होशंगाबाद के आठ गांव बनेंगे प्रमुख पर्यटन केंद्र
पंकज शुक्ला
होशंगाबाद, तवा बेसिन के किनारे बसे आठ गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी जिला प्रशासन ने की है। इन गांवों का सर्वे कराकर पर्यटन की संभावना को देखते हुए कार्ययोजना शासन स्तर पर भेज दी गई है। यह पहला मौका है जब गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार की गई है। खास बात ता यह है कि इन आठों गांवों में पर्यटन से होने वाली आय का आंकलन भी किया गया है। साठ करोड़ रुपए की वार्षिक आय होने का अनुमान है। पर्यटन विकास का पूरा खाका कलेक्टर धनंजय प्रताप सिंह की देखरेख में खींचा गया है। तवा नदी के फैलाव इटारसी, नर्मदापुरम, सिवनी व पचमढ़ी में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करेगा।
इन गांवों का चयन
तवा जलाशय के समीप बसे मालनी, कोटमील, चटुआ, खारपावद, उरदोन, खापा, परसापानी और खकरापुर गांव को पर्यटन गतिविधियों के लिए चुना गया है। शासन स्तर से अनुमति मिलते ही यहां व्यवस्थाएं की जाएंगी। इन गांवों के युवाओं को रोजगार मिलेगा। साथ ही वे आर्थिक रूप से संपन्ना भी हो सकेंगे। वर्तमन में ये गांव वनक्षेत्रों में आते हैं और यहां के अधिकांश लोग खेती पर ही निर्भर हैं।
पर्यटकों के लिए ये गतिविधियां
तवा रिसोर्ट, कैनाल इनलेट के पास वाटर स्पोर्टस सेंटर और शैक्षिक सुविधाएं के रूप में बयोस्फीयर इंटरप्रिटेशन सेंटर और इमेजिनारियम (भविष्य को प्रदर्शत करने वाले एंटोनियम), ईको-फ्लोटलेज (अस्थायी ईको विलेज), बैक वाटर हाउसबोट, कैनालबोट, जंगल लॉज, ट्री टॉप लॉज, वॉच टॉवर के रूप में विकसित होंगे।
ईको टूरिज्म सेवाओं की संभावना
प्रशासन की ओर से जो कार्ययोजना तैयार की गई है उसमें बताया गया है कि उपबेसिन में अद्वितीय वनस्पतियां और जीव प्रजातियों हैं। साथ ही उपबेसिन में कृषि मछली पकडऩा व ईको टूरिज्म सेवाओं की प्रचुर संभावना है। अद्वितीय प्राकृतिक, स्वच्छ, निर्मल, पुरातन के साथ ही स्थानीय लाभ व त्वरित संपर्क होने से उत्तारखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और केरा के इको टूरिज्म प्रतिस्पर्धी राज्यों के लिए एक पसंदीदा स्थल बनेगा।
इनका कहना है
तवा उपबेसिन क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। जलाशय का माप करीब दो सौ वर्ग किमी के आसपास है। इससे सटे गांवों में भी पर्यटन विकास की संभावना को देखते हुए कार्ययोजना तैयार की गई है।
धनंजय सिंह, कलेक्टर, नर्मदापुरम