शिवराज सरकार ने खोला पिटारा, मक्का और चावल से बनेगा इथेनॉल
सरकार इथेनॉल उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहन देगी। अभी तक 20 से ज्यादा कंपनी इथेनॉल उत्पादन में आगे आई हैं। इसमें खास यह होगा कि इथेनॉल उत्पादन में इकाइयां 100 करोड़ रुपए लगाएंगी तो उन्हें 7 साल में लगभग 60 करोड़ रुपए सरकार वापस करेगी।
भोपाल, मध्य प्रदेश में भी अब इथेनॉल बनाया जाएगा। हाल ही में सरकार ने इथेनॉल पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। यहां चावल और मक्का से इथेनॉल बनाने की योजना है। इसमें सौ करोड़ के निवेश की संभावना है। शिवराज ने बड़ा फैसला लेते हुए इथेनॉल पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। सरकार इथेनॉल उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहन देगी। अभी तक 20 से ज्यादा कंपनी इथेनॉल उत्पादन में आगे आई हैं। इसमें खास यह होगा कि इथेनॉल उत्पादन में इकाइयां 100 करोड़ रुपए लगाएंगी तो उन्हें सात साल में लगभग 60 करोड़ रुपए सरकार वापस करेगी। इथेनॉल और जैव ईंधन उत्पादन करने वाली कंपनियों को वित्तीय मदद दी जाएगी। पेट्रोलियम तेल उत्पादन कंपनियों को 1.50 रुपए प्रतिलीटर की सहायता सात साल तक दी जाएगी। प्लांट लगाने के लिए जमीन खरीदने पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का सौ फीसदी पैसा वापिस कर दिया जाएगा। उत्पादन शुरू होने की तारीख से 5 साल तक बिजली में भी 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। पेटेंट शुल्क पांच लाख रुपए तक किया जाएगा। उद्योग के लिए सड़क बनाने पर जो खर्च आएगा उसका भी 50 प्रतिशत सरकार देगी। इस नीति पर अमल के लिए एमपीआईडीसी को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
कंपनियां 54 रुपए लीटर खरीदेंगी
प्रदेश में फिलहाल चावल और मक्का से इथेनॉल बनाया जाएगा। इसका उत्पादन होने पर पेट्रोलियम कंपनियां 51 से 54 रुपए प्रति लीटर में खरीदेंगी। साथ ही 1.50 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। सरकार का 2024 तक प्रदेश में 60 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन करने का लक्ष्य है, ताकि पेट्रोल की मौजूदा 230 करोड़ लीटर सालाना खपत में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाया जा सके। इसके पीछे सरकार की मंशा पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में होने वाले खर्च को रोकना है। इसके लिए प्रदेश के किसानों से चावल और मक्का खरीदा जाएगा। साथ ही गोदामों में करीब 20 लाख टन चावल रखा है, उसका उपयोग भी किया जा सकेगा।
क्या है इथेनॉल
इथेनॉल दरअसल, एक तरह का अल्कोहल है जिसका इस्तेमाल पेट्रोल में मिलाकर गाडिय़ों में किया जा सकता है। वैसे तो ये गन्ने से बनाया जाता है। लेकिन जिस भी चीज में शुगर हो उससे इसे बनाया जा सकता है। इथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होती है। इसका उपयोग करने से कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन कम होता है।
केंद्र का इथेनॉल उत्पादन पर फोकस
इथेनॉल पॉलिसी के प्रारंभिक ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन किया गया है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और दक्षिण के कई राज्य पहले से ही इथेनॉल नीति पर काम कर रहे हैं और कुछ राज्यों में इसे लागू भी कर दिया गया है। केंद्र सरकार भी कृषि उपज से इथेनॉल बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके पीछे उदेश्य ईंधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। वहीं पेट्रोल-डीजल के मुकाबले इथेनॉल करीब 50 प्रतिशत सस्ता है। ऐसे में अगर इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा तो आम लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। उन्हें महंगे तेल की कीमतों से छुटकारा मिलेगा।