किसानों के लिए लाभकारी हो सकती है बेल की बागवानी: प्रो डी के सिंह
डॉ शशिकान्त सिंह
कृषि संवाददाता
आजमगढ़। बेल एक ऐसा फल है जो अपने में लाखों फायदे छुपाए हुए है। बेल का सभी भाग छाल, पत्ती और फल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका इस्तेमाल धार्मिक तौर के साथ साथ आयुर्वेदिक दवाओं में खूब किया जाता है। कब्ज की समस्या से परेशान लोगो को बेल और बेल का जूस काफी लाभदायक होता है।
बेल में मिलता है कई विटामिन
बेल में विटामिन ए, बी, सी, खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट समेत कई अन्य औषधीय गुणों होते हैं। बेल की मधुमेह रोगियों के लिए औषधि है। पत्तियों में टैनिन, लौह, कैल्शियम, पोटैशियम और मै मैग्नीशियम जैसे तत्व पाये जाते हैं। इसका शर्बत कोलेस्ट्राल के स्तर को नियन्त्रित करता है। बेल की अच्छी पैदावार के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा आजमगढ़ के प्रभारी अधिकारी प्रोफेसर डी.के.सिंह ने बताया कि बेल की खेती कर किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं | डॉ विजय कुमार विमल वैज्ञानिक उद्यान द्वारा बताया गया कि इसके लिए उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त होती है।
बीज और कलम दोनों लगता है
बेल बीज एवं कलम विधि दोनो तरह लगाया जाता है। बेल की प्रजातियों की बात करें तो नरेंद्र बेल 5, नरेंद्र बेल 7, सी आई एस एच बी, पूसा उर्वशी आदि प्रमुख हैं। बेल को लगाने के लिए जुलाई से अगस्त महीना उचित होता हैं | बेल के कलमी पौधे 4 साल में फल देते हैं जबकि बीजू पौधे 6 से 7 साल में फल देते हैं। पौधो के लगाने के लिए 25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद 50 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम पोटाश, 25 ग्राम फास्फोरस युक्त उर्वरक से गड्ढ़े को भर दें फिर पौधे को लगाने के बाद सिंचाई कर दें। बेल के फलों को गिरने से बचाने एवं आन्तरिक विगलन से बचाने के लिए 50 से 100 ग्राम बोरेक्स प्रति पौधा प्रयोग करना चाहिए, एवं फल जब छोटे हों तो एक प्रतिशत बोरेक्स का छिड़काव दो बार 15 दिन के अन्तराल कराना चाहिए। फलों को गिरने से बचाने के लिए प्लेनोफिक्स (हार्मोन) की एक मि.ली. को चार लीटर पानी में डालकर छिड़काव करना चाहिए। पत्तियों पर होने वाले काले धब्बे के लिए बाविस्टिन(0.1 प्रतिशत) का छिड़काव करें।
बेल में लगने वाले रोग
बेल के पर्ण सुरंगी एवं पर्ण भक्षी इल्ली नामक कीट पत्तियों को काटकर नुकसान पहुचातीं हैं। इससे बचाव के लिए प्रोफेनोफास एवं साइपरमैथ्रिन की 0.5 मि.ली. दवा को 1लीटर पानी में डाल कर दो तीन सप्ताह के अन्तराल पर छिड़काव करें। अप्रैल मई के महीने में जब फलों का रंग हरे रंग से बदल कर पीले रंग का होने लगे तो फल तोड़ने योग्य हो जाता है। एक 10 से 15 वर्ष पूर्ण विकसित बेल से 80 से 100 फल प्राप्त हो जाता है।