मप्र में गेहूं की बंपर पैदावार कृषि कर्मण का फिर दावेदार

मप्र में गेहूं की बंपर पैदावार कृषि कर्मण का फिर दावेदार

किसानों के खेत में उगा 66360 करोड़ का गेहूं

एमएसपी में 26662 करोड़ का गेहूं बेचेंगे मप्र के किसान

अरविंद मिश्र
भोपाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया है, वह मप्र में साकार होता दिख रहा है। प्रदेश की शिवराज सरकार किसानों की उपज को समर्थन मूल्य पर खरीद कर उन्हें मालामाल कर रही है। इस बार मप्र में गेहूं की बंपर पैदावार होने की संभावना है। ऐसे में फिर मप्र कृषि कर्मण अवार्ड का दावेदार हो गया है। 
दरअसल, मप्र में सरकार कुछ जिलों में 27 मार्च को तो कुछ में 1 अप्रैल से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदेगी। इस वर्ष गेहूं का एमएसपी 1975 रुपए प्रति क्विंटल है। कृषि विभाग का अनुमान है कि प्रदेश में इस साल 336 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होगा। एमएसपी के हिसाब से इस बार किसानों के खेतों में करीब 66360 करोड़ का गेहूं पैदा होगा। सरकार इस बार 135 लाख मीट्रिक टन गेहूं किसानों से खरीदेगी। यानी किसानों से सरकार 26662 करोड़ का गेहूं खरीदेगी। गत वर्ष गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में मप्र ने देश में सारे रिकॉर्ड तोड़कर 1,29,28000 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की। वहीं गेहूं खरीदी के लिए 14.48 लाख किसानों को 27,000 करोड़ का भुगतान भी किया।  

इस साल सबसे अधिक खरीदी मप्र में

देशभर में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। केंद्र का अनुमान है कि मौजूदा खरीद वर्ष में पिछले साल (389.93 लाख मीट्रिक टन) की अपेक्षा 9.56 फीसदी अधिक गेहूं की खरीदी होगी। इस बार भी सबसे ज्यादा गेहूं की खरीद मप्र से होने का अनुमान है। जबकि दूसरे नंबर पर पंजाब होगा।  

राज्य अनुमानित खरीद 

(लाख मीट्रिक टन)
मध्य प्रदेश 135.00
पंजाब 130.00
हरियाणा 80.00
उत्तर प्रदेश 55.00
राजस्थान 22.00
उत्तराखंड  2.20
गुजरात 1.5
बिहार 1.00
हिमाचल 0.06
महाराष्ट्र 0.003
दिल्ली 0.50
जम्मू  0.10
कुल 427.363

काला गेहूं बन गया सोना

मप्र में इस बार किसानों ने बड़े स्तर पर काले गेहूं की खेती की है। किसानों के लिए काले गेहूं की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है। बाजार में सामान्य गेहूं 1800 से 1900 रु. क्विंटल मिलता है, जबकि बाजार में सामान्य तौर पर काले गेहूं के दाम 4000 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक मिल जाते हैं। इसलिए काला गेहूं किसानों के लिए सोना बन गया है। उधर, मप्र गेहूं उपार्जन में पूरे देश में अव्वल रहा। किसानों के हित में कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन करते हुए ई-ट्रेडिंग का प्रावधान किया गया और किसानों को उपार्जन केन्द्र के साथ ही मंडी के अधिकृत निजी खरीदी केंद्र और सौदा-पत्रक व्यवस्था के माध्यम से भी फसल बेचने की सुविधा प्रदान की गई। गेहूं, धान एवं अन्य फसलों के उपार्जन की 33 हजार करोड़ राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई। 

इनका कहना है
सरकार का सबसे अधिक फोकस खेती-किसानी पर है। इसलिए हमने खेती को लाभ का धंधा बनाने का संकल्प लिया है, जो अब मप्र में साकार होगा दिख रहा है। प्रदेश में पिछले एक दशक से लगातार गेहूं सहित अन्य फसलों का उत्पादन बढ़ रहा है। सरकार की कोशिश है कि वह किसानों की अधिक से अधिक उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदे। 
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री
मप्र सरकार किसानों के साथ हमेशा रही है। इसलिए यहां के किसानों के लिए ऐसी योजनाएं बनी हैं जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं। मप्र का गेहूं उच्च किस्म का होता है इसलिए उसकी मांग बढ़ रही है। पंजाब का गेहूं इतना घटिया किस्म का है कि कोई खरीदने को तैयार नहीं है। पंजाब के नाम की कोई रोटी नहीं खाता, क्योंकि पेस्टीसाइड की वजह से वहां की मिट्टी जहरीली है।
कमल पटेल, कृषि मंत्री, मप्र