चमत्कारी है बरगद का दूध, नहीं पड़ेगी ऑक्सीजन की जरुरत, जानिए कैसे करें प्रयोग

चमत्कारी है बरगद का दूध, नहीं पड़ेगी ऑक्सीजन की जरुरत, जानिए कैसे करें प्रयोग

भोपाल, वन विभाग को कालमेघ और गिलोय का रोपण सभी व्रक्षारोपण क्षेत्रों में करना चाहिए। इसके लिए अलग से क्षेत्र लेने की जरूरत नहीं है । वन विभाग के रिटायर्ड अधिकारी डॉक्टर रामगोपाल सोनी का कहना है कि हमारे वनों में इतने ओषधीय पौधे हैं कि यदि उनका प्रयोग हम करें किसी भी बीमारी का इलाज संभव है। 

देशी इलाज में संभव है संकट का हल

डॉक्टर राम गोोपाल सोनी का कहना है कि पूर्व में हम लोगो ने रोपण कराया था और उसका उपयोग भी कराया था। हमारे लोग ग्रामीण क्षेत्रों में है यदि देसी ज्ञान का प्रयोग करे तो हम ग्रामीणों को बचा सकते है ।

नुस्खा साधारण है कई लोगो ने आजमाया है और घर में ही ठीक हो गए है । यदि वन विभाग के लोगो को बता दे तो न तो वो खुद बीमार होंगे और न ग्रामीण ।

1. इस बीमारी में जैसे ही बुखार हो तुरंत गिलोय और कालमेघ या किसी एक  का काढा दिन में  दो बार पिए 

2. बिना देरी किए बरगद का दूध 15 बूंद दो चम्मच सादे दूध के साथ ले दिन में दो बार सुबह शाम सात दिन तक ।
बरगद का दूध चमत्कारिक है किसी को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होगी ।और फेफड़ों का संक्रमण भी दूर होगा ।
बरगद हर गांव में उपलब्ध है ।

इम्यूनिटी बूस्टर है बरगद का दूध

इसे प्राथमिक उपचार मान ले । बरगद का दूध इम्यूनिटी बूस्टर है और कफ का नाश करता है तथा निमोनिया भी ठीक करता है ।जैसा कई ग्रामीणों ने बताया जिन्होंने उपयोग किया और ठीक हुए।

3. त्रिकुट पाउडर एक चुटकी और शहद भी दिन में दो बार चाटे।

4. बरगद का दूध सक्षम है किंतु यदि कही न मिले तो फिटकिरी की भस्म घर में बनाकर एक चुटकी को सीधे खाकर पानी पी ले या शहद के साथ चाट ले। 
फिटकिरी को तवे में गर्म करने से पिघलकर सूख जाएगी । फिर उसको पीसकर पाउडर बना ले ।

5. इस प्रकार ग्रामीण लोगो को बचाया जा सकता है क्योंकि वहा कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं है । संकट के समय हजारों वर्षो के देसी ज्ञान का उपयोग करने पर ही संकट टल सकता है ।
यह नुस्खा ग्रामीणों ने उपयोग कर बताया है । 

कृपया योग्य वैद या किसी डॉक्टर से परामर्श भी कर ले ।प्राथमिक उपचार के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि आयुष मंत्रालय ने कालमेघ और गिलोय लेने के दिसा निर्देश दिए है ।कफ को दूर करने के लिए त्रिकुट और शहद पहले से ही लिया जाता रहा है ।

बरगद का दूध हजारों वर्षो से निमोनिया दूर करने में काम आता रहा है ।