किसानों खेतों में ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया का छिड़काव करके दिखाया गया 

किसानों खेतों में ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया का छिड़काव करके दिखाया गया 

एक एकड़ भूमि में मात्र 15 मिनट में होगा छिड़काव

लहार (भिंड)। कृषि विज्ञान केंद्र, लहार जिले के किसानों को हर उन्नत तकनीकी पहुंचाने के साथ ही कृषि में नवीनतम कृषि यंत्रों को भी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में आज कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा लहार क्षेत्र के गिरवासा गांव में निकरा परियोजना अंतर्गत किसानों के खेतों पर ड्रोन का प्रदर्शन आयोजित किया गया। ड्रोन के माध्यम से गेहूं की फसल पर नैनो यूरिया का छिड़काव करके किसानों को दिखाया गया। इस अवसर पर गांव के किसानों ने एकत्रित होकर ड्रोन के माध्यम से छिड़काव के तरीके को देखा एवं सराया गया।

कृषि में ड्रोन की अनुमति मिलने के बाद अब धीरे-धीरे इसकी पहुंच आम किसानों तक होने लगी है। ड्रोन के माध्यम से फसलों पर कीटनाशकों एवं उर्वरकों के छिड़काव के तरीके को दिखाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र लहार द्वारा अभिनव पहल करते हुए गिरवासा गांव मैं निकरा परियोजना अंतर्गत ड्रोन से नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शन के तहत: कुछ किसानों की गेहूं की फसल पर नैनो यूरिया का छिड़काव करके किसानों को दिखाया गया।
इस अवसर पर केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एसपी सिंह ने बताया की एक एकड़ फसल पर हाथ से स्प्रे करने में दो से तीन मजदूरों को कम से कम एक दिन का समय लगता है। वही ड्रोन के माध्यम से एक एकड़ भूमि  मात्र 15 मिनट में उर्वरक अथवा कीटनाशक का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ड्रोन के माध्यम से छिड़काव करने पर समय, श्रम एवं धन तीनों की ही बचत होती है। कृषि में ड्रोन का प्रयोग भारत सरकार की एक क्रांतिकारी पहल है। खेती में आने वाले समय में ड्रोन का प्रयोग निश्चित रूप से बढ़ेगा।

डॉ. सिंह बताया कि भारत सरकार ड्रोन दीदी के माध्यम से महिलाओ और युवतियों को स्वावलंबन के साथ ही ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग आदि योजना को संचालित कर रही है। भारत सरकार यह कार्य नाबार्ड के माध्यम से संचालित हो रहा है।

केवीके द्वारा प्रदर्शन हेतु ड्रोन राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय,  ग्वालियर के सीएआईई केंद्र से मगाया गया था। जिसको सीएआईई केंद्र, ग्वालियर के ड्रोन पायलट मनीष आर्य एवं अवध बिहारी पाल द्वारा संचालित किया गया था। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपीएस तोमर एवं निकरा परियोजना के एसआरएफ दीपेंद्र शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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