कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन मे वैज्ञानिक परामर्श दात्री समिति की 35 वीं बैठक

कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन मे वैज्ञानिक परामर्श दात्री समिति की 35 वीं बैठक

उज्जैन, कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन मे वैज्ञानिक परामर्शदात्री  समिति की बैठक डा.ए.के.शर्मा, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय इंदौर की अध्यक्षता में एवं डाॅ. नीरज हाडा, वैज्ञानिक, संचालक विस्तार सेवायें, रा.वि.सिं.कृषि विष्वविद्यालय ग्वालियर के विशिष्ठ आतिथ्य में दिनांक 08.06.23 को सफलता पूर्वक समपन्न हुई। बैठक मे डा. ए.के.बडाया, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास, डा. आर.एस.टेलर, वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, इंदौर, डा.डी.के.तिवारी, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, शाजापुर  आर.पी.एस.नायक, उप संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग, उज्जैन  पी.एस.कनैल, उप संचालक उद्यानिकी, उज्जैन  संदीप कुमार अग्रवाल, एल.डी.एम. बी.ओ.आई,  नागेष चैरसिया, डी.डी.एम. नाबर्ड,  रनीष शर्मा, सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी,  दीपक पाल, फील्ड आफिसर ईफको उज्जैन, मती अजिता ठाकुर, सहायक संचालक, मत्स्य विभाग,  गुरूदत्त पाण्डे, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, उज्जैन,  अंषुल कुषवाह, टीम लीडर, आसा एन.जी.ओ.  पी.सी.सिसौदिया, सहायक कृषि यंत्री, कृषि अभियांत्रिकी विभाग आदि विभागों से अधिकारी/ कर्मचारी, प्रगतिशील कृषक एवं कृषक महिलाओं सहित कुल 37 सदस्य उपस्थित थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुआ डा. आर.पी.शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख एवं कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन के वैज्ञानिको द्वारा उपस्थित सभी महानुभवो का स्वागत करते हुए केन्द्र द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियां जैसे प्रथम पंक्ति प्रदर्शन, प्रक्षेत्र परीक्षण, प्रशिक्षण के बारे मे अवगत कराया। इस के बाद उन्होंने पिछले 06 माह का प्रगति प्रतिवेदन तथा आगामी खरीफ कार्ययोजना को विस्तार से पावर पाईंट के द्वारा बताया गया। मीटिंग आनलाईन एवं आफलाईन दोनों ही मोड पर संपादित हुयी। सुझाव सत्र मे विभिन्न विभागो से पधारे सम्माननीय सदस्यों द्वारा विचारों एवं प्रस्तावों का आदान प्रदान किया गया। जिसमें निम्नानुसार सुझाव प्राप्त हुये:-

डा. नीरज हाडा, वैज्ञानिक, संचा.वि.सेवायें, रा.वि.सिं.कृषि विष्वविद्यालय, ग्वालियर:- अन्न के तकनीकी प्रदर्षन प्लाट व लिखित कृषि कार्यमाला किसानों के बीच वितरित किये जायें।  समन्वित खेती प्रणाली में मुर्गीपालन ईकाई का प्रदर्षन किसानों के बीच किया जाये। 

डा. अषोक कुमार शर्मा, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, इंदौर - नैनो फर्टिलाईजर को परीक्षण, प्रदर्षन व विस्तार गतिविधि में शामिल किया जावे।  मोटे अनाज में ज्वार के अलावा रागी, कोदो, कुटकी जैसी फसलों को शामिल किया जाये। 

डा. ए.के.बडाया, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास:- सी.एफ.एल.डी. चना एवं सरसों के उत्पादन में दिखाई दे रही विविधता को गहराई से उल्लेखित किया जाये। 

डा. आर.एस.टेलर, कृषि विज्ञान केन्द्र, इंदौर:- संतुलित उर्वरक प्रबंधन की अवधारणा की गतिविधि को किसानों के बीच विस्तारित किया जाये। इसके ऊपर प्रसार वैज्ञानिक को ओ.एफ.टी. करने हेतु सुझाव दिया। 

डा.डी.के.तिवारी, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, शाजापुर:- सोयाबीन उत्पादकता में वृद्वि हेतु फसल प्रबंधन के ऊपर और कार्य किया जाये। 

आर.पी.एस.नायक, उप संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग, उज्जैन: सोयाबीन उत्पादन तकनीकी कार्यक्रम बढाया जाये ताकि जिले की उत्पादकता बढ सके। प्राकृतिक खेती परिणाम किसानों के बीच जाना चाहिये ताकि किसान जागरूक हो सके। 

पी.एस.कनैल, उप संचालक उद्यानिकी, उज्जैन: कृषि विज्ञान केन्द्र, उज्जैन द्वारा फल प्रसंस्करण ऐप पर उद्यानिकी योजना को शामिल किया जाये ताकि अधिक से अधिक किसान लाभांवित हो सके। जल उपयोग क्षमता प्रषिक्षण आयोजित किया जाये ताकि जल अपव्यय न हो। 

संदीप कुमार अग्रवाल, एल.डी.एम. बी.ओ.आई:- पशु संबंधित प्रषिक्षण के बाद किसान फाईनेंसली आॅनलाईन सहायता ले सकता है, इसे विस्तार गतिविधि प्रषिक्षण में शामिल किया जाये। 

नागेष चैरसिया, डी.डी.एम. नाबर्ड:- फसल विविधिकरण पर महिला स्व सहायता समूह द्वारा कार्य किया जाये। 

राजेन्द्र सिंह बरखेड़ी, प्रगतिषील कृषक:- के.सी.सी. लिमिट को बढ़ाकर जानकारी को किसानों के बीच विस्तारित किया जाये। 

रनीष शर्मा, सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी:- बीज समितियों को ज्यादा प्रजनक बीज प्रदाय किया जाये। किसान उत्पादक समिति सदस्यों को प्रजाति विविधिकरण पहिचान पर प्रषिक्षण आयोजित होने चाहिये ताकि ठगी का षिकार न हो सके। 

 दीपक पाल, फील्ड आफिसर ईफको उज्जैन:- ड्रोन तकनीकी के माध्यम से नैनो फर्टीलाईजर प्रयोग का प्रदर्षन किया जाना चाहिये। नैना फर्टिलाईजर में गन स्प्रेयर का प्रदर्षन किसानों के बीच किया जाना चाहिये। 

श्रीमती अजिता ठाकुर, सहायक संचालक, मत्स्य विभाग:- समन्वित खेती प्रणाली में सिंगाड़ा खेती को बढ़ावा व महिला स्व सहायता समूहों में सिंगाड़ा प्रसंस्करण का प्रषिक्षण दिया जाना चाहिये।

गुरूदत्त पाण्डे, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, उज्जैन:- दलहन उत्पादन को बढ़ाने हेतु तुअर, उड़द, मूंग को प्रषिक्षण में शामिल करने हेतु सुझाव दिया।  

अंशुल कुशवाह, टीम लीडर, आसा एन.जी.ओ.:- कृषि विज्ञान केन्द्र एवं आसा एन.जी.ओ. के अविश्रण के माध्यम से गतिविधियां आयोजित किये जाने चाहिये जिससे अधिक से अधिक किसानों को फायदा मिल सके।  जलवायु परिवर्तन के दौर में मौसम अधारित आंकड़ों का प्रयोग किसानों के बीच किया जाना चाहिये ताकि जोखिम को कम किया जा सके। 

पी.सी.सिसौदिया, सहायक कृषि यंत्री, कृषि अभियांत्रिकी विभाग:- कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि अभियांत्रिकी एवं आसा एन.जी.ओ. के साथ मिलकर कृषि अभियांत्रिकी यंत्रों का उचित प्रदर्षन किसानों के बीच किया जा सके। 

कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ हंसराज जाटव वेज्ञानिक (कृषि प्रसार) द्वारा किया गया। कार्यक्रम का विधिवत संकलन डा. एस.के.कौषिक,  डी.के.सूयवंषी एवं  राजेन्द्र गवली द्वारा किया गया।  गजाला खान द्वारा आॅन एवं आॅफ मोड पर मीटिंग का पंजीयन तथा तकनीकी सहयोग किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में  अजय गुप्ता, मती रूचिता कनौजिया,  राजेष वर्मा,  बाबूलाल चैहान एवं अन्य कर्मचारियों का सहयोग रहा। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्षन डा. डी.एस.तोमर वरिष्ट वैज्ञानिक द्वारा प्रदर्षित किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं प्रगतिषील कृषको सहित कुल 37 जन की भागीदरी रही। 

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