प्रदेश में दम तोड़ रही पीएम मोदी की 'कुसुम', किसानों का टूट रहा सोलर पंप का सपना
भोपाल। अक्षय उर्जा को बढ़ावा देने सरकार जहां एक ओर दावे कर रही है। वहीं योजनाओं के क्रियांवयन की स्थिति जिम्मेदारों को कठघरे में खड़ा कर देती है। कुसुम योजना के घटक-दो में शामिल व इससे अछूती नहीं है। क्योंकि पर्याप्त बजट के अभाव में 2019 से शुरू हुई इस योजना के लाभार्थियों का आंकड़ा राज्य में 10 हजार की संख्या भी नहीं छू पाया है। जबकि अक्षय उर्जा को बढ़ावा देने केंद्र सरकार द्वारा 57 हजार प्रकरणों की स्वीकृतियां दी गई हैं। खास बात यह है कि देश भर में योजना के तहत 20 लाख कृषि विद्युत पंपों की स्थापना का लक्ष्य लिया गया था। बावजूद इसके तीन साल बाद यानी 30 सितंबर 22 की स्थिति में सिर्फ 7 हजार ही लग पाए हैं। जबकि इसके पहले और अंतिम घटक की प्रगति सूची में अब तक शून्य दर्ज है। इसके पीछे राज्य सरकार का योजना प्रावधान के मुताबिक 30 प्रतिशत राशि नहीं दे पाना है। इसके कारण अपने अंश की करीब 70-70 हजार रुपए की राशि सरकार के खाते में जमा कराने के बाद भी 1100 किसान खेतों में सोलर पंप की स्थापना का अब तक इंतजार कर रहे हैं। जबकि प्रतिवॉट 5 हजार की राशि जमा कराने के बाद 15 हजार पंजीकृत किसानों का नंबर कब आएगा इसका जबाव विभाग के पास भी नहीं है।
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असरहीन सीएम हेल्पलाइन में शिकायत
योजना के तहत राशि जमा कराने वाले किसानों का कहना है कि कार्य में तेजी लाने के लिये मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी कई बार शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन प्रत्येक बार यह असरहीन साबित हुई। इनका कहना है कि पहले करोना का बहाना था अब संतोषजनक उत्तर ही नहीं मिल रहा है। क्योंकि इसमें साफ कहा जा रहा है कि विभाग को बजट का इंतजार है।
झारखंड ने 50 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया
योजना की मौजूदा स्थिति नवीनकरणीय उर्जा विभाग के लिये चिंता का विषय बन गई है। क्योंकि तय लक्ष्य का अब तक मात्र 12 प्रतिशत ही पूरा कर पाये हैं। हालांकि 9 प्रतिशत लक्ष्य पूरा करने वाले महाराष्ट्र को छोड़ दें तो किसी दूसरे राज्य की प्रगति 19 प्रतिशत से कम नहीं है। इसमें झारखंड ने तो सबको पछाड़ते हुए 50 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर चुका है। इसके बाद राजस्थान 31.9 और हरियाणा के साथ पंजाब 19 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल कर चुके हैं।
इसलिए भी है जरूरी
पैरिस समिट में तय प्रतिमान के अनुसार हम वर्ष 2030 तक देश की ऊर्जा आवश्यकता का 40 प्रतिशत, गैर फॉसिल बेस्ड ईंधन से पूरा करने का लक्ष्य हैं। बावजूद इसके हम क्लीन एनर्जी के लगभग 1 लाख 75 हजार मेगावॉट उत्पादन के लक्ष्य के क्रम में ही देश 69 हजार मेगावॉट ऊर्जा उत्पादित कर रहा है। जिसमें कुल उत्पादन का हमारे राज्य से योगदान 7 प्रतिशत से अधिक नहीं है। ऐसे में अक्षय उर्जा के क्षेत्र में त्वरित क्रियांवयन की जरूरत बनी हुई है। उन्होंने यह जरूर बताया कि कुसुम के इस दूसरे घटक का प्रदर्शन भले ही बेहतर नहीं है, लेकिन पहले और तीसरे घटक के कार्य दिखाई पडऩे लगे हैं। इससे संबंधित परियोजनाओं के पूरा होने के बाद हम सौर उर्जा के क्षेत्र में निर्भरता की ओर बढ़ेंगे।
मंत्री नहीं मानते राशि का अभाव
पैसा जमा कराने के बाद सरकार जहां हितग्राहियों को लाभ नहीं दे पा रही है। वहीं नवीनकरणीय उर्जा विभाग के मंत्री हरदीप सिंह डंग नहीं मानते हैं कि बजट की कमी के कारण मप्र योजना क्रियांवयन में पीछे हैं। विषय से संबंधित jagatgaon.com से चर्चा के दौरान भी उनके पास इस बात का भी जवाब नहीं था कि केंद्र व राज्य सरकार से मिलने वाली सब्सिडी से इतर हितग्राही अंश की राशि जमा कराने के बाद भी सरकार 1100 किसानों के खेतों में अब तक सोलर पंप क्यों नहीं लगवा पाई है।