किसानों लिए खास है धारवाड़ी भैंस, जानिए इसकी खासियत और फायदे

किसानों लिए खास है धारवाड़ी भैंस, जानिए इसकी खासियत और फायदे

भोपाल, पशुपालन के क्षेत्र में भैंस का पालन काफी फायदेमंद माना जाता है। भैंस कम देखभाल में ज्यादा फायदा देने वाली पशु है। सरकार अब देसी नश्लों के पालन को बढावा देने के प्रयास में लगी है। राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने कई देसी नस्लों को मान्यता दी है, जो दूध उत्पादन के मामले में सर्वश्रेष्ट हैं। इन प्रजातियों में शामिल है कर्नाटक की धारवाड़ी भैंस, जिसके दूध से धारवाड़ी पेड़ा बनाया जाता है। इस मिठाई को जीआई टैग मिला हुआ है। देश ही नहीं, दुनियाभर धारवाड़ी पेड़े की मांग है, इसलिए धारवाड़ी भैंस भी अब किसानों और पशुपालकों की पसंद बनती जा रही है।

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एक्सेशन नंबर प्राप्त है धारवाड़ी भैंस
भारत में देसी पशुओं पर शोध करने वाली संस्था राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की ओर से धारवाड़ी भैंस को रजिस्टर किया गया है। इसे INDIA_BUFFALO_0800_DHARWADI_01018 एक्सेशन नंबर भी मिला है। इस भैंस का इतिहास मुर्रा, भिंड या फिर नीली रावी ती तरह ही सैंकड़ों साल पुराना है।

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पूरे देश में खास महत्व
पहले धारवाड़ी भैंस सिर्फ कर्नाटक के बगलकोट, बेलगाम, धारवाड़, गड़ग, बेल्लारी, बीदर, विजयपुरा, चित्रदुर्ग, कालाबुर्गी, हावेरी, कोपल, रायचुर और यादगिद जिले तक ही सीमित थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसने देश के दूसरे इलाकों में भी अपना खास जगह बना ली है।

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औसत दूध उत्पादन 972 लीटर 
एक्सपर्ट की मानें तो धारवाड़ी भैंस आजाद रहना ज्यादा पसंद करती है। इसे बांध के कभी भी चारा नहीं दिया जाता। अपनी मर्जी से खाती है तो दूध भी बढ़िया देती है। एक तरह से देखा जाए तो ये छोटे किसानों के लिए काफी बेहतर है, क्योंकि इसका औसत दूध उत्पादन 972 लीटर है। ये भैंस दिनभर में 3.24 लीटर दूध उत्पादन देती है। सही तरह के खिलाया पिलाया जाए तो धारवाड़ी भैंस से 1000-1500 लीटर दूध उत्पादन ले सकते हैं। तेज बारिश वाले इलाकों के लिए धारवाड़ी नस्ल की भैंस पालना अनुकूल है। 

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दूध में 7 प्रतिशत फैट 
जैसा कि मशहूर धारवाड़ी पेड़ा सिर्फ धारवाड़ी भैंस के दूध से ही बनता है। इसके दूध में 7 प्रतिशत फैट मौजूद होता है। इस मिठाई का कनेक्शन बेशक कर्नाटक से है, लेकिन पूरी दुनिया इसकी दीवानी है। इस मिठाई की खास बात यह है कि एक बार तैयार होने के बाद 15-20 दिनों तक स्टोर किया जा सकता है। कभी इंग्लैंड की महारानी भी धारवाड़ी पेड़ा की शौकीन थीं।

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