लंपी रोग से प्रभावित बैतूल जिले के 22 गांवों नहीं मनेगी दिवाली
भोपाल, लंपी स्किन डिजीज से पूरे मध्य प्रदेश में किसान परेशान हो गए हैं। इस वायरस की चपटे में अधिकांश जिले में हजारों पशु ग्रसित हो चुके हैं। वहीं, भारी संख्या में मवेशियों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि, राज्य सरकार इस वायरस पर लगाम लगाने के लिए पशुओं को टीका भी लगाया जा रहा है। इसके बावजूद भी यह वायरस फैलता ही जा रहा है। बीमारी से तंग आकर किसानों ने इस बार दिवाली नहीं मनाने का फैसला लिया है। किसानों का कहना है कि हमारे मवेशी इस डिजीज से पीड़ित हैं और हम कैसे खुशी मना सकते हैं।
दिवाली पर कोई भी दिया नहीं जलाएगा
बैतूल जिले के 22 गांवों के किसानों ने इस बार दीप पर्व नहीं मनाने का फैसला लिया है। यहां के किसानों का कहना है कि इस बार दिवाली पर कोई भी दिया नहीं जलाएगा। साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा भी नहीं की जाएगी। खास बात यह है कि इसका फैसला भीमपुरखंड के गांवों के किसानों ने लिया है। इन गांवों के किसानों का कहना है कि लंबी वायरस से आए दिन मवेशियों की मौत हो रही है। इस बात से नाराज किसानों से भगत भूमकाओं की सलाह पर दीपालवी नहीं मनाने का निर्णय लिया है।
मवेशियों को एकत्र कर पूजा-अर्चना करने का निर्णय
जानकारी के अनुसार, आदिवासी बहुल विकासखंड भीमपुर की ग्राम पंचायत चूनालोमा के आसपास के 22 गांवों में ग्रामीण इस बार दिवाली नहीं मनाएंगे। उन्होंने ऐसा करने का एकसाथ फैसला लिया है। वहीं, चूनालोमा के ग्राम सरपंच कमलती पांसे का कहना है कि चूनालोमा के अधिकाश गांवों में जानवर लंपी वायरस से पीड़ित हैं। अभी तक कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। अगर सभी मवेशी ऐसे ही धीरे- धीरे इस रोग की चपेट में आते गए तो किसान बर्बाद हो जाएंगे। उनकी खेती- किसानी को भी नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि इस बार गोवंश पर आई इस महामारी को देखते हुए सभी आदिवासियों ने मवेशियों को एकत्र कर पूजा-अर्चना करने का निर्णय लिया है। लम्पी संक्रमण रोकथाम के लिए मां शीतलारानी को प्रतिदिन जल चढ़ाया जा रहा है।
नहीं है डॉक्टर इलाज भी नहीं हो पा रहा
वहीं, किसान श्यामलाल ने कहा कि पूरे दमजीपुर क्षेत्र में लंपी स्किन डिजीज फैला हुआ है। जानवरों को फुंसी हो रही है। इससे ग्रसित जानवरों ने चारा खाना छोड़ दिया है। साथ ही कई जानवरों की धीरे- धीरे मौत भी हो रही है। कुमकुम ने भी ऐसा ही कुछ बताया। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक जानवर से दूसरे जानवरों में फैल रही है। डॉक्टर कोई है नहीं, इसलिए इलाज भी नहीं हो पा रहा है।