लक्ष्य से ज्यादा हुई बोवनी और खेत में ही सड़ गईं उड़द, मूंग और तिल

लक्ष्य से ज्यादा हुई बोवनी और खेत में ही सड़ गईं उड़द, मूंग और तिल

atul kanchani
सतना। कुछ दिन पहले तक जिस खेत में उड़द मूंग की फसल लहलहा रही थी, उसी खेत में भैंसों का झुंड चरने के लिए छोड़ दिया गया था। खेत के किनारे सड़क पर छाता तानकर खड़े किसान दद्दी पाल का खेत भी है और उन्हीं की भैंसें भी हैं। सितम्बर महीने के आखिर में हुई बारिश से सब बर्बाद हो गया है। 60 साल के दद्दी पाल कहते हैं कि मूंग और उड़द की कुछ फसल अभी भी खेत पर खड़ी है। कुछ काट कर घर ले आए हैं। जो फसल खेत पर खड़ी है उसमें दाना लगता है कम ही निकलेगा। बाकी जो घर लाए हैं उस से पांच-दस किलो दाना शायद निकल आएगा। इसलिए खेत पर खड़ी फसल में भैंसों को छोड़ दिया है। ताकि उन्हीं का भला हो जाए। दद्दी मप्र के सतना जिले में आने वाले गांव पोखरा के किसान हैं। पोखरा जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी है। उनके पास एक एकड़ जमीन है जिसमें कुछ भाग में उड़द और कुछ में मूंग की फसल बोई थी। कुछ में धान भी लगा रखा है। मूंग की फसल तो खेत पर खड़े-खड़े ही सड़ गई। 15 कुराई के खेत मे लगा रखी थी। इसी में उड़द भी है। वही बस घर तक जा सकी। इसलिए भैंसों को खेत में छोड़ दिया। अब बस धान है जिस पर भरोसा टिका है।

सतना जिला के किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के आंकड़ों पर भरोसा करें तो खरीफ सीजन 2021-22 में मूंग, उड़द और तिल की फसल की बोवनी का लक्ष्य शत-प्रतिशत से भी ज्यादा रहा।

लक्ष्य से ज्यादा बोवनी

सहायक संचालक (कृषि) आर के बागरी के अनुसार सतना जिले में मूंग की बावनी का लक्ष्य 2.534 हेक्टेयर रखा गया था। 27 सितंबर 2021 की स्थिति इस लक्ष्य की पूर्ति 2.600 हेक्टेयर है। जो कि 102.60 प्रतिशत है। इसी तरह उड़द का लक्ष्य 70.106 हेक्टेयर रखा गया था जिसमें अब तक 101.65 प्रतिशत पूर्ति हुई है। यानि कि 71.260 हेक्टेयर की पूर्ति हुई है। धान के लिए 249.680 हेक्टेयर का लक्ष्य था जिसमें 249.890 प्रतिशत की पूर्ति हुई है।

फसल को लग गए दीमक

उड़द मूंग की फसल के बाद बारिश का सबसे ज्यादा असर तिल की फसल पर पड़ा है। तिल में जहां दाने कम देखे गए वहीं काट कर रखी गई फसल में दीमक भी लग गए। उचेहरा तहसील की ग्राम पंचायत भर्री पंचायत के पूर्व सरपंच कैदी लाल कोल पेशे से किसान हैं। उनके पास इस समय 3 एकड़ खेती लायक जमीन है। इस जमीन में उड़द, मूंग और धान लगा रखा है। इनका भी हाल दद्दी जैसा ही है। बड़ी परेशानी यह है कि तिल की फसल में दीमक लग गए।