शिवपुरी में सरसों उत्पादन की असीम संभावनाएँ
khemraj mourya
शिवपुरी। भा.कृ.अनु.प.-सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर राजस्थान द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय कृषक एवं प्रसार कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण क्रमशः 22 से 23 फरवरी तथा 24 से 25 फरवरी को आयोजित किये गये। कृषक प्रशिक्षण 47 कृषकों की सहभागिता के साथ ग्राम पड़ोदा विकासखण्ड कोलारस में तथा जिले के 33 प्रसार कार्यकर्ताओं की सहभागिता के साथ प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी पर आयोजित किया गया। जिले में कम लागत में अधिक मुनाफे की फसल जो विगत वर्ष 41 हजार हैक्टर क्षेत्रफल में हो रही थी जिसका रकबा बढ़कर इस वर्ष 1.28 हजार हैक्टर तक होकर 212 प्रतिशत तक क्षेत्र में वृद्धि हो गयी है। जिला प्रशासन, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं कृषि विभाग के संयुक्त प्रयासों से जिले में तिलहनी फसल सरसों का क्षेत्र एवं उत्पादन बढ़ रहा है। जिले में सरसों की उन्नतशील नवीन प्रजाति गिरिराज एवं आरएच-749 प्रजातियां बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हंै। कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. एस.पी. सिंह द्वारा सरसों अनुसंधान निदेशालय से समन्वय कर इन प्रशिक्षणों का आयोजन केवीके के माध्यम से किसानों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं में सरसों उत्पादन तकनीकी से अवगत कराने के लिए कराया जा रहा है।
आॅनलाइन माध्यम से निदेशक विस्तार सेवाएं, राविसिंकृविवि. ग्वालियर डाॅ. वाय. पी. सिंह ने कहा कि सरसों में गंधक पोषक तत्व का संतुलित प्रयोग, उन्नत सस्य उत्पादन तकनीकी तथा पौध संरक्षण के द्वारा जिले में सरसों की उत्पादकता और अधिक बढ़ाई जाने की काफी गुंजाइश है। सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. अशोक कुमार शर्मा द्वारा प्रशिक्षण में संबोधित करते हुए कहा कि शिवपुरी जिले में सरसों उत्पादन बढ़ाये जाने की असीम संभावनाएं हैं जिसे सरसों की उन्नत तकनीकी को अपनाकर हासिल किया जा सकता है। इसी क्रम में उपसंचालक, कृषि यू. एस. तोमर द्वारा विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया गया कि प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त की गई तकनीकी को अधिक से अधिक गांव के किसानों को पहुंचाने का कार्य करें।
केन्द्र के फसल संग्रहालय में उन्नत प्रजातियां जिसमें गिरिराज, एनआरसीएचबी 101, एनआरसीडीआर 2, आरएच-749, आरएस-725, आरएम-406, आरवीटी-1 एवं एनआरसीवायएस 05-02 को लगाया गया है। प्रशिक्षण के दौरान फसल संग्रहालय को अवलोकन कराते हुए जिले के परिप्रेक्ष्य में सफल प्रजातियों की पहचान कर कृषकों के लिए उन्नत पहचानी जाने वाली किस्म के बारे में जानकारी की गई तथा कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. एम. के. भार्गव प्रशिक्षण प्रभारी द्वारा सस्य उत्पादन सरसों की अंतवर्ती एवं समन्वित कृषि प्रणाली-मधुमक्खी पालन इत्यादि के समन्वय के बारे में प्रेजेन्टेशन के द्वारा जानकारी दी गई। डाॅ. जे. सी. गुप्ता द्वारा सरसों में कीट-रोग नियंत्रण के साथ सरसों उत्पादन की बारिकियों के बारे में प्रेजेन्टेशन के द्वारा बतलाया गया।
डाॅ. पुष्पेन्द्र सिंह वैज्ञानिक (पादप प्रजनन) ने उन्नत नई प्रजातियों के बारे में प्रेजेन्टेशन दिया। डाॅ. नीरज कुशवाहा तकनीकी अधिकारी द्वारा कृषि वानिकी और सरसों उत्पादन के बारे में समझाया। विजय प्रताप सिंह, शोध अध्येता द्वारा कृषि और मौसम परामर्श सूचना के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम में सफल आयोजन में सतेन्द्र गुप्ता, कार्यालय अधीक्षक सह लेखपाल, कु. आरती बंसल स्टेनो एवं श्रीमती नीतू वर्मा सहायक गे्रड 3 की सहभागिता भी महत्वपूर्ण रही।