यूरिया के बाद नैनो डीएपी कम करेगी खेती का खर्च
नैनो डीएपी की उर्वरक उपयोग दक्षता 72 फीसदी से ज्यादा
इफ्को द्वारा शुरू हुआ ट्रायल अब अंतिम दौर में पहुंचा
भोपाल। मोदी सरकार किसानों को अब नैनो यूरिया के बाद तरल नैनो डीएपी खाद भी बोतल में देने जा रही है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के निर्देश पर इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-आपरेटिव लिमिटेड यानी इफ्को द्वारा शुरू हुआ ट्रायल अब अंतिम दौर में पहुंच चुका है। इफ्को ने जो नैनो डीएपी विकसित किया है, उसकी उर्वरक इस्तेमाल दक्षता 72 फीसदी से अधिक है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया नैनो डीएपी के ट्रायल के बारे में लगातार इफ्को से जानकारी ले रहे हैं। बहुत जल्द ही ट्रायल का काम पूरा हो जाएगा। अभी तक के ट्रायल के जो नतीजे आए हैं, वह काफी उत्साहजनक हैं। नैनो डीएपी के बाजार में आ जाने के बाद केंद्र सरकार को लाखों करोड़ रुपए की बचत तो होगी ही, साथ ही किसानों को बेहद ही कम कीमत पर नैनो डीएपी खाद मिलेगा।
किसानों को 848 रुपए का होगा फायदा- नैनो डीएपी का आकार 10 से 30 नैनो मीटर है। इफ्को के मुताबिक, एक एकड़ जमीन में जितनी पारंपरिक डीएपी डाली जाती है, उसके मुकाबले इतनी ही जमीन में नैनो डीएपी की बहुत कम जरूरत होगी। धान की फसल पर एक एकड़ जमीन में 52 किलो पारंपरिक डीएपी का इस्तेमाल करना होता है। इसकी कुल कीमत 2508 रुपए है। इसमें से 1,248 रुपए किसान को देना होता है और 1260 रुपए की सब्सिडी सरकार देती है। जबकि, इतनी ही जमीन पर धान की फसल के लिए सिर्फ आधे लीटर नैनो डीएपी के इस्तेमाल की जरूरत होगी। इसके लिए किसानों को सिर्फ 400 रुपए खर्च करने होंगे। यानी किसानों को 848 रुपए का सीधा फायदा होगा।
ट्रायल कर रहे इफ्को के विशेषज्ञ
किसानों को अब जल्दी ही डीएपी खाद भी आधा लीटर की बोतल में मिलने लगेगा। तरल नैनो यूरिया के बाद इफको ने तरल नैनो डीएपी भी बाजार में उतारने की तैयारी कर ली है। फिलहाल इफ्को के विशेषज्ञ हरिद्वार जिले के पांच गांवों में धान की फसल पर तरल नैनो डीएपी के प्रभाव का ट्रायल करने में जुटे हैं। अभी तक किसानों को यूरिया व डीएपी 45 किलो व 50 किलो के बोरे में मिलता है। हाल ही में इफ्को ने तरल नैनो यूरिया इजाद किया है। सफल ट्रायल के बाद अब इसका उत्पादन शुरू हो गया है। इफ्को ने तरल नैनो डीएपी भी तैयार किया है। इफ्को के एसएफए ओमवीर सिंह ने बताया कि नैनो यूरिया की तरह ही 500 एमएल की बोतल में आने वाला नैनो डीएपी भी पानी में मिलाकर फसल में स्प्रे किया जाएगा। इफ्को के जिला प्रबंधक डॉ. रामभजन सिंह ने बताया कि हरिद्वार के लाठरदेवा हूण, लिब्बरहेड़ी, जसवावाला, सोहलपुर व नगला एमाद गांव में 10 किसानों के खेत में धान की फसल पर फिलहाल नैनो डीएपी का ट्रायल किया जा रहा है।
नैनो जिंक और कापॅर भी आयेगा
इफ्को जल्द ही कृषि लागत में कमी के उद्देश्य से नैनो जिंक और नैनो कापॅर बाजार में उतारने वाला है, जिसकी घोषणा विगत दिनों इफ्को के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी ने राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए की।
नौनो 90 फीसदी फसल में समाहित
वहीं इस बारे में जानकारी देते हुए इफ्को चंडीगढ़ के डीजीएम ओंकार सिंह ने बताया कि नई फसलों की बोवनी का समय शुरू हो चुका है। उनका कहना है कि अभी हम जो डीएपी फसल में डालते हैं उसका 80 प्रतिशत जमीन में बर्बाद हो जाता है। जबकि नया नैनो डीएपी तरल रूप में आता है और यह 90 प्रतिशत तक फसल में समा जाता है। जिससे फसल को ज्यादा फायदा होता है।