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गेहूं की तीन नई किस्में, जो बढ़ते तापमान में भी देंगी बंपर पैदावार

नई दिल्ली। भारत गेहूं के उत्पादन में पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इसका कारण देश के कई कृषि विश्वविद्यालय और कृषि संस्थायें हैं, जो नए और उन्नत बीजों को विकसित करती रहती हैं। आईसीएआर द्वारा गेहूं की तीन नई किस्में विकसित की गई हैं, जिनपर बढ़ते तापमान का ज्यादा असर नहीं होगा और अच्छा उत्पादन देंगी। 

तीन किस्में की विकसित
आईसीएआर द्वारा विकसित की गई गेहूं की यह नई किस्में तापमान आधारित हैं। गेहूं की यह नई किस्में डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही), डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा), डीबीडब्ल्यू 372 (करण वरुणा) हैं। गेहूं की यह किस्में आईसीएआर-भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा द्वारा विकसित की गई हैं। यह सभी किस्में अपनी-अपनी जगह कई नए गुणों वाली हैं।

डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा)
गेहूं की यह किस्म वैज्ञानिकों ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा व उदयपुर सम्भाग को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी मंडल को छोड़कर), जम्मू कश्मीर के जम्मू और कठुआ जिले , हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला, पोंटा घाटी और उत्तराखंड क्षेत्रों के लिए विकसित की है। दरअसल गेहूं की यह फसल अगेती बुआई के लिए ज्यादा प्रभावी है और इन सभी क्षेत्रों में इस तरह की खेती प्रचालन में है। इसकी उत्पादकता एक हेक्टेयर में 87.1 क्विंटल है।

डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही)
इस किस्म की उत्पादकता 86.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. वहीं औसत उपज की बात करें तो यह किस्म 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 99 सेंटीमीटर तक होती है। सीजन में यह फसल लगभग 150 दिनों में तैयार हो जाती है।

डीबीडब्ल्यू 372 (करण वृंदा)
गेहूं की यह किस्म भी बम्पर पैदावार के लिए जानी जाएगी। इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 85 क्विटंल तक है। वहीं इसकी औसत पैदावार की बात करें तो यह लगभग 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है। इसके पौधे की लंबाई भी अन्य से ज्यादा लगभग 95 सेंटीमीटर तक होती है।

रोग प्रतिरोधी हैं किस्में
आईसीएआर हरियाणा द्वारा विकसित की गई यह किस्में अन्य किस्मों से ज्यादा रोग प्रतिरोधी हैं। गेहूं में लगने वाले रोग पीला और भूरा रतुआ की सभी रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक का काम करती हैं यह किस्में। इसके साथ ही अगर आप इसके बीजों को खरीदना चाहते हैं तो आपको रबी की फसल के लिए यह बीज आईसीएआर-भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा के सीड पोर्टल पर संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं।

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गेहूं की तीन नई किस्में, जो बढ़ते तापमान में भी देंगी बंपर पैदावार

नई दिल्ली। भारत गेहूं के उत्पादन में पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इसका कारण देश के कई कृषि विश्वविद्यालय और कृषि संस्थायें हैं, जो नए और उन्नत बीजों को विकसित करती रहती हैं। आईसीएआर द्वारा गेहूं की तीन नई किस्में विकसित की गई हैं, जिनपर बढ़ते तापमान का ज्यादा असर नहीं होगा और अच्छा उत्पादन देंगी। 

तीन किस्में की विकसित
आईसीएआर द्वारा विकसित की गई गेहूं की यह नई किस्में तापमान आधारित हैं। गेहूं की यह नई किस्में डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही), डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा), डीबीडब्ल्यू 372 (करण वरुणा) हैं। गेहूं की यह किस्में आईसीएआर-भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा द्वारा विकसित की गई हैं। यह सभी किस्में अपनी-अपनी जगह कई नए गुणों वाली हैं।

डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा)
गेहूं की यह किस्म वैज्ञानिकों ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा व उदयपुर सम्भाग को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी मंडल को छोड़कर), जम्मू कश्मीर के जम्मू और कठुआ जिले , हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला, पोंटा घाटी और उत्तराखंड क्षेत्रों के लिए विकसित की है। दरअसल गेहूं की यह फसल अगेती बुआई के लिए ज्यादा प्रभावी है और इन सभी क्षेत्रों में इस तरह की खेती प्रचालन में है। इसकी उत्पादकता एक हेक्टेयर में 87.1 क्विंटल है।

डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही)
इस किस्म की उत्पादकता 86.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. वहीं औसत उपज की बात करें तो यह किस्म 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 99 सेंटीमीटर तक होती है। सीजन में यह फसल लगभग 150 दिनों में तैयार हो जाती है।

डीबीडब्ल्यू 372 (करण वृंदा)
गेहूं की यह किस्म भी बम्पर पैदावार के लिए जानी जाएगी। इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 85 क्विटंल तक है। वहीं इसकी औसत पैदावार की बात करें तो यह लगभग 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है। इसके पौधे की लंबाई भी अन्य से ज्यादा लगभग 95 सेंटीमीटर तक होती है।

रोग प्रतिरोधी हैं किस्में
आईसीएआर हरियाणा द्वारा विकसित की गई यह किस्में अन्य किस्मों से ज्यादा रोग प्रतिरोधी हैं। गेहूं में लगने वाले रोग पीला और भूरा रतुआ की सभी रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक का काम करती हैं यह किस्में। इसके साथ ही अगर आप इसके बीजों को खरीदना चाहते हैं तो आपको रबी की फसल के लिए यह बीज आईसीएआर-भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा के सीड पोर्टल पर संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं।

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