देश में 50 फीसदी किसान कर्जदार, पांच साल में औसत लोन 47000 से बढ़कर 74121 हुआ
50.2 फीसदी किसान परिवारों ने लिया कर्ज
नई दिल्ली/भोपाल। मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार किसान सम्मान निधि योजना के जरिए किसानों की मदद कर रही है। लेकिन अब भी देश में आधे से अधिक किसान परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हैं। देश में खेती-बाड़ी करने वाले आधे से अधिक परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के एक सर्वे के अनुसार 2019 में 50 प्रतिशत से अधिक कृषक परिवार कर्ज में थे और उन पर प्रति परिवार औसतन 74 हजार 121 रुपए कर्ज था।
सर्वे में कहा गया है कि उनके कुल बकाया कर्ज में से केवल 69.6 प्रतिशत बैंक, सहकरी समितियों और सरकारी एजेंसियों जैसे संस्थागत स्रोतों से लिए गए, जबकि 20.5 प्रतिशत कर्ज पेशेवर सूदखोरों से लिए गए। इसके अनुसार कुल कर्ज में 57.5 प्रतिशत ऋण कृषि उद्देश्य से लिए गए। सर्वे में कहा गया है कि कर्ज ले रखे कृषि परिवारों का प्रतिशत 50.2 प्रतिशत है। 10 सितंबर 2821 को जारी ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019 शीर्षक वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रति कृषि परिवार बकाया ऋण की औसत राशि 74,121 रुपए है। एनएसओ ने जनवरी-दिसंबर 2019 के दौरान देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की भूमि और पशुधन के अलावा कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन किया।
बीस राज्यों में हुआ सर्वे
इधर, साल 2020 में एक निजी संस्था ने 20 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 179 जिलों में 25,300 लोगों के साथ आमने-सामने अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय ग्रामीण सर्वे किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें लॉकडाउन से निपटने के लिए जमीन, गहने और कीमती सामान गिरवी रखना या बेचना पड़ा। अन्य 23 प्रतिशत को विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए किसी से कर्ज तक लेना पड़ा था।
मप्र में भी बढ़े कर्जदार
ग्रामीण सर्वेक्षण में पाया गया कि हरियाणा, पंजाब, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश में लोगों ने अन्य राज्यों की तुलना में अधिक कर्ज लिया था। त्रिपुरा में 13 फीसदी को जमीन बेचनी पड़ी या फिर गिरवी रखनी पड़ी और 20 फीसदी को अपना कीमती सामान बेचना पड़ा। पश्चिम बंगाल में 22 प्रतिशत लोगों के पास आभूषण थे और 17 प्रतिशत लोगों को अपना कीमती सामान बेचना या गिरवी रखना पड़ा था। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में पिछले 5 वर्षों में किसान परिवारों पर औसत कर्ज 58 फीसदी बढ़ गया है।
कृषक परिवार 9.3 करोड़
सर्वे के अनुसार कृषि वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के दौरान प्रति कृषक परिवार की औसत मासिक आय 10,218 रुपए थी। इसमें से मजदूरी से प्राप्त प्रति परिवार औसत आय 4,063 रुपए, फसल उत्पादन से 3,798 रुपए, पशुपालन से 1,582 रुपए, गैर-कृषि व्यवसाय 641 रुपए तथा भूमि पट्टे से 134 रुपए की आय थी। इसमें कहा गया है कि देश में कृषि परिवार की संख्या 9.3 करोड़ अनुमानित है। इसमें अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) 45.8 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 15.9 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 14.2 प्रतिशत और अन्य 24.1 प्रतिशत है।
दो प्रतिशत के पास 10 हेक्टेयर जमीन
गांवों में रहने वाले गैर-कृषि परिवार की संख्या 7.93 करोड़ अनुमानित है। इससे यह भी पता चला कि 83.5 प्रतिशत ग्रामीण परिवार के पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है। जबकि केवल 0.2 प्रतिशत के पास 10 हेक्टेयर से अधिक जमीन थी। इस बीच, एनएसओ ने कहा कि 30 जून, 2018 की स्थिति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज लेने वाले परिवार का प्रतिशत 35 था (40.3 प्रतिशत कृषक परिवार, 28.2 प्रतिशत गैर-कृषि परिवार) जबकि शहरी क्षेत्र में यह 22.4 प्रतिशत (27.5 प्रतिशत स्व-रोजगार से जुड़े परिवार, 20.6 प्रतिशत अन्य परिवार) थे।
शहरों में 13.3 प्रतिशत परिवारों पर कर्ज
एनएसओ ने राष्ट्रीय नमूना सर्वे के 77वें दौर के तहत अखिल भारतीय कर्ज और निवेश पर ताजा सर्वे जनवरी-दिसंबर, 2019 के दौरान किया। सर्वे में यह भी पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज ले रखे परिवारों में से 17.8 प्रतिशत परिवार संस्थागत एजेंसियों से (जिनमें 21.2 प्रतिशत कृषक परिवार और 13.5 प्रतिशत गैर-कृषक परिवार) जबकि शहरी क्षेत्रों में 14.5 प्रतिशत परिवार संस्थागत कर्जदाताओं से (18 प्रतिशत स्व-रोजगार करने वाले तथा 13.3 प्रतिशत अन्य परिवार) कर्ज ले रखे थे। इसके अलावा ग्रामीण भारत में करीब 10.2 प्रतिशत परिवारों ने गैर- संस्थागत एजेंसिंयों से कर्ज लिया जबकि शहरी भारत में यह संख्या 4.9 प्रतिशत परिवार थी।