नाराज किसानों ने निकाली बैलगाडी यात्रा, पहुंचे कलेक्ट्रेट
sikandar patel
रतलाम। बैलगाड़ियों पर सवार और पैदल दर्जनों किसान और ग्रामीण सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां उन्होंने सिंचाई परियोजना के तहत तालाब स्वीकृत होने के 6 साल बाद भी काम शुरु न होने पर नाराजगी जताते हुए पलायन की बात कही। ग्राम धभाईपाड़ा में मुख्यमंत्री द्वारा तालाब निर्माण की घोषणा के बावजूद काम शुरु नहीं होने पर राजपुरा पंचायत के ग्रामीणों ने जमकर आक्रोश जताया।
ग्रामीण बैलगाड़ी और पैदल पहुंचे और बताया कि सिंचाई का साधन नहीं होने से वे बेहद परेशान हैं और गांव में पलायन के सिवा कोई चारा नहीं है। इस दौरान जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी दिया। ग्रामीणों ने बताया कि 2015 स्वाधीकार अभियान के हितग्राही सम्मेलन कार्यक्रम में नामली आगमन पर सीएम ने खुद घोषणा की थी कि धबाईपाड़ा तालाब 2.27 करोड़ की लागत से लघु सिंचाई परियोजना के रूप में बनेगा। इससे छोटे किसानो को सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध होगा जिनकी जनसंख्या तब 10 हजार थी।
क्षेत्र में पानी का इतना संकट है कि आदिवासी समाज बरसात के मौसम में सिर्फ मक्का की ही फसल ले पाते है, इ्सके बाद पानी नहीं होने से न खेती होती है न परिवार चलता है। मजबूरी में पलायन करना पड़ता है। कोटा, मोरवी, जेसलमेल, बड़ोदरा, सूरत, अहमदाबाद, उ.प्र. व अन्य राज्यों में जाकर परिवार से अलग रहते हैं और बच्चों को भी ठीक से परवरिश नहीं दे पाते।
सिंचाई योजना से धबाईपाड़ा, भुवान पाड़ा, निचली बस्ती धोलावाड़, सागड़ामाल, चिल्लर, सावलिया रूण्डी, नई आबादी, आमलीपाड़ा, धामनिया, भोजपुरा, मोरवनी, दन्तोड़ा, राजपुरा आदि गांव को पानी मिलना था। परंतु आज तक काम शुरु नहीं हुआ है और कोरोना के बाद स्थिति और भी बुरी है।
बिजली का भी आज तक है इंतजार
ज्ञापन में यह भी बताया कि नई आबादी धबाईपाड़ा मजरे में 10 से 15 घर आज तक बिजली कनेक्शन की राह देख रहे हैं। यहां कंपनी द्वारा कनेक्शन का इंतजाम नहीं करने से अंधेरा ही है।