केवल केला ही नहीं, बल्कि केले के पत्ते भी तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। वहां लोग परंपरागत रूप से केले के पत्तों पर खाना खाते हैं, जिसे पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। केले के पत्ते पर खाना खाने का मज़ा कुछ वैसा ही है, जैसा ग्रीन टी पीने से मिलता है – सेहतमंद और सुकूनदायक।
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अब विदेशों में भी बढ़ रही है डिमांड
आजकल खाड़ी देशों में केले के पत्तों का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है, खासकर छुट्टियों और त्योहारों में पार्टियों के दौरान इनकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है। अब खेतों से सिर्फ केले नहीं, बल्कि केले के पत्ते भी अच्छे दामों में बिकने लगे हैं।
पत्तों को लंबे समय तक कैसे रखें ताज़ा?
1. शुरुआती प्रोसेसिंग
सबसे पहले ताज़ा केले के पत्तों को ठंडे तापमान में रखा जाता है। फिर उन्हें अच्छे से धोया और पानी में थोड़ी देर भिगोया जाता है।
2. धोना और सुखाना
पत्तों को बहते पानी में धो लें और फिर साफ कपड़े से हल्के हाथों से पोछें। ध्यान रखें कि पत्ते फट न जाएं।
3. ब्लांचिंग (Blanching)
अब पत्तों को 2-3 मिनट के लिए उबलते पानी में डालें और फिर ठंडे पानी में रखें। इससे पत्तों की मजबूती बनी रहती है और उनका हरा रंग भी बरकरार रहता है।
4. स्टोरेज टिप्स
धोने और सुखाने के बाद पत्तों को प्लास्टिक बैग में मोड़कर रखें ताकि हवा न लगे। इस तरह पत्ते 7-10 दिन तक ताज़ा रह सकते हैं।अगर आप और ज्यादा समय तक पत्तों को स्टोर करना चाहते हैं, तो 5°C पर फ्रीज़र में रखें। Modified Atmospheric Packaging (MAP) और ethylene absorbing sachets के साथ पत्ते 10 दिन से ज्यादा भी ताज़ा रह सकते हैं।
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केले के पत्तों से बने थाली, कटोरी, ग्लास भी ट्रेंड में
आजकल अच्छे समाजों में केले के पत्तों से बने डिस्पोजेबल बर्तन ट्रेंड में हैं – ये प्लास्टिक का बेहतरीन और इको-फ्रेंडली विकल्प हैं।इसलिए, केले के पत्ते सिर्फ परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि कमाई का एक अच्छा जरिया भी बन सकते हैं – बस सहेजने का सही तरीका पता होना चाहिए!