कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कैसे बनाएं नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नेयात्र, जो फसलों को देंगे पूरी सुरक्षा
टीकमगढ़, कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार डॉ. आर.के. प्रजापति एवं जयपाल छिगारहा ने ग्राम कोडिया ब्लॉक-जतारा जिला टीकमगढ़ के किसानों की खरीफ फसलों का निरीक्षण कर पौध संरक्षण हेतु किसानों को जैविक/ प्रकृतिक एवं रासायनिक उपायों को किसानों को रोगों एवं कीटों से बचाव के उपाय बताए । इस समय सोयाबीन, उर्द, मूंग, तिल और मूंगफली की फसलों पर रोग - कीट व्याधियों से जैविक उपाय में किसान अपने घर पर ही तैयार कर सकता है जो पर्यावरण संरक्षण एवं मनुष्य, पशु स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है । तथा रासायनिक रोग एवं कीटनाशक बाजार में उपलब्ध रहते है । घर पर तैयार किये जाने वाले जैविक कीटनाशक निम्न प्रकार है।
(अ) नीमास्त्र (व्यापक स्पेक्ट्रम वनस्पति कीटनाशक)
5 किलो नीम के पत्तों को पानी में कुचल दें।
10 लीटर गोमूत्र और 2 किलो गाय का गोबर डालें
थोड़े-थोड़े समय पर हिलाने के साथ, 24घंटे के लिए सड़ने दें
छानकर निचोड़े और 100 लीटर तक पतला करें
एक एकड़ में पत्तों पर छिड़काव के लिए प्रयोग करें चूसने वाले कीटों और घुन कीड़ों के लिए उपयोगी
(ब) ब्रह्मास्त्र (व्यापक स्पेक्ट्रम वनस्पति कीटनाशक)
10 लीटर गोमूत्र में 3 किलोग्राम नीम की पत्तियों को कुचल दें।
2 किलो सीताफल के पत्ते, 2 किलो पपीते के पत्ते, 2 किलो अनार के पत्ते और 2 किलो अमरूद के पत्तों को पानी में कुचल दें।
दोनों को मिलाएं और आधा होने तक एक ही अंतराल पर 5 बार उबालें। 24 घंटे के लिए रखें, फिर अर्क को निचोडें।
इसे 6 महीने तक बोतलों में संग्रहित किया जा सकता है।
एक एकड़ के लिए इस अर्क के 2-2.5 लीटर को 100 लीटर तक पतला करें।
लाभ: चूसने वाले कीटों, फल/ फलीबोरर (वेधक) के लिए उपयोगी
(स) अग्नेयात्र
10 लीटर गोमूत्र में 1 किलोग्राम इपोमोआ (बेशरम) केपत्ते, 500 ग्राम गर्म मिर्च, 500 ग्राम लहसुन और 5 किलोग्राम नीम के पत्तों को कुचल दें।
मिश्रण को आधा होने तक उबालें छानकर निचोड़ निकालें।
कांच या प्लास्टिक की बोतलों में स्टोर करें
2-3 लीटर अर्कको 100 लीटर तक पतला करके एक एकड़ के लिए उपयोग करें।
पत्ती रोलर, तना/ फल/ फली बोरर के लिए उपयोगी
रासायनिक दवाओं का प्रयोग अंतिम/ आखिरी उपाय के तौर पर किसान भाइयों को अपनाना चाहिए । उर्द/सोयाबीन में पीला चितरी रोग के लिये प्रभावित पौधों को खेत से उखड कर एक गड्ढे में दबा देना चाहिए इस रोग के वाहक कीट सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोरोप्रिड दवा कि 7 मि.ली. मात्र को 15 ली. पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए । मूंगफली/अरबी या अन्य फसलों में पत्ति धब्बा या झुलसा रोग के प्रकोप के नियंत्रण हेतु रेडोमिल(मन्कोजेब+मेटालेक्जिल) दवा की 3 ग्राम मात्र प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए । तना मक्खी व सफेद लट का प्रकोप शुरू हो गया हैं। इसके लिए सफेद लट (ह्वाइट ग्रब ) यह सफेद रंग की मोटी इल्ली होती हैं तथा इसका व्यस्क भूरे रंग का होता हैं जो सायंकालीन जमीन से निकलकर पेडों की पत्तियों पर बैठा रहता हैं तथा बड़े पौधों को नुकसान पहुंचाता हैं। सफेद लट जमीन में रह कर पौधों की जड़ों को खाती रहती हैं। इसके कारण पौधे सूखे दिखाई देते हैं। अत्यधिक प्रकोप के कारण फसलों को लगभग 20 से 40 प्रतिशत का नुकसान हो तो सफेद लट के वयस्कों को पकडने के लिए लाइट ट्रेप एक प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। कार्बाफुरोन 3 प्रतिशत सीजी की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 40 से 50 किलो रेत में मिलाकर के या क्लोरोपाईरिफोस 20 प्रतिशत इसी की 4 लीटर मात्रा को 40 से लेम्डासाईहेलोथ्रिन 50 किलो रेत में मिलाकर के खेत में हाथ भुरकाव करें।