पेड़ वाले दुबे जी: नौकरी में कटवाया पेड़, अब लगाने का जुनून

पेड़ वाले दुबे जी: नौकरी में कटवाया पेड़, अब लगाने का जुनून

बांध निर्माण के दौरान सब इंजीनियर को पेड़ कटवाने ने कर दिया था बेचैन

नीरज शर्मा,

भिंड, देशभर में बीहड़ और डकैतों के चर्चित भिंड-चंबल अंचल की अब तस्वीर बदलने लगी है। अब यहां लोग बतों-बातों में बंदूक नहीं चलाते, बल्कि हरियाली और पौधरोपण के लिए मिशाल बन रहे हैं। दरअसल, नौकरी के दौरान दी गई जिम्मेदारी निभाने के लिए पेड़ काटने के दुख ने एक सब इंजीनियर का जीवन ही बदल दिया। सेवानिवृत्ति के बाद अब वे पेड़-पौधों को लगाने और उन्हें बचाने के जुनून के हमसफर बन गए हैं। यह कहानी है मध्य प्रदेश के भिंड जिले में रहने वाले 69 वर्षीय सुरेश चंद्र दुबे की। वे अब तक करीब 11 हजार पौधे लगा चुके हैं, इनमें से 10 हजार तो पेड़ बन चुके हैं। वे पौधे लगाने के बाद उनकी देखरेख की चिंता भी करते हैं। इसके लिए उन्होंने स्थानीय समितियां तैयार की हैं। अपने खर्चे से उन्होंने ट्री गार्ड भी लगवाए हैं। भिंड जिले के लहार तहसील मुख्यालय में वार्ड 14 की महुआ कॉलोनी में रहने वाले सुरेश चंद्र दुबे अब किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनके जुनून को देखते हुए यहां लोग उन्हें पेड़ वाले दुबे जी कहने लगे हैं।

पौधों को संभालने का संकल्प: उप्र के सिंचाई विभाग में सब इंजीनियर की नौकरी में रहते ललितपुर में बांध बनाने के लिए उन्हें पेड़ काटने पड़े थे। इस घटना ने उनके मस्तिष्क पर गहरा असर छोड़ा। वे बेचैन रहने लगे। 2013 में रिटायर हुए तो अधिक से अधिक पौधे रोपने और उन्हें संभालने का संकल्प लिया। संकल्प की शुरुआत भी ललितपुर से ही की। न केवल बांध के आसपास 600 पौधे लगाए, बल्कि सेवानिवृत्त हो जाने के एक साल तक ललितपुर में ही रहकर पौधों की पेड़ बनने तक देखरेख की।

दस हजार पौधे बन गए पेड़: फिर सुरेश चंद्र दुबे पैतृक गांव उप्र के जिला जालौन में आने वाले खकशीश चले गए। वहां भी पौधे लगाने का काम शुरू किया। देखरेख करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को जोड़ा। सबकी मदद से करीब वहां दो हजार पौधे लगाए। जालौन में डेढ़ साल तक रहने के बाद 2015 में लहार आने पर यह क्रम जारी रखा। यहां अब तक 8400 पौधे लगा चुके हैं। उनके द्वारा लगाए गए 11 हजार पौधों में से 10 हजार पेड़ बन चुके हैं।

इनका कहना है
पर्यावरण संरक्षण को लेकर सुरेश चंद्र दुबे अच्छा कार्य कर रहे हैं। उनसे सीख लेकर अन्य लोगों को भी इस तरह के प्रयास शुरू करने चाहिए।
-आरए प्रजापति, एसडीएम, लहार