मध्यप्रदेश में पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोग से देशी गाय ने दी जुड़वां साहीवाल बछिया

मध्यप्रदेश में पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोग से देशी गाय ने दी जुड़वां साहीवाल बछिया

praveen namdev

जबलपुर। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विवि में देशी गाय में भ्रूण प्रत्यारोपण को लेकर चल रहे अनुसंधान में बड़ी सफलता मिली है। विवि के पशु विज्ञानियों द्वारा दूध न देने वाली देशी गायों में आधुनिक तकनीक से भ्रूण प्रत्यारोपण किया, जिससे देशी गाय ने दो जुड़वा साहीवाल बछिया को जन्म दिया है। विवि का दावा है कि इस तरह का अनुसंधान मप्र में पहली बार सफल हुआ है। विवि के कुलपति प्रो. एसपी तिवारी ने बताया कि निकट भविष्य में गौ-वंश के नस्ल सुधार इसी तकनीक के माध्यम से किया जाएगा, जिससे उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाली गायों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। विवि द्वारा किए जा रहे अनुसंधान की सफलता को लेकर लगातार समीक्षा की गई, जिसका यह परिणाम रहा कि वेटरनरी विवि के वैज्ञानिकों को पहली बार में ही इसमें सफलता हासिल की। 

तकनीक सिद्ध होगी वरदान

इस तकनीक के माध्यम से अब दूध न देने वाली देशी गायों से उच्च कोटि की गुणवत्ता गायों को जन्म दिया जा सकेगा। पशुपालकों के लिए यह तकनीक अब वरदान सिद्ध होगी। इस कार्य को डॉ. एपी सिंह और उनके साथ नितिन बजाज व डॉ. अभिषेक बिसेन के साथ डॉ. सुनील कुमार बाजपेयी उपसंचालक, डॉ. विष्णु गुप्ता, सहायक पशु चिकित्सा शल्यज्ञ एवं सहयोगियों पशुपालन एवं डेयरी विभाग का सहयोग रहा।

इनका कहना है
इस तकनीक का मध्यप्रदेश में प्रथम प्रयोग इस विवि. के वैज्ञानिकों ने 9 माह पूर्व, 28 जनवरी 2021 को किया था, जिसमें गाय में भ्रूण प्रत्यारोपण किया गया था। इसमें देशी गाय में दो साहीवाल भ्रूणों का प्रत्यारोपित किया गया था, जिसके बाद गाय ने जुड़वां साहीवाल बछिया को जन्म दिया। मंगलवार की सुबह भी एक और देशी गाय ने भी एक बछिया और एक बछड़े को जन्म दिया।
प्रो. एसपी तिवारी, कुलपति, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विवि, जबलपुर

अभी यह सुविधा हर जगह उपलब्ध नहीं है। इसमें सबसे जरूरी यह है कि जिला या संभाग स्तर पर स्थापित पशु चिकित्सा केंद्रों में आधुनिक उपकरण और विशेषज्ञ होना जरूरी है। जैसे अभी किसी को रीवा में अपनी गाय में भू्रण प्रत्यारोपण कराना हो तो हम वहां नहीं जा पाएंगे। न ही संबंधित अपनी गाय लेकर यहां आ पाएंगे। 
डॉ. एके गौर, पीआरओ,  नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विवि, जबलपुर