लाख 54 हजार किसानों ने राज्य नागरिक आपूर्ति निगम और राज्य सहकारी विपणन संघ को धान बेचा है। प्रदेश में इस बार 35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में धान की बोवनी की गई थी।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने 45 लाख टन धान खरीदने के हिसाब से तैयारी की थी। आठ लाख 33 हजार 865 किसानों ने समर्थन मूल्य (प्रति क्विंटल एक हजार 940) पर फसल बेचने के लिए पंजीयन कराया था। 20 जनवरी को उपार्जन की प्रक्रिया पूरी हो गई। कुछ जिलों में जिन किसानों ने पंजीयन कराया था और बारिश की वजह से उपज नहीं बेच पाए थे, उन्हें विशेष अनुमति दी गई है।
पिछले साल 37 लाख टन खरीदी थी धान
प्रदेश में समर्थन मूल्य पर पिछले साल पांच लाख 80 हजार किसानों से 37 लाख 27 हजार टन धान खरीदी गई थी। इसके पहले 2019-20 में 25.97 लाख टन धान खरीदी थी।
छह लाख 54 हजार 591 किसानों से रिकार्ड 45 लाख 43 हजार टन धान खरीदी जा चुकी है। चार हजार 877 करोड़ का भुगतान किसानों को हो चुका है। बाकी का भुगतान भी कराया जा रहा है। इस बार सेंट्रल पूल में दस लाख टन से ज्यादा चावल दिया जाएगा। अब पूरा ध्यान धान की मिलिंग पर है।
फैज अहमद किदवई, प्रमुख सचिव, कृषि विभाग
ञ्च मध्यप्रदेश ने न्यूनतम समर्थन पर धान की खरीद का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गेहूं हो या फिर धान प्रदेश में रिकॉर्ड खरीद हुई है। मिलिंग से जुड़े मुद्दों का समाधान भी जल्द होगा। किसानों को पांच हजार करोड़ का भुगतान भी हो चुका है। पिछले साल प्रदेश ने 25.86 लाख टन धान खरीदकर रिकॉर्ड बनाया था।
अभिजीत अग्रवाल, प्रंबंध संचालक, खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम