अन्नदाताओं से विश्वासघात: प्रदेश में एक लाख 72 हजार किसानों को नहीं मिले क्लेम के 306 करोड़ रुपए

अन्नदाताओं से विश्वासघात: प्रदेश में एक लाख 72 हजार किसानों को नहीं मिले क्लेम के 306 करोड़ रुपए

बड़ी लापरवाही: दो साल पहले बर्बाद हो गई थी खरीफ की फसल

खातों से प्रीमियम राशि कटी, फसल बीमा पोटर्ल पर अपलोड नहीं

कृषि प्रमुख सचिव बोले- किसान अपने-अपने जिलों में करें संपर्क

मध्यप्रदेश में जहां एक ओर प्राकृतिक आपदा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों का सबसे बड़ा संबल बनी हुई है। यही नहीं, प्रदेश के किसानों का पीएम फसल बीमा की तरफ साल दर साल विश्वास बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी किसानों के साभ विश्वासघात करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। अच्छे दिन और दोगुनी आय की उम्मीद लगाए बैठे किसानों में अब असंतोष भी पनपने लगा है। 

अरविंद मिश्र

भोपाल, मप्र में इस साल 47 लाख किसानों ने फसल बीमा का पंजीयन कराया है। हर साल फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसकी वजह यह है कि प्राकृतिक आपदा में फसलों के नुकसान की भरपाई शिवराज सरकार समय पर कर रही है। वहीं प्रदेश में बीमा कराने वालों की संख्या देखी जाए तो सिर्फ मंदसौर जिले में चार लाख से अधिक किसानों ने फसल बीमा कराया है। दरअसल, मध्यप्रदेश के एक लाख 72 हजार किसानों की दो साल पहले बर्बाद हुई फसल का 306 करोड़ रुपए का क्लेम अभी तक नहीं मिला है। ये हजारों किसान एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी (एआईसी), बैंक और कृषि विभाग के चक्कर काट रहे हैं। इन किसानों के बैंक खातों में प्रीमियम की रशि तो काट ली गई थी, लेकिन केंद्र सरकार के फसल बीमा पोर्टल पर किसानों और उनकी बर्बाद हुई फसल की जानकारी अपलोड नहीं की गई है। वहीं एक चर्चा के दौरान कृषि विभाग के प्रमुख सचिव अजीत केसरी ने कहा कि मप्र के एक लाख 70 हजार किसानों को 2019 में खरीफ की फसल बर्बाद होने का क्लेम अब तक क्यों नहीं दिया गया, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। अगर किसान दो साल से बैंक और कृषि विभाग के चक्कर काट रहे हैं तो किसानों को अपने जिलों के अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए। हालांकि मैं इसकी पूरी जानकारी निकलवाऊंगा।  

कोई पैसा बकाया नहीं

अब कृषि विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि किसानों का कोई पैसा बकाया नहीं है, जबकि इन्हीं अधिकारियों ने किसानों की जानकारी अपडेट करने के लिए कुछ महीने पहले ही पोर्टल री-ओपन करवाया था। 2019 में प्रदेश के लाखों किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा करवाया था। प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विभाग की अधिसूचना के मुताबिक 2019 में प्रदेश के 20 लाख 38 हजार 982 किसानों की खरीफ की फसल बर्बाद हो गई थी। 

मार्च में फिर खुला था पोर्टल

किसानों ने जब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम कटने और फसल बर्बाद होने के बाद क्लेम की राशि नहीं मिलने की शिकायत की तो मप्र सरकार ने केंद्र सरकार से बात की और 1 से 10 मार्च 2021 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पोर्टल री-ओपन करवाया था। इन दिस दिनों में फसल बीमा की प्रीमियम राशि चुकाने वाले एक लाख 72 हजार किसानों की फसल बर्बाद होने और उन्हें क्लेम देने संबंधी जानकारी अपडेट कर दी गई। उसी दौरान पला चला था कि इन किसानों की करीब 306 करोड़ रुपए 2019 की खरीफ की फसल का क्लेम देना है। जानकारी अपडेट करने के बाद भी अधिकारियों ने क्लेम देने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके कारण किसानों का करोड़ों रुपए क्लेम अब तक अटका हुआ है।

करोड़ों करना था भुगतान 

आंकलन के मुताबिक इनके नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पूरे प्रदेश में 4614 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था। इस आंकलन में प्रदेश के उन एक लाख 70 हजार किसानों को नहीं जोड़ा गया जिनके बैंक खातों से फसल बीमा की प्रीमियम के तौर पर करोड़ों की राशि काटकर बीमा कंपनी को दे दी। अब इतने लंबे समय के बाद सामने आया है कि इन किसानों की बर्बाद फसल की जानकारी पोर्टल पर भी अपलोड नहीं की गई है। इसलिए किसानों के क्लेम के 306 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हुआ। 

खेती-किसानी पर शिवराज का फोकस

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार का सबसे अधिक फोकस खेती-किसानी पर है। इसका परिणाम भी दिख रहा है। सीएम शिवराज खुद किसानों की समस्याओं को लेकर सदैव सक्रिय और सख्त रहते हैं, लेकिन अफसरशाही उनके प्रयासों पर पानी फेर रही है। मप्र की सरकार की योजना और किसानों को दिए जा रहे प्रोत्साहन से ही प्रदेश कई फसलों के उत्पादन में नंबर वन पर है। ऐसे में किसानों को सरकारी योजनाओं का बराबर लाभ मिल रहा है। इस कारण किसानों का रुझान फसल बीमा की ओर बढ़ा है। पिछले वर्षों से फसलों के बीमा के लिए विभाग किसानों को जागरूक करता रहा है। मप्र में पिछले तीन-चार सालों के किसान फसल बीमा का पंजीयन रिकॉर्ड देखा जाए तो प्रति वर्ष तीन लाख नए किसान इस बीमा से जुड़ रहे हैं। इस वर्ष 47 लाख किसानों ने बीमा कराया है। सरकार का लक्ष्य सौ प्रतिशत किसानों के फसल का बीमा कराना है।