वैज्ञानिकों ने पुनर्विकसित किया विलुप्तप्राय चिनिया और मालभोग केला की प्रजाति, फायदेमंद हो सकती है इसकी खेती
बिहार में पहले 80 प्रतिशत तक लोग चिनिया और मालभोग केला की करते थे। लेकिन धीरे-धीरे चिनिया और मालभोग केले ने अपनी पहचान को खो दिया। अपनी पहचान खो चुकी केले की प्रजाति को वैज्ञानिकों ने पुनर्विकसित करने का काम किया है। जल्द ही यह केला आम लोगों के लिए उपलब्ध होगा। यह टेस्टी और कई बीमारियों से बचाने में सहायक है।
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वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति को पुनर्विकसित कर दिया है। ताकि लोगों को इसका सेवन करने का मौका दोबारा मिल सके। पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि केले की खेती किसानों को कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा रही है। इसका मुख्य कारण मौसम की मार और अन्य कई तरह के कारणों को बताया जा रहा है। यह भी देखा गया है कि खतरनाक बीमारियों के चलते अब केले की कुछ प्रजाति धीरे-धीरे लुप्त हो रही है। लेकिन वैज्ञानिक लुप्त प्रजाति को पुनर्विकसित करने के लिए अपनी हर एक कोशिश में लगी हुई है। इसी कड़ी में बिहार के वैज्ञानिकों ने केले की लुप्त प्रजाति को पुनर्विकसित करने का काम किया है, जो काफी समय से राज्य में अपनी पहचान को एक दम खो चुकी थी।
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औषधीय गुणों से भरा चिनिया और मालभोग केला
काफी समय से राज्य में चिनिया और मालभोग केला लुप्त हो चुका था। वहीं अब बिहार के वैज्ञानिकों ने इसे दोबारा खोज निकाला है। दरअसल, यह केला खाने में टेस्टी और कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है। लोग भी इसे बड़े चाव के साथ खाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस केले की खेती किसान राज्य में पहले 80 प्रतिशत तक करते थे। लेकिन धीरे-धीरे चिनिया और मालभोग केले ने अपनी पहचान को खो दिया। अब वहीं वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति को पुनर्विकसित कर दिया है। ताकि लोगों को इसका सेवन करने का मौका दोबारा मिल सके।
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पनामा बिल्ट नामक बीमारी ने इस प्रजाति को पहुंचाया नुकसान
केले की चिनिया और मालभोग प्रजाति बिहार में ऐसे ही लुप्त नहीं हुई थी। इसके लुप्त होना का कारण पनामा बिल्ट नामक बीमारी को माना गया है। बता दें कि यह बीमारी लगभग 30 साल पहले इतने अच्छे उर्वरक मौजूद नहीं थे, जो इस खेती में लगे बीमारी को दूर कर सके। लेकिन फिर भी किसान भाइयों ने इस केले की प्रजाति को बचाने की बहुत कोशिश की। फिर भी इसका कोई फायदा नहीं हुआ। किसानों को हार कर अपने खेत में दूसरी प्रजातियों को लगाना पड़ा।
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वैज्ञानिकों ने टिश्यू कल्चर की मदद से दोबारा पुनर्जन्म दिया
मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने चिनिया और मालभोग केले की प्रजाति को सबौर ने टिश्यू कल्चर की मदद से दोबारा पुनर्जन्म दिया है। इस दौरान वैज्ञानिकों ने कई परीक्षण किए। इसके बाद वैज्ञानिकों ने इस केले की किस्म का पौधा मिट्टी में लगाया। फिर इस पौधे में 13 से 15 महीने के बाद फल आना शुरू हो गए।
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फायदेमंद है चिनिया केला
चिनिया केला खटटा-मीठा होने के साथ खाने में बेहद टेस्टी होता है। आटा और चिप्स बनाने में यह काम आता है। आयरन और पाचन के लिए अच्छा होने क कारण बाजार में इसकी अच्छी मांग है। इसके अलावा गठिया, हाई ब्लड प्रेशर, किडनी, आंखों की बीमारी, इम्यून सिस्टम बूस्ट करने में यह बेहद कारागर है। इससे किसानों की इनकम भी बढ़ जाएगी।