stone crop farming: कम खर्चे में ज्यादा फायदे के लिए करें पत्थरचट्टा की खेती

stone crop farming: कम खर्चे में ज्यादा फायदे के लिए करें पत्थरचट्टा की खेती

आजकल किसान पारंपरिक फसलों की खेती छोडकर नकदी फसलों की खेती पर ज्यादा जोर दे रहा है। ऐसे में कम खर्चे में ज्यादा फायदा देने वाली खेती है पत्थरचट्टा की खेती। पत्थरचट्टा यानि ब्रायोफिलम भी मेडिसिनल क्रॉप है, जिसे स्टोनक्रॉप भी कहा जाता है। इसका उपयोग किडनी की पथरी, प्रोस्टेट ग्रंथि की बीमारी, आंख संक्रमण, हाई ब्लड प्रेशर, खून बहना समेत कई बीमारियों में होता है। इसमें पाए जाने वाले चमत्कारिक गुणों की वजह से बाजार में इसकी खूब मांग रहती है। ऐसे में किसान भाई पत्थरचट्टा की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। 

इसे भी देखें 

तकनीक से बना दी 'सुपर गाय', एक साल में देगी 18 टन दूध, जानिए कहां और कैसे बनाई

क्या है पत्थरचट्टा 
पत्थरचट्टा एक सामान्य तासिर वाला पौधा है, जिसे किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। इस पौधों की पत्तियां का रंग गहरा हरा होता है और इसकी पत्तियां बड़े आकार की होती हैं। इसके पौधे में फूल भी उगते हैं। इसके पत्तों का स्वाद खट्टा और नमकीन होता है।

इसे भी देखें 

सरबती गेहूं के बाद अब विदेशों में बढ़ी एमपी के बासमती की डिमांड, जानिए क्या है खासियत

खेती की विधि
इसके पौधे पत्तियों से ही उगाए जा सकते हैं यानि खेती के लिए आपको बीज की आवश्यकता नहीं होगी। सबसे अच्छी बात यह है कि अगर आप पौधे की पत्तों की किनारी भी मिट्टी में डाल देंगे तो भी पौधा उग जाता है। पत्थरचट्टा के पौधों को कहीं भी उगाया जा सकता है। आप स्थानीय नर्सरी या ऑनलाइन भी पौध मंगवा सकते हैं। फिर पौधों की पत्तियों से जितनी चाहे उतनी खेती कर सकते हैं। पौधे उगाने के लिए आपको नम मिट्टी के अंदर एक पत्ता रखना होता है। इसके कुछ समय बाद पत्ते से ही पौधा बन जाता है।

इसे भी देखें 

वैज्ञानिकों ने तैयार किया गेहूं 4 नई किस्में, ज्यादा पैदावार के साथ पोषक तत्वों से भरपूर, जानिए विशेषताएं

कैसी हो मिट्टी 
पत्थरचट्टा की खेती के लिए किसी विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती लेकिन इसकी खेती के लिए नमी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसलिए किसान 60 प्रतिशत दोमट मिट्टी, 20 प्रतिशत कोको पीट और 20 प्रतिशत रेत के साथ मिट्टी तैयार कर लें। हालांकि ध्यान रखें कि मिट्टी मे जलनिकासी भी जरुरी है।

इसे भी देखें 

वैज्ञानिकों का कमाल, एक ही पौधे में हो रहा टमाटर और बैगन, साथ में आलू भी उगाने की तैयारी

पौधों की देखभाल
पत्थरचट्टा के पौधों को न्यूनतम देखभाल की जरुरत होती है। पौधो के विकास के लिए 4 से 5 घंटे की धूप जरुरी होती है। यह पौधे गर्मी सहन कर सकते हैं लेकिन पाला के प्रति सहनशील नहीं होते। इसलिए इनकी खेती शेड के अंदर करना चाहिए। वहीं पौधे के विकास के लिए पानी भी जरुरी होता है। अगर फिल्टर पानी का उपयोग करें तो पौधे ज्यादा तेज विकास करते हैं। जब मिट्टी 2 से 3 इंच की गहराई तक सूख जाए तभी सिंचाई करनी चाहिए।

इसे भी देखें 

किसानों को ड्रोन खरीदने सस्ता लोन देगी SBI, बचत के साथ बढ़ेगा फसलों का उत्पादन

उर्वरक व रोग प्रबंधन
पत्थरचट्टा के पौधों के विकास के लिए प्रत्येक दो माह में एक बार आधा चम्मच बोन मील देना चाहिए। इससे पौधों में फफूंदी संक्रमण होने पर पोटेशियम बाइकार्बोनेट का उपयोग करें। पौधों को संक्रमण से बचाने के लिए भूरे रंग के पत्तों को हटा दें, एफिड्स को भी हाथ से हटाएं।

इसे भी देखें 

मप्र सरकार लागू करेगी कृषक उपज उन्नति योजना

पत्थरचट्टा का उपयोग

इसकी पत्तियों का उपयोग किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में होता है। इंफ्लामेशन, घाव, चोट वाली जगह, अत्यधिक खून बहने से रोकने के लिए इसका उपयोग होता है। महिलाओं को वेजाइनल इंफेक्शन होने,  खूनी दस्त को रोकने और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में इसकी पत्तियों का रस फायदा देता है।

इसे भी देखें 

किसानों के लिए लागू होगी कृषक समाधान योजना, जानें क्या होगा लाभ

सोशल मीडिया पर देखें खेती-किसानी और अपने आसपास की खबरें, क्लिक करें...

- देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूजगूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2,  टेलीग्राम,  टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2टवीटर, टवीटर 1इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1कू ऐप से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट