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खेती में भी मददगार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानिए किसान ने कैसे लिया फायदा

आज के वक्त में हर तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चर्चा है। हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या AI को लेकर तरह-तरह के प्रयोग हो रहे हैं। इसी कड़ी में खेती-किसानी के क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया गया है। किसान तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के बारामती जिले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकी से फसलें उगाई गई हैं। बारामती में पहली बार कृषि में किया गया यह प्रयोग सफल भी रहा है।

गन्ने के साथ-साथ भिंडी, टमाटर, मिर्च, तरबूज, कद्दू, फूल, पत्तागोभी जैसी फसलें उगाई गई 

रिपोर्ट के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बारामती जिले में गन्ने के साथ-साथ भिंडी, टमाटर, मिर्च, तरबूज, कद्दू, फूल, पत्तागोभी जैसी फसलें उगाई गई हैं। इसमें हर फसल की योजना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाई गई है। और फसल प्रबंधन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ही किया जा रहा है। 

विभिन्न प्रकार के सेंसर फसलों के बारे में जानने में मदद करते हैं

इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ तुषार जाधव ने बताया कि विभिन्न फसलों में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया है। इसमें विभिन्न प्रकार के सेंसर हैं, जिनसे फसलों के बारे में जानने में मदद मिलती है। इसमें मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पलाश, हवा का तापमान और हवा की गति और हवा की नमी को मापने की प्रणाली के साथ-साथ वायु रोगों की सूक्ष्म निगरानी के लिए भी सेंसर हैं।

हर आधे घंटे में देता है जमीन की रिपोर्ट

इसके साथ ही इसमें एक सेंसर प्रणाली है जो पानी को मापती है, मिट्टी की लवणता की जांच करती है और मिट्टी में फसलों को प्रभावित करने वाली विद्युत चालकता की भी जांच करती है। यह सिस्टम हर आधे घंटे में जमीन और जमीन के बाहर और हवा में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी सेंसर के जरिए सैटेलाइट को और सैटेलाइट के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटर को भेजता है। उससे, एआई प्रणाली संबंधित किसान को पर्याप्त जानकारी प्रदान करती है। इस सूचना की मदद से किसान मिट्टी में कितना पानी देना है, कितना उर्वरक देना है, किस प्रकार का उर्वरक देना है और कितना देना है जानकारी पाता है। 

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी खेती में एआई के इस्तेमाल की पहल की 

बता दें, कृषि के क्षेत्र में एआई का प्रयोग पहली बार किया गया। इस प्रयोग से सफलता भी मिली है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी खेती में एआई के इस्तेमाल की पहल की है और बारामती में एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ट्रस्ट और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बीच इस संबंध में प्रयोग चल रहे हैं।

रोग और कीटनाशक प्रबंधन

में हर किसान को सबसे ज्यादा डर रहा है रोगों या वायरस का। कई बार खेती में रोग दूसरा होता है, लेकिन उसे सही से समझ नहीं पाने की वजह से समय से उसका उपचार नहीं हो पाता है और नुकसान झेलना पड़ता है। एआई की मदद से रोग से समय से पहचानना और उसके उचित इलाज को लागू करना आसान हो जाएगा। इससे खेती की सुरक्षा बढ़ेगी और नतीजा ये होगा कि प्रोडक्शन बढ़ेगा।

सोशल मीडिया पर देखें खेती-किसानी और अपने आसपास की खबरें, क्लिक करें…

– देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूजगूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2,  टेलीग्राम,  टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2टवीटर, टवीटर 1इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1कू ऐप से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट

 

खेती में भी मददगार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानिए किसान ने कैसे लिया फायदा

आज के वक्त में हर तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चर्चा है। हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या AI को लेकर तरह-तरह के प्रयोग हो रहे हैं। इसी कड़ी में खेती-किसानी के क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया गया है। किसान तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के बारामती जिले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकी से फसलें उगाई गई हैं। बारामती में पहली बार कृषि में किया गया यह प्रयोग सफल भी रहा है।

गन्ने के साथ-साथ भिंडी, टमाटर, मिर्च, तरबूज, कद्दू, फूल, पत्तागोभी जैसी फसलें उगाई गई 

रिपोर्ट के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बारामती जिले में गन्ने के साथ-साथ भिंडी, टमाटर, मिर्च, तरबूज, कद्दू, फूल, पत्तागोभी जैसी फसलें उगाई गई हैं। इसमें हर फसल की योजना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाई गई है। और फसल प्रबंधन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ही किया जा रहा है। 

विभिन्न प्रकार के सेंसर फसलों के बारे में जानने में मदद करते हैं

इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ तुषार जाधव ने बताया कि विभिन्न फसलों में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया है। इसमें विभिन्न प्रकार के सेंसर हैं, जिनसे फसलों के बारे में जानने में मदद मिलती है। इसमें मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पलाश, हवा का तापमान और हवा की गति और हवा की नमी को मापने की प्रणाली के साथ-साथ वायु रोगों की सूक्ष्म निगरानी के लिए भी सेंसर हैं।

हर आधे घंटे में देता है जमीन की रिपोर्ट

इसके साथ ही इसमें एक सेंसर प्रणाली है जो पानी को मापती है, मिट्टी की लवणता की जांच करती है और मिट्टी में फसलों को प्रभावित करने वाली विद्युत चालकता की भी जांच करती है। यह सिस्टम हर आधे घंटे में जमीन और जमीन के बाहर और हवा में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी सेंसर के जरिए सैटेलाइट को और सैटेलाइट के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटर को भेजता है। उससे, एआई प्रणाली संबंधित किसान को पर्याप्त जानकारी प्रदान करती है। इस सूचना की मदद से किसान मिट्टी में कितना पानी देना है, कितना उर्वरक देना है, किस प्रकार का उर्वरक देना है और कितना देना है जानकारी पाता है। 

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी खेती में एआई के इस्तेमाल की पहल की 

बता दें, कृषि के क्षेत्र में एआई का प्रयोग पहली बार किया गया। इस प्रयोग से सफलता भी मिली है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी खेती में एआई के इस्तेमाल की पहल की है और बारामती में एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ट्रस्ट और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बीच इस संबंध में प्रयोग चल रहे हैं।

रोग और कीटनाशक प्रबंधन

में हर किसान को सबसे ज्यादा डर रहा है रोगों या वायरस का। कई बार खेती में रोग दूसरा होता है, लेकिन उसे सही से समझ नहीं पाने की वजह से समय से उसका उपचार नहीं हो पाता है और नुकसान झेलना पड़ता है। एआई की मदद से रोग से समय से पहचानना और उसके उचित इलाज को लागू करना आसान हो जाएगा। इससे खेती की सुरक्षा बढ़ेगी और नतीजा ये होगा कि प्रोडक्शन बढ़ेगा।

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